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श्रीगुरु तेगबहादुर जी ने धर्म के लिए शीश कटवाया : कौशल

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। श्रीगुरु तेग बहादुर साहिब जी महाराज के 350वें शहीदी शताब्दी के अवसर पर भारती भवन, संघ कार्यालय में श्रीगुरु तेगबहादर साहिब सेवा समिति द्वारा श्रीगुरुग्रन्थसाहिब की स्थापना व शबद कीर्तन का आयोजन सम्पन्न हुआ।

बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित सत्संग शब्द कीर्तन कार्यक्रम में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचारक कौशल ने कहा कि, श्रीगुरु तेग बहादुर साहिब जी महाराज एकमात्र ऐसे संत-योद्धा हैं जिन्होंने अपने ही नहीं अपितु दूसरों के धर्म की रक्षा हेतु अपना शीश दे दिया। सन् 1675 का वह समय था जब मुगल बादशाह औरंगजेब ने पूरे हिन्दुस्तान में जबरन इस्लाम कबूल कराने का भयानक अभियान चला रखा था। कश्मीरी पण्डित सबसे ज्यादा संकट में थे। मंदिर तोड़े जा रहे थे, जजिया कर थोपा जा रहा था। विरोध करने वालों को मृत्युदण्ड दे दिया जाता था। 

उन्होंने कहा कि अंत में कश्मीर के 500 ब्राह्मणों का एक दल अपने धर्म की रक्षा की गुहार लेकर आनंदपुर साहिब पहुंचा। उस समय गुरु जी अपने पुत्र,बाल गोबिंद राय जो बाद में गुरु गोबिंद सिंह जी कहलाए उनके साथ थे। जब गोबिंद राय ने पूछा कि इनकी रक्षा कौन कर सकता है, तो गुरु जी ने शांत स्वर में कहा – “केवल कोई महान संत ही ऐसा कर सकता है।” बालक ने तुरंत कहा, “पिता जी, आपसे बड़ा संत और कौन है?” बस यही एक वाक्य था। गुरु तेग बहादुर जी ने तुरंत फैसला ले लिया। वे अपने पंच प्यारे सिखों – भाई मतिदास, भाई सतिदास, भाई दयाला, भाई गुरबख्श और भाई उद्धा के साथ दिल्ली की ओर चल पड़े। उन्हें पहले आगरा फिर दिल्ली लाया गया और चांदनी चौक की कोतवाली में कैद कर लिया गया।

प्रान्त प्रचारक कौशल गुरु ग्रन्थ साहिब को अपने शीश पर उठाकर गुरु स्थान तक ले गए। कार्यक्रम के आयोजक गुरु तेग बहादर साहिब सेवा समिति द्वारा श्री गुरु तेग बहादुर के जीवन पर आधारित संक्षिप्त इतिहास परिचय पत्रक वितरण एवं विशाल लंगर का आयोजन किया गया।