नोएडा (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा में पहली बार एक बुज़ुर्ग पेशेंट का इलाज आधुनिक ‘वॉटर वेपर रीज़ूम थेरैपी से किया गया। जिसमें बढ़े हुए प्रोस्टेट (ग्रेड 3) से जूझ रहे ग़ाज़ियाबाद निवासी 69 वर्षीय पूरन सिंह मेहरा को सर्जरी के बिना ही राहत मिली। अभी कुछ समय पहले तक ये थेरेपी केवल अमेरिका आदि देशों में ही उपलब्ध थी। यह नोएडा का पहला मामला है जिसमें इस तकनीक का सफल उपयोग किया गया। ये थेरेपी फ़ोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा के यूरोलॉजी और किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र कुमार गोयल ने की।
पूरन सिंह मेहरा कई महीनों से बार-बार पेशाब आने, पेशाब के धीमे बहाव और रात में कई बार उठने जैसी तकलीफों से परेशान थे। वे सर्जरी से बचना चाहते थे क्योंकि उनकी उम्र के हिसाब से ब्लीडिंग, इन्फेक्शन, स्ट्रिक्चर, ब्लैडर नेक कॉन्ट्रैक्चर, सेक्सुअल डिस्फंक्शन और टरप सिंड्रोम जैसे जोखिम अधिक थे। वे 16 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुए और 17 अप्रैल को उन्हें स्वस्थ अवस्था में अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
रीज़ूम एक मिनिमल इनवेज़िव प्रक्रिया है, जिसे लोकल एनेस्थीसिया के तहत डे-केयर मोड में किया जा सकता है। इसमें किसी चीरे की जरूरत नहीं होती। एक पतले सिस्टोस्कोप के ज़रिये पेशाब की नली के रास्ते प्रोस्टेट ग्रंथि तक पहुंचकर उसमें स्टेराइल पानी की भाप (वॉटर वेपर) की 6-8 इंजेक्शन दिये जाते हैं, जिससे प्रोस्टेट के ऊतक धीरे-धीरे सिकुड़ कर समाप्त हो जाते हैं और मूत्र मार्ग खुल जाता है। मरीज को कुछ दिनों तक के लिए ब्लैडर ख़ाली करने के लिए एक पतली कैथेटर दी जाती है और फिर वह सामान्य जीवन जीने लगता है।
डॉ. शैलेन्द्र गोयल ने बताया, “यह प्रक्रिया उन बुज़ुर्ग मरीजों के लिए बहुत कारगर है जो हार्ट, न्यूरोलॉजी या सांस संबंधी अन्य समस्याओं से ग्रसित होते हैं और जिनके लिए एनेस्थीसिया में जोख़िम हो सकता है। साथ ही जिन मरीजों को खून पतला करने वाली दवाएं लेनी होती हैं, उनके लिए भी यह तकनीक़ पूरी तरह से सुरक्षित है क्योंकि इसमें ब्लीडिंग का कोई खतरा नहीं होता।”