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एमवे इंडिया के ‘पावर ऑफ 5’ पोषण कार्यक्रम के पहले चरण से मिले शानदार परिणाम

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। बाल कुपोषण से लड़ाई में एक अहम कदम उठाते हुए, एमवे इंडिया ने चाइल्डफंड इंडिया के साथ मिलकर लखनऊ में अपने प्रमुख ‘पावर ऑफ 5’ सामुदायिक पोषण कार्यक्रम का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा किया है। छह साल से कम उम्र के बच्चों और उनके परिवारों की सेहत सुधारने पर केंद्रित इस पहल ने उम्मीदों से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया जिससे 1,75,000 से ज्यादा लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आया। 25 शहरी झुग्गी बस्तियों और 100 से अधिक आंगनवाड़ी केंद्रों में चलाए गए इस कार्यक्रम में पोषाहार उपलब्धता के साथ-साथ स्वच्छता शिक्षा और व्यवहार में बदलाव पर जोर दिया गया ताकि लंबे समय तक सेहत पर अच्छा प्रभाव पड़े।

इस प्रोजेक्ट के बारे में बात करते हुए एमवे इंडिया के प्रबंध निदेशक रजनीश चोपड़ा ने कहा, “भारत में बाल कुपोषण एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है जो करोड़ों लोगों की सेहत और जीवन को प्रभावित कर रही है। पोषण के क्षेत्र में अपनी गहन विशेषज्ञता के साथ, हम अपने ‘पावर ऑफ 5’ कार्यक्रम के जरिए जमीनी स्तर पर पोषण सहायता को स्वच्छता शिक्षा और व्यवहार में बदलाव के साथ जोड़कर इस चुनौती से निपटने में मदद कर रहे हैं। लखनऊ में जो कुछ हमने देखा है, वह इस बात का शानदार उदाहरण है कि कैसे समुदायिक सहयोग से स्थायी बदलाव लाया जा सकता है एवं बच्चों को मजबूत बनाने, परिवारों को अधिक लचीला बनाने और समुदायों को एक स्वस्थ भविष्य की ओर ले जाने में मदद कर सकते हैं। इस कार्यक्रम के नतीजे काफी उत्साहजनक हैं और हम आने वाले सालों में भारत के और भी क्षेत्रों में इसे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

60,000 से अधिक माताओं/देखभाल करने वालों और 6,500 से ज्यादा बच्चों सहित कुल 1,75,000 लोगों को फायदा पहुंचाने वाले इस पावर ऑफ 5 कार्यक्रम ने आयरन की कमी और कुपोषण से निपटने में बड़ी सफलता हासिल की है। 1,600 बच्चों को ‘न्यूट्रिलाइट लिटिल बिट्स’ दिया गया—यह WHO के दिशा-निर्देशों के अनुसार वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया गया एक सूक्ष्म पोषक तत्वों का पूरक है। डेटा आधारित इस दृष्टिकोण से एमवे इंडिया और चाइल्डफंड इंडिया को पूरी प्रक्रिया के दौरान परिणामों को ट्रैक करने और मापने में मदद मिली।

प्रमुख उपलब्धियां – चरण 1, पावर ऑफ 5 प्रोजेक्ट, लखनऊ

जून 2024 – मई 2025

एंड-लाइन सर्वे सैंपल साइज: 1200 बच्चे; पोषण शिक्षा का हिस्सा और 6 महीने तक माइक्रोन्यूट्रिएंट सप्लीमेंट, न्यूट्रिलाइट लिटिल बिट्स, के साथ दिया गया।

आयरन की कमी से सामान्य श्रेणी में आने वाले बच्चे

33 प्रतिशत

(37 प्रतिशत – 70 प्रतिशत तक का बदलाव)

हीमोग्लोबिन के औसत स्तर में बढ़ोतरी 10.33 प्रतिशत

(10.49 g/dL से 11.44 g/dLतक)

कुपोषित बच्चों के औसत जोखिम रैंकिंग स्कोर में समग्र कमी 38 प्रतिशत (2.98 से 1.84 तक)

कम वजन वाले औसत जोखिम रैंकिंग स्कोर में प्रभावी कमी 53 प्रतिशत

एंडलाइन सर्वे का सैंपल साइज: 250 बच्चे/माता-पिता – व्यवहारिक बदलाव और आईसीडीएस सेवाओं की जागरूकता पर

बच्चों में हाथ धोने की आदत में सुधार 36 प्रतिशत से बढ़कर 87 प्रतिशत, खाना खाने से पहले और बाद में शौच के बाद 30 प्रतिशत से बढ़कर 98 प्रतिशत,

बाहर खेलने के बाद 27 प्रतिशत से बढ़कर 81 प्रतिशत

बच्चों के पास वैक्सीनेशन कार्ड होने की स्थिति (प्रतिशत में) 66 प्रतिशत से बढ़कर 92 प्रतिशत,

माता-पिता में अपने बच्चों के वैक्सीनेशन की स्थिति के बारे में जानकारी 26 प्रतिशत से बढ़कर 84 प्रतिशत

12 महीने के इस पहले चरण के अंत तक यह साफ दिखा कि 70 प्रतिशत बच्चे सामान्य स्वास्थ्य श्रेणी में आ गए थे, जबकि पहले यह संख्या सिर्फ 37 प्रतिशत थी, यह इस कार्यक्रम के मजबूत प्रभाव को दिखाता है। 33 प्रतिशत से अधिक बच्चों में आयरन की कमी दूर हो गई, जिसका सबूत हीमोग्लोबिन के स्तर में बढ़ोतरी से मिला—यह 10.49 gm/dL से बढ़कर 11.44 gm/dL हो गया। औसत जोखिम रैंकिंग स्कोर में 38 प्रतिशत की कमी, जो बौनापन, क्षीणता और कम वजन की समस्याओं को मिलाकर मापा जाता है—इस हस्तक्षेप की सफलता को और भी पुख्ता करता है। इसके साथ ही इस पहल ने घरों और समुदायों के स्तर पर भी शानदार व्यवहारिक बदलाव लाए। हाथ धोने की आदतों में जबरदस्त सुधार हुआ।

वैक्सीनेशन की पहुंच भी बढ़ी, वैक्सीनेशन कार्ड रखने वाले परिवारों की संख्या 66 प्रतिशत से बढ़कर 92 प्रतिशत हो गई। सरकारी एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) का उपयोग 27 प्रतिशत से बढ़कर 73 प्रतिशत हो गया, जबकि आंगनवाड़ी केंद्रों से पूरक पोषाहार लेने वाले बच्चों की संख्या 54 प्रतिशत से बढ़कर 89 प्रतिशत हो गई। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं के साथ बेहतर जुड़ाव और संस्थागत देखभाल पर समुदाय के बढ़ते भरोसे का संकेत है।

चाइल्ड फंड इंडिया की डायरेक्टर – प्रोग्राम एंड इम्पैक्ट, डॉ. श्रावंती सेन ने कहा, “लखनऊ में हमारे काम से पता चलता है कि जब समुदायों को सही ज्ञान, संसाधन और सहायता के साथ वास्तव में सशक्त बनाया जाता है, तो स्थायी बदलाव हकीकत बन जाता है। कुपोषण का समग्र रूप से सामना करके पोषण हस्तक्षेप को शिक्षा, जागरूकता निर्माण और आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के साथ जोड़कर हम सबसे कमजोर बच्चों और परिवारों तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं। यह दृष्टिकोण न केवल तत्काल स्वास्थ्य परिणामों में सुधार लाता है बल्कि स्थायी कल्याण की नींव भी रखता है। हम यहां जो कुछ बना रहे हैं वह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं है, यह बाल स्वास्थ्य में समानता की दिशा में एक आंदोलन है।”

2018 में शुरू हुई एमवे इंडिया की पावर ऑफ 5 पहल ने गुरुग्राम, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और लखनऊ जैसे शहरों में 1,30,000 बच्चों सहित 7,40,000 से अधिक लोगों की जिंदगी पर प्रभाव डाला है। लखनऊ में पहले चरण का पूरा होना एक स्वस्थ और मजबूत पीढ़ी बनाने में विभिन्न क्षेत्रों के सहयोग की शक्ति का मजबूत प्रमाण है। मापने योग्य परिणामों और दीर्घकालिक बदलाव पर केंद्रित होकर, एमवे इंडिया लोगों को बेहतर जीवन जीने में मदद करने के अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाता रहता है।