Sunday , August 24 2025

अपनी संस्कृति, प्रकृति एवं प्रगति के अनुरूप बने देश की शिक्षा

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। देश की शिक्षा को एक नया विकल्प देने के उद्येश्य से शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, अवध प्रांत के तत्वावधान में विकसित भारत हेतु शिक्षा विषय पर रघुवर भवन के सभागार में न्यास के उद्येश्यों जैसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020), भारतीय ज्ञान परंपरा, वैदिक गणित, पर्यावरण, पञ्च कोष आधारित चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास आदि न्यास के अन्य विषयों पर चिंतन बैठक व् महत्वपूर्ण विमर्श का आयोजन किया गया। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सदस्य विधान परिषद् इंजी. अवनीश सिंह थे एवं अध्यक्षता राष्ट्रीय सह संयोजक, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली संजय स्वामी ने की l कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन, ॐकार के सामूहिक वाचन और बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत ईश्वर वंदना द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन न्यास के प्रांत संयोजक प्रचार प्रसार दीप नारायण पांडेय ने किया।

सर संघ चालक मोहन भागवत के सानिध्य में केरल में आयोजित राष्ट्रीय चिंतन बैठक में भाग लेकर लौटे शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास अवध प्रांत के संयोजक प्रमिल द्विवेदी ने अपने अनुभव साझा किये। अतिथियों के स्वागत संबोधन के साथ न्यास का संक्षिप्त परिचय देते हुए उन्होंने कहा कि देश की शिक्षा अपनी संस्कृति, प्रकृति एवं प्रगति के अनुरूप बने देश की शिक्षा को एक नया विकल्प देने के लिए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का गठन किया गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर कार्य के अंतर्गत हमने देश भर में 400 से अधिक संगोष्ठियों,कार्यशालाओं, परिचर्चाओं आदि को आयोजित करके सुझाव दिए। अब शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं जो फलित होते हुए दिख रहे हैं।

मुख्य अतिथि इंजी अवनीश सिंह ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा राष्ट्रहित में किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा। स्वतंत्रता के बाद अपेक्षा थी कि देश की शिक्षा का स्वरुप भारतीय द्रष्टिकोण से अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप होगा परन्तु ऐसा नहीं हुआ। न्यास द्वारा किये जा रहे शिक्षा में भारतीयता का समावेश, विकसित भारत में शैक्षिक संस्थाओं की भूमिका विषय को लेकर देश की लगभग 100 से अधिक संस्थाओं में किये जा रहे प्रयासों और उससे प्राप्त हो रहे परिणामों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाना है, तो देश के छात्रों को आत्मनिर्भर बनाना होगा और छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने का सशक्त माध्यम शिक्षा है।

आज के वक्ताओं ने अपने उद्बोधन में अपने अपने विषयों पर प्रकाश डाला। जिसमे प्रख्यात शिक्षाविद ज्ञान पाण्डेय ने विकसित भारत हेतु शिक्षा, सत्येन्द्र त्रिपाठी ने पञ्च कोष आधारित चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास पर अपने विचार रखे।

नई दिल्ली से पधारे न्यास के राष्ट्रीय सह संयोजक संजय स्वामी ने अपने उद्बोधन में बताया कि अवध प्रांत में न्यास के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए संगठन का मजबूत होना अति आवश्यक है। कार्यकर्ता निर्माण, प्रशिक्षण, अभ्यास वर्ग, कार्यपद्धति सहित संगठन के दयित्ववान कार्यकर्ताओं के व्यक्तित्व विकास और उनसे अपेक्षाएं आदि अन्य विन्दुओं पर अपने सुझाव दिए।

उन्होंने कहा कि प्रमिल द्विवेदी को अवध प्रांत के प्रांत संयोजक का दायित्व एवं डॉ कीर्ति विक्रम सिंह को सह संयोजक का दायित्व दिया गया है। हमें प्रसन्नता है कि इनके नेतृत्व में अवध प्रांत नए कीर्तिमान स्थापित करेगा। उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि लोकतंत्र में सरकार एवं समाज दोनों के संयुक्त प्रयास से ही किसी भी क्षेत्र में परिवर्तन संभव है,न्यास के द्वारा शिक्षा में परिवर्तन हेतु प्रारम्भ किये गए इन प्रयासों में आप भी तन मन धन से अपनी आहुति प्रदान करें .

प्रांत सहसंयोजक डॉ. कीर्ति विक्रम सिंह ने अपने वक्तव्य में पर्यावरण शिक्षा, भारतीय ज्ञान प्रणाली और समसामयिक चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा को समाज और प्रकृति दोनों के साथ सामंजस्यपूर्ण बनाना हमारी प्राथमिकता है।

कार्यक्रम में विशेषरूप से  प्रो कीर्ति नारायण, राजेश अग्रवाल, प्रो शीला मिश्रा, प्रवीण द्विवेदी, प्रो हिमांशु सिंह, केबी पन्त, प्रो आरके पाण्डेय, एके श्रीवास्तव, संजीव सिंह, डॉ नीता सक्सेना सहित प्रदेश भर से पधारे अनेक शिक्षाविद, वैज्ञानिक, प्रोफेसर्स, डॉक्टर्स, चिन्तक, लेखक, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता,बैंकर्स सहित मनीषा जगत से अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।