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मजदूरी के साथ ही श्रमिकों की सुरक्षा व बेहतर स्वास्थ्य भी जरूरी

वाराणसी (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। एफईएस इंडिया द्वारा व्यावसायिक स्वास्थ्य सुरक्षा एवं सामाजिक सुरक्षा के मुद्दे पर वाराणसी जनपद में श्रमिकों के साथ एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें 54 श्रमिकों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला में वाराणसी से डॉक्टर बृजेश भारती, लखनऊ से संदीप खरे, गुरुप्रसाद व गौरव गौतम मौजूद रहे।

कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य के बारे में जानकारी देते हुए लखनऊ के संदीप खरे ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) हमेशा इस बात को उठाता रहा है कि श्रमिकों को उनके रोजगार से उत्पन्न होने वाली बीमारी और चोट से बचाया जाना चाहिए। फिर भी लाखों श्रमिकों के लिए वास्तविकता बहुत अलग है। प्रतिवर्ष लाखों श्रमिकों की मृत्यु कार्य स्थल पर उपकरणों के न होने से होती है। श्रमिक कई ऐसे कार्यों में लगे रहते है जिनके कारण वे भयंकर बीमारी की चपेट में आ जाते है जिनको हम व्यावसायिक बीमारी भी कह सकते हैं।

उन्होंने बताया कि श्रमिकों को बीमारी से बचाव हेतु प्रत्येक कारखाने को आसानी से सुलभ और रखरखाव योग्य प्राथमिक चिकित्सा बक्से से सुसज्जित किया जाना चाहिए। उन्हें निर्धारित सामग्री से सुसज्जित किया जाना चाहिए। कारखाने में आमतौर पर श्रमिकों के लिए एक प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स रखा जाना चाहिए। 

गुरु प्रसाद ने बताया कि एक कर्मचारी के रूप में, काम के लिए भुगतान किए गए पारिश्रमिक के अलावा, आपकी प्राथमिक चिंता सुरक्षा है। श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने वाले प्रावधान फैक्ट्री अधिनियम, 1948 के तहत दिए गए हैं। ये प्रावधान उन परिसरों पर लागू होते हैं जहां पिछले बारह महीनों में दस या उससे अधिक श्रमिकों ने काम किया हो। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए निरीक्षकों की नियुक्ति करती है कि कारखाने नियमित रूप से कानून द्वारा प्रदान किए गए सुरक्षा और स्वास्थ्य मानकों का अनुपालन करते हैं। यदि निरीक्षक के पास शिकायत दर्ज की जाती है, तो वह कारखाने के मामलों को देख सकता है। निरीक्षक अनिवार्य रूप से ऐसी शिकायत को गोपनीय मानता है।

डॉ. बृजेश भारती ने बताया कि प्रत्येक कर्मचारी सुरक्षा की अपेक्षा करता है, चाहे वह शारीरिक सुरक्षा हो या सामाजिक सुरक्षा हो, वित्तीय सुरक्षा हो या इस प्रकार का कोई अन्य सुरक्षा उपाय हो। कर्मचारियों की शारीरिक सुरक्षा सरकार द्वारा विनियमित किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है क्योंकि यह नियोक्ताओं की प्राथमिक जिम्मेदारी है। नियोक्ता कारखाने के मुनाफे को बचाने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों के प्रावधान से बचते हैं। इसके अलावा, चूंकि नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच अक्सर शक्ति की असमानता होती है, इसलिए सरकार को कर्मचारियों के लिए सुरक्षा आवश्यकताओं को सुरक्षित करने में एक सुविधाप्रदाता के रूप में कार्य करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में मनोज भारती, विजय भारती, अशोक कुमार आदि लोगो का सराहनीय सहयोग रहा।