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विधानसभा अध्यक्ष ने किया मनीष शुक्ल के “निलंबित मौन के स्वर” का विमोचन

  

लखनऊ पुस्तक मेले में कलमकारों ने की संवाद व परिचर्चा

लखनऊ। विश्व कविता दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना ने साहित्यकार- पत्रकार मनीष शुक्ल के पहले कविता संग्रह निलंबित मौन के स्वर का विमोचन किया। उन्होंने कविता को अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम बताया।उधर लखनऊ पुस्तक मेला में आयोजित ‘संवाद’ कार्यक्रम में जाने- माने कलमकारों ने ‘निलंबित मौन के स्वर’ पर विचार प्रकट किये। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अशोक पाण्डेय ने कहा कि संवेदनशील पत्रकार ही अच्छा कवि हो सकता है। निलम्बित मौन का स्वर ही समाज की मुखर आवाज है। उन्होंने निरंतर लेखन के लिए समाज को बारीकी से देखने की जरुरत बताई। विशिष्ट अतिथि बालेन्दु द्विवेदी ने कहा कि कविता को सुनने और महसूस करने के लिए भीड़ की नहीं दिल की जरुरत होती है। निलंबित मौन के स्वर की खूबी भी यही है वो सीधे दिल को छूती हैं। वरिष्ठ साहित्यकार अलका प्रमोद ने कहा कि मनीष के कविता संग्रह गुलदस्ता की तरह है जिसमें राष्ट्रप्रेम है, नारी सम्मान है, पर्यावरण की चिंता है।

वरिष्ठ भाजपा नेता विनोद शुक्ल ने कहा कि लेखन हमेशा समाज को जागरूक करने वाला और राष्ट्रहित में होना चाहिए। सीनियर एंकर आलोक राजा ने कहा कि पत्रकार में लेखक और कवि दोनों ही होते हैं लेकिन मनीष जैसे कुछ साहित्यकार ही हर कला में माहिर होते हैं। समाजसेवी महेंद्र मिश्र ने कहा कि कविता कल्पना लोक को हकीकत के रंगों से सामना कराती है। साहित्यकार डॉ. शिल्पी बक्शी शुक्ला ने कहा कि कविता कला का एक माध्यम है। लेखिका जरीन अंसारी ने कहा कि एक शानदार लेखक के अंतर्मन में कवि भी होता ये मनीष के पहले कविता संग्रह को पढ़कर समझ आता है। संचालक पंचानन मिश्र ने कहा कि निलंबित मौन ही जनता की मुखर आवाज है। राजीव तिवारी ने सम्पूर्ण लेखन के लिए योग को जरुरी बताया। कवि मनीष शुक्ल ने कहा कि कल्पना और जीवन की सच्चाई को यथार्थ के साथ शब्दों में पिरोना कठिन कार्य था लेकिन जैसे- जैसे कलम चलती गई, निलंबित मौन के स्वर पुस्तक ने आकर ले लिया। शिल्पायन प्रकाशन के उमेश शर्मा ने आभार जताया। कार्यक्रम में अतुल अरोड़ा, धर्मेन्द्र कुमार, निशा मिश्रा आदि मौजूद रहे।