विज्ञान फाउंडेशन ने किया श्रमिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। विज्ञान फाउंडेशन द्वारा इंडिया लेबर लाइन कार्यक्रम के अंतर्गत मंगलवार को आश्रय गृह, पल्टन छावनी में श्रमिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न वर्गों के श्रमिकों की समस्याओं को समझना और उनके समाधान के लिए नीति स्तर पर सुझाव एकत्र करना था।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रमुख सचिव, श्रम एवं सेवायोजन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार डॉ. एमके शन्मुगा सुन्दरम उपस्थित रहे। उनके अलावा जिला श्रम न्यायालय के पीठासीन अधिकारी बीके राय, दत्तोपंत ठेंगड़ी श्रमिक शिक्षा बोर्ड के प्रतिनिधि सीपी सिंह, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य परमानन्द, नगर निगम जोन-3 की अवर अभियंता नीतू वर्मा, विज्ञान फाउंडेशन के सचिव संदीप खरे तथा संतोष यादव भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
कार्यक्रम में घरेलू कामगार महिला श्रमिक, गिग वर्कर्स, भवन निर्माण मजदूर तथा चिकनकारी और जरदोजी कार्य से जुड़े श्रमिकों सहित 200 से अधिक श्रमिकों ने भाग लिया।

घरेलू कामगार महिला ममता ने कहा कि “हमारे काम के घंटे तय नहीं हैं और मजदूरी का कोई निश्चित प्रावधान नहीं है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में घरेलू कामगारों के लिए कोई बोर्ड नहीं बना है। सरकार से हमारी मांग है कि हमारे लिए भी एक बोर्ड का गठन किया जाए।” चिकनकारी का काम करने वाली महिला नूरजहां ने बताया कि कढ़ाई का काम करने के लिए 60 रुपए की मजदूरी मिलती है, जो कि बहुत कम है।
संतोष यादव ने कहा कि दिहाड़ी मजदूर संगठन असंगठित मजदूरों का संगठन है। मजदूरों के लंबित मामले हैं। श्रमिक साइट नहीं चलती है। इससे हजारों मजदूरों का रिन्युवल नही हुआ है। यह कार्य कैंप के माध्यम से किया जा सकता है। बकाया मजदूरी के मामले सबसे अधिक हैं। इस मामले में यदि श्रम विभाग कोई पोर्टल जारी करे तो मजदूरो को काफी मदद मिल सकती है। समस्याओं का आवेदन कर सके और उसका निस्तारण हो सके।
गिग श्रमिक उमेश ने कहा कि मजदूर 16 से 17 घंटे काम करता है लेकिन इस महंगाई में बचत नहीं हैं। बच्चों की उच्च शिक्षा में समस्या आती है। स्विगी इंस्टा मार्केट में 18 घंटे तक काम करना पड़ता है। दुर्घटना के दौरान कोई सुरक्षा नहीं है। 10 मिनट में डिलीवरी पहुंचने की चुनौती रहती हैं। इससे जान जोखिम में डालकर डिलीवरी करते हैं।
राष्ट्रीय श्रमिक शिक्षा एवं विकास बोर्ड के सीपी सिंह ने बताया कि भारत में 50 क्षेत्रीय निदेशालय है। उत्तर प्रदेश में 5 संचालित है जिससे पूरे 75 जिलों की मॉनिटरिंग की जाती हैं। इसमें सुधार की जरूरत है।

विज्ञान फाउंडेशन के संदीप खरे ने कहा कि घरेलू कामगारों की संख्या बहुत ज्यादा है। श्रमिकों के 45 से 50 काम करने के तरीके हैं उनमें घरेलू कामगारों का जिक्र है। हाउस टैक्स का आधा प्रतिशत मिल जाए तो एक घरेलू कामगार बोर्ड स्थापित हो सकता है, 40 प्रतिशत व्यवसाय ऑनलाइन हुआ है। सेवाओं का तरीका भी बदल रहा है। उन्होंने बताया कि आज एप के माध्यम से 100 रुपए में माली एक घंटे के लिए मिल जाता है। 50 रुपए में आधे घंटे के लिए घरेलू कामगार महिला मिल जाती हैं। ऐसे विज्ञापन सोशल मीडिया के माध्यम से देखने को मिल रहे हैं। अतः ऐसे एप पर एक नीति बनाने की आवश्यकता है। बीओसी बोर्ड में स्किल बेस ट्रेनिंग दी जाए जिससे श्रमिकों को लाभ मिल सके।
विज्ञान फाउंडेशन के गुरु प्रसाद ने बताया कि इंडिया लेबर लाइन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रतिमाह 200 से 250 शिकायत दर्ज होती हैं। इसका सेंटर सिर्फ लखनऊ में है, जिससे अन्य 74 जिलों में शिकायतों को निस्तारण करने में समस्या होती है। 1 करोड़ 83 लाख बकाया मजदूरी लेबर लाइन ने दिलवाई है। पिछले वर्ष 1463 शिकायत दर्ज हुई थी, जिसमे 2500 से अधिक श्रमिक लाभान्वित हुआ हैं।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मामले देखने वाले लीगल एडवाइजर परमानंद ने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष डीएम और सचिव अपर जिला जज होते हैं। कोई मैकेनिज्म नहीं है, जिससे समस्याओं का समाधान हो सके। उन्होंने कहा कि यदि लीगल एड क्लीनिक की स्थापना हो जाए तो मदद मिल सकती है। इसका जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में प्रावधान है।
अपने उद्बोधन में प्रमुख सचिव डॉ. एमके शन्मुगा सुन्दरम ने कहा कि जब मजदूरों के बीच आया तो उनका दर्द पता चला है। शासन और कार्यालय में तो सिर्फ मीटिंग होती है और हम मजदूरों के असली मुद्दे को जान भी नहीं पाते। मेरी पूरी कोशिश रहेगी की जिन मुद्दों को श्रमिकों ने उठाया है, उस पर सरकार की मदद से पूरी सहायता पहुंचा सकूँ। उन्होंने कहा कि सरकार श्रमिकों की वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए गंभीर है। निर्माण श्रमिकों के नवीनीकरण (रिन्यूअल) को सरल बनाने हेतु पंजीकृत श्रमिकों के मोबाइल नंबर पर रिमाइंडर संदेश (SMS Reminder) भेजने की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि गिग श्रमिकों के लिए आगामी दिनों में बेहतर सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी।
डॉ. सुन्दरम ने यह भी घोषणा की कि आश्रय गृह, पलटन छावनी में भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (BOCW) द्वारा दो दिवसीय पंजीकरण और नवीनीकरण शिविर आयोजित किए जाएंगे, जिससे श्रमिकों को सुविधा मिल सके। उन्होंने विज्ञान फाउंडेशन के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि संस्था द्वारा आश्रय गृह में ठहरने वाले श्रमिकों को दी जा रही सुविधाओं से उन्हें काफी लाभ मिल रहा है।
जिला श्रम न्यायालय के पीठासीन अधिकारी बीके राय ने कहा कि श्रमिकों को सजग रहना चाहिए और यदि उन्हें किसी तरह की परेशानी होती है तो वे श्रम न्यायालय या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
प्रमुख सचिव ने शेल्टर होम की व्यवस्था देखी
मजदूरों से संवाद के बाद विज्ञान फाउंडेशन के संदीप खरे ने प्रमुख सचिव श्रम डॉ. एमके शंमुन्गा सुंदरम को शेलटर होम की पूरी व्यवस्था दिखाई। इस दौरान प्रमुख सचिव ने मजदूरों के खाने की व्यस्वस्था, सोने की व्यवस्था, शौचालय आदि का निरीक्षण किया।
प्रमुख सचिव श्रम ने अपने कैमरे में कैद की तस्वीरें
निरीक्षण के दौरान प्रमुख सचिव श्रम डॉ. एमके शंमुन्गा सुंदरम को विज्ञान फाउंडेशन के संदीप खरे ने मजदूरों के लिए तैयार होने वाले भोजन की सूची दिखाई। प्रमुख सचिव श्रम ने अपना मोबाइल निकालकर उस भोजन सूची को अपने मोबाईल में कैद कर लिया। इसके साथ ही मजदूरों के लिए डोरमेट्री रूम और सजे हुए बेडों को भी कैमरे में कैद किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में अमर सिंह, अमित सिंह, मोहम्मद अदनान खान, जीतेन्द्र और अनन्या बनर्जी का विशेष सहयोग रहा।
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