लखनऊ। डॉ. सीआर कृष्णमूर्ति प्रख्यात पर्यावरणीय वैज्ञानिक थे। वे व्यावसायिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी थे। उनका जन्म 03 मार्च, 1923 को हुआ था। डॉ. कृष्णमूर्ति ने 1950 में अपनी वैज्ञानिक यात्रा प्रारंभ किया था। वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सर्वप्रथम श्वसन प्रणाली को हानिकारक धूल एवं प्रदूषकों के अवशोषण के एक महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में पहचान किया। उन्होंने भारत में विषविज्ञान के नए क्षेत्रों : औद्योगिक स्वास्थ्य, औद्योगिक विषविज्ञान और व्यावसायिक चिकित्सा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। डॉ. कृष्णमूर्ति सीएसआईआर- भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर- आईआईटीआर), लखनऊ के दूसरे निदेशक (1978 से 1983) थे। उन्होंने संस्थान के गेहरु परिसर को इकोटॉक्सीकोलॉजी परीक्षण केंद्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह उपयुक्त है कि संस्थान एक ऐसे महान वैज्ञानिक का शताब्दी वर्ष मना रहा है जो कि अपने आप में एक इन्स्टिटूशन था। शनिवार को सीआर कृष्णमूर्ति शताब्दी समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने डॉ. कृष्णमूर्ति की एक अर्धप्रतिमा (आवक्ष) का अनावरण किया। उन्होंने संस्थान की पाँच दशकों से अधिक की यात्रा के महत्वपूर्ण कार्यों को दर्शाने वाली एक स्मृति दीवार का भी अनावरण किया। अपने संबोधन में डिप्टी सीएम ने विशिष्ट क्षेत्र- पर्यावरण मॉनीटरन एवं वायु, जल और मृदा के प्रदूषण का सामना करने हेतु प्रौद्योगिकियों के विकास हेतु संस्थान की सेवाओं की सराहना किया। इस दौरान डॉ. सीआर कृष्णमूर्ति के सम्मान में संस्थान के गेहरु परिसर का नाम बदलकर “सीआरके परिसर” कर दिया गया।
बतौर विशिष्ट अतिथि डॉ. अनिल रस्तोगी (प्रसिद्ध कलाकार एवं पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर – केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान), मौजूद रहे। जो कि डॉ. कृष्णमूर्ति के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे। इस अवसर पर उपस्थित डॉ. सी.आर. कृष्णमूर्ति के कई पूर्व सहयोगी एवं छात्रों ने भी उनके साथ काम करने के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय विषविज्ञान, जैवोपचारण एवं व्यावसायिक स्वास्थ्य में प्रयोगशाला से प्राप्त निष्कर्षों को वास्तविक फील्ड सेटिंग में परिवर्तित करने में उनकी दूरदर्शिता संस्थान के गेहरु परिसर की प्रयोगशालाओं द्वारा सपष्ट रूप से प्रदर्शित है।
उपर्युक्त कार्यक्रम के उपरांत 24 फरवरी से 03 मार्च तक का संस्थान का कार्यक्रम “एक सप्ताह, एक प्रयोगशाला” (वन वीक वन लैब), ओडबल्यूएएल अभियान का समापन समारोह आयोजित किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह मौजूद रहे। डॉ. भास्कर नारायण (निदेशक, सीएसआईआर- आईआईटीआर ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी (निदेशक, सीएसआईआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट्स) और डॉ. अजीत कुमार शासनी (निदेशक, सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ) इस समारोह में विशिष्ट अतिथि थे। वन वीक वन लैब समारोह के एक भाग के रूप में 27 फरवरी को आयोजित रिसर्च स्कॉलर्स पोस्टर प्रस्तुतीकरण प्रतियोगिता के पुरस्कार विजेताओं को पुरस्कार भी दिए गए। इसके साथ ही सीएसआईआर-आईआईटीआर और एनएबीएल का तीन दिवसीय संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम “फलों और सब्जियों में कीटनाशक अवशेषों का विश्लेषण” के प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि ने सम्मानित किया। इसी के साथ ही यह कार्यक्रम सम्पन्न हो गया।