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अनीता सहगल वसुंधरा के नाम रही साहित्य, सम्मान और विश्व रिकॉर्ड की यादगार शाम

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। कभी-कभी शहरों की शामें साधारण नहीं होतीं, वे इतिहास लिखती हैं।  लखनऊ के लिए ऐसी ही एक शाम बनकर सामने आई, जब अंतरराष्ट्रीय बोध शोध संस्थान का सभागार साहित्य, प्रतिभा, उपलब्धि और मानवीय मूल्यों के संगम का साक्षी बना। मंच पर नाम था डॉ. अनीता सहगल ‘वसुंधरा’, और केंद्र में था उनका शब्द-संसार, जिसने रिकॉर्ड भी रचे और प्रेरणा भी दी।

लता फाउंडेशन एवं ब्लू टर्टल प्रोडक्शंस के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस भव्य समारोह में मेगा पुस्तक विमोचन, वर्ल्ड रिकॉर्ड सम्मान समारोह और प्रतिभा श्री सम्मान  सीजन 2 का सफल आयोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पवन सिंह चौहान (विधान परिषद सदस्य) द्वारा 51 पुस्तकों का विमोचन जब किया गया तो मंच स्वयं साहित्य बन गया। 

कार्यक्रम की शुरुआत किसी औपचारिक दीप प्रज्वलन से अधिक एक साहित्यिक घोषणा जैसी थी। जैसे ही मंच पर डॉ. अनीता सहगल ‘वसुंधरा’ द्वारा रचित 51 पुस्तकों का एक साथ विमोचन हुआ, सभागार तालियों से गूंज उठा। यह केवल पुस्तकों का विमोचन नहीं था, बल्कि उस सतत साधना का सार्वजनिक उत्सव था, जिसमें लेखन को जीवन और जीवन को लेखन बनाया गया।

विविध विधाओं कविता, कहानी, सामाजिक विमर्श, आत्मचिंतन और प्रेरक साहित्य पर आधारित ये पुस्तकें अनीता सहगल की बहुआयामी लेखनी का प्रमाण हैं। यही कारण रहा कि उन्हें सबसे कम समय में विभिन्न विधाओं में 51 पुस्तकें लिखने का विश्व रिकॉर्ड प्रदान किया गया। यह रिकॉर्ड न केवल संख्या का था, बल्कि लेखन की निरंतरता, अनुशासन और विचारशीलता का भी।

इस अवसर पर डॉ. अनीता सहगल ‘वसुंधरा’ को वर्ल्ड रिकॉर्ड और किंग्स बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की ‘अमैजिंग ब्रिलियंस’ श्रेणी में सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके लेखन को अंतरराष्ट्रीय पहचान देने वाला क्षण बन गया।

मुख्य अतिथि पवन सिंह चौहान ने डॉ. अनीता सहगल को बधाई देते हुए कहा कि जब लेखनी समाज के लिए काम करती है, तब वह केवल साहित्य नहीं, संस्कार भी रचती है। यह आयोजन यह संदेश देकर गया कि जब प्रतिभा को मंच मिलता है, तो वह केवल सम्मान नहीं पाती, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा की रोशनी बन जाती है। 

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रति शंकर त्रिपाठी (अध्यक्ष, भारतीय नाट्य अकादमी) ने कहाकि अनीता सहगल की जितनी तारीफ की जाये कम है। इन्होंने जो 51 किताबों लिखी हैं, वह कोई आसान काम नहीं है। अनीता की लेखनी सरल, स्पष्ट और प्रभावी है। इनकी पुस्तक साहित्य जगत में एक महत्वपूर्ण योगदान साबित होगी। फिल्म निर्माता मुकेश पाण्डेय ने कहा कि इनकी पुस्तकें न केवल समाज के संघर्षों को प्रदर्शित करती है, बल्कि यह आशा और बदलाव की दिशा में प्रेरणा भी देती है। डॉ0 अनीता सहगल ने बाल साहित्य पर लगभग 20 पुस्तकें लिखी हैं, ये पुस्तकें वास्तव में बच्चों के लिये बहुत ही प्रेरणादायी साबित होगीे। 

एक्सक्यलिसिव वर्ल्ड रिकार्डस से पधारे पंकज खटवानी ने कहा कि आज हम लोगों को लखनऊ की बहुमुखी प्रतिभा की धनी अनीता सहगल का नाम वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कराते हुए बहुत ही गर्व का अनुभव हो रहा है। उन्होंने कहा ऐसी प्रतिभा असाधारण है, जिन्होंने इतने कम समय में 51 किताबों को लिखकर एक विश्व रिकार्ड बना लिया।

इस अवसर पर न्यायमूर्ति विश्वनाथ, विधायक संतकबीरनगर, गणेश चौहान, पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ0 सूर्य कुमार शुक्ल, फिल्म निर्माता, निर्देशक कीर्ति कुमार आहूजा, शोध संस्थान के निदेशक राकेश सिंह, फिल्म निर्देशक, योगेश मिश्रा, राष्ट्रकवि कुमार पंकज, हैदर अब्बास, एम0एल0 मिश्रा, अनुराग सक्सेना, सामाजिक कार्यकर्ता ममता राजपूत, योगन्द्र मिश्रा, एस0एन0 मेहरोत्रा सहित शहर के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। अन्त में इन्डियन फिल्मस एकादमी के संस्थापक दिनेश कुमार सहगल ने समस्त अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किये।