उत्तर प्रदेश से सुदूर पूर्वोत्तर तक गूंजा विकास का पहिया
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। वर्ष 2025 भारत के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धियों का प्रतीक बन गया। इस वर्ष रेलवे, सड़क, उड्डयन, बंदरगाह, ऊर्जा और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसी सभी आधारभूत संरचनाओं ने नई रफ्तार पकड़ी, जिसने भारत की विकास यात्रा को मजबूती दी। उत्तर प्रदेश सहित देश के प्रत्येक भाग में कनेक्टिविटी बढ़ी, यात्रा का समय घटा और विकास की दिशा में ठोस प्रगति हुई। यह वह वर्ष रहा जब भारत की महत्वाकांक्षाएं हकीकत में बदलती दिखीं।
सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 में इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए पूंजीगत निवेश को बढ़ाकर ₹11.21 लाख करोड़ कर दिया, जो देश की जीडीपी का लगभग 3.1 प्रतिशत है। अनुमान है कि भारत अब हर 12 से 18 महीनों में अपनी जीडीपी में एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर जोड़ने की क्षमता विकसित कर चुका है। इस निवेश ने देश में निर्माण और संपर्क का ऐसा तंत्र तैयार किया है जो आर्थिक विकास का गुणक बन चुका है।
रेलवे क्षेत्र में मिजोरम पहली बार भारत के राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जुड़ कर इतिहास रच गया। ₹8,000 करोड़ से अधिक की लागत से बनी बैराबी-सैरंग लाइन ने आइजोल को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ा, जिससे न केवल लोगों की आवाजाही सुगम हुई बल्कि कृषि और बागवानी उत्पादों के लिए नए बाजार भी खुले। इसी वर्ष उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक प्रोजेक्ट के तहत दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब ब्रिज का उद्घाटन हुआ, जिसने कश्मीर को हर मौसम में देश से जोड़ा। वहीं बिहार की पहली वंदे मेट्रो शुरू हुई, जिसने जयनगर और पटना के बीच यात्रा समय घटाकर साढ़े पांच घंटे कर दिया और आधुनिक रेल यातायात के नए युग की शुरुआत की।
सागर और आसमान ने भी भारत की प्रगति का विस्तार देखा। तमिलनाडु में देश का पहला वर्टिकल-लिफ्ट समुद्री पुल ‘नया पंबन पुल’ operational हुआ, जबकि केरल में 8,900 करोड़ रुपये की लागत से बने ‘विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय गहरे पानी के बंदरगाह’ का उद्घाटन हुआ। जिसने भारत को पहला डेडिकेटेड कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट दिया। नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पहले चरण के शुरू होने से देश की विमानन क्षमता में बड़ी छलांग हुई। वर्तमान में भारत के हवाई अड्डों की संख्या 163 तक पहुंच चुकी है, और सरकार का लक्ष्य 2047 तक इसे 350-400 तक करने का है।
भारत की तेज़ी से बढ़ती शहरी आबादी के लिए मेट्रो नेटवर्क ने जीवन को और सुविधाजनक बनाया। मेट्रो प्रणाली की लंबाई अब 1,013 किलोमीटर हो गई है, जिससे भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क बन गया है। दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का पूरा कॉरिडोर चालू होने से यात्रियों को राजधानी से मेरठ तक मात्र 55 मिनट में यात्रा संभव हुई। उधर, बेंगलुरु में येलो लाइन मेट्रो सेवा शुरू हुई, जिसने शहर के केंद्रीय क्षेत्र को उसके टेक्नोलॉजी हब इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी से जोड़ा।
ऊर्जा और डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में भी 2025 एक आशा भरा वर्ष सिद्ध हुआ। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले के 17 गांवों में पहली बार ग्रिड बिजली पहुंची, जिससे 540 परिवारों के घर जगमगा उठे। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के आदिवासी गांव काटेझारी में बस सेवा की शुरुआत हुई और बीजापुर के कोंडापल्ली में पहली बार मोबाइल नेटवर्क पहुंचा, जिससे इन इलाकों का देश के विकास तंत्र से जुड़ाव हुआ।
नौसैनिक शक्ति में भी अभूतपूर्व उपलब्धियां दर्ज हुईं। अगस्त 2025 में भारत ने दो स्वदेशी स्टील्थ फ्रिगेट—आईएनएस हिमगिरि और आईएनएस उदयगिरि—को नौसेना में शामिल किया, जिससे देश की समुद्री सुरक्षा प्रणाली और भी सुदृढ़ हुई।
वर्ष 2025 को सचमुच नए भारत के निर्माण का वर्ष कहा जा सकता है—एक ऐसा वर्ष जब इंफ्रास्ट्रक्चर न केवल निर्माण या कनेक्टिविटी तक सीमित रहा, बल्कि देशवासियों की उम्मीदों, सपनों और आत्मविश्वास का वास्तविक स्वरूप बन गया। उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वोत्तर, दक्षिण और सीमांत क्षेत्रों तक यह विकास यात्रा एक प्रगतिशील, आधुनिक और आत्मनिर्भर भारत की कहानी कह रही है।
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