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लखनऊ के होटल व्यवसायी सुरेंद्र कुमार जायसवाल बने एफएचआरएआई के अध्यक्ष

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) ने हाल ही में सुरेंद्र कुमार जायसवाल को अपना नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। श्री जायसवाल इससे पहले होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ नॉर्दर्न इंडिया (एचआरएएनआई) और उत्तर प्रदेश होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन (यूपीएचआरए) के अध्यक्ष रह चुके हैं।

अध्यक्ष पद का कार्यभार संभालने के बाद, श्री जायसवाल ने भारत के आतिथ्य क्षेत्र को सशक्त बनाने की अपनी दृष्टिकोण को साझा किया। जिसमें उन्होंने निष्पक्षता, सतत विकास और समावेशिता पर विशेष बल दिया गया। उन्होंने कहा कि एफएचआरएआई सरकार और नियामक संस्थाओं के साथ मिलकर अनुपालन प्रक्रियाओं को सरल बनाने, संचालन को सुगम करने और छोटे-बड़े सभी होटलों व रेस्टोरेंट्स में जिम्मेदार व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

श्री जायसवाल ने कहा, “हमारा उद्योग समुदायों और अवसरों पर आधारित है। हमारे सदस्यों के सहयोग से हम आतिथ्य क्षेत्र को न केवल प्रतिस्पर्धी और कुशल बना सकते हैं, बल्कि इसे समावेशी और जिम्मेदार भी बना सकते हैं।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतिथ्य और पर्यटन क्षेत्र भारत सरकार के 2030 तक पर्यटन का योगदान जीडीपी के 10% तक पहुँचाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह लक्ष्य हाल ही में केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत द्वारा भी दोहराया गया था। एफएचआरएआई इस दिशा में घरेलू पर्यटन को सशक्त बनाने, मेट्रो शहरों के बाहर सेवाओं के विस्तार और टियर-2 व टियर-3 शहरों में निवेश को प्रोत्साहित करने के माध्यम से योगदान देने का प्रयास करेगा।

संरचनात्मक चुनौतियों पर ध्यान देते हुए, उन्होंने 5% जीएसटी स्लैब के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की पुनर्बहाली की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आईटीसी हटाए जाने से होटलों की रिकवर न हो सकने वाली लागतें बढ़ गई हैं, विशेष रूप से किराया, यूटिलिटी, आउटसोर्स स्टाफ और पूंजीगत व्यय जैसे खर्चों पर। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “₹1 करोड़ की नवीनीकरण परियोजना पर अब ₹18 लाख का गैर-क्रेडिटेबल जीएसटी लगता है, जिससे नकदी प्रवाह और दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता पर दबाव बढ़ता है। आईटीसी की बहाली से अतिथियों के लिए आवास की लागत को संतुलित रखने और नए निवेशों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, विशेषकर बड़े शहरों के बाहर।”

तकनीक और नवाचार पर जोर देते हुए, श्री जायसवाल ने सदस्यों से डिजिटल टूल्स और एआई आधारित समाधानों को अपनाने का आग्रह किया, ताकि परिचालन दक्षता बढ़ाई जा सके। अतिथि अनुभव बेहतर हों और डेटा-आधारित व्यावसायिक निर्णय लिए जा सकें। उन्होंने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से भी आग्रह किया कि तीन सितारा और पाँच सितारा होटलों को ‘रेड’ श्रेणी से हटाकर ‘ग्रीन’ श्रेणी में शामिल किया जाए, ताकि उनके पर्यावरण-अनुकूल और जिम्मेदार संचालन को मान्यता मिल सके।

उन्होंने दोहराया कि आतिथ्य क्षेत्र केवल पर्यटन को ही नहीं बढ़ाता, बल्कि यह रोजगार और सामुदायिक विकास की नींव भी है।

उन्होंने कहा, “आतिथ्य क्षेत्र किसानों और कारीगरों से लेकर शेफ और मैनेजर तक सभी को जोड़ता है। हमारा लक्ष्य एक ऐसा उद्योग बनाना है जो जिम्मेदारी से बढ़े, समावेशी अवसर पैदा करे और 2047 तक विकसित भारत के व्यापक दृष्टिकोण का समर्थन करे।”

एफएचआरएआई ने अंत में सरकार से नीतिगत सुधारों और सुधारात्मक कदमों की ठोस अपील की, यह कहते हुए कि निर्णायक कार्रवाई से यह क्षेत्र अपनी आर्थिक हिस्सेदारी बढ़ा सकेगा। प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार कर सकेगा और भारत को एक वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में सशक्त बना सकेगा।