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1350 टीमें खोजेंगी कुष्ठ रोगी, सघन अभियान एक सितंबर से

 

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में एक से 30 सितम्बर तक सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान चलाया जाएगा, जिसमें घर-घर जाकर संभावित कुष्ठ मरीजों की पहचान की जाएगी। यह जानकारी जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. एके सिंघल ने दी। उन्होंने बताया कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 1350 टीम बनाई गई हैं। हर टीम में एक आशा कार्यकर्ता और एक पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता है।

जिला कुष्ठ रोग अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में जनपद में कुष्ठ के करीब 150 रोगी हैं, जिनमें शहरी क्षेत्र में 65 और ग्रामीण क्षेत्र में 85 हैं। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ट्रेस, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट की प्रक्रिया अपनाते हुए रोगी की शीघ्र पहचान, जांच और इलाज किया जाता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की करेक्टिव सर्जरी निशुल्क की जाती है और मरीज को श्रम ह्रास के बदले में 12,000 रुपए दिए जाते हैं। पहले 8000 रुपए दिये जाते थे, अब इस राशि को बढ़ा दिया गया है। 

उप जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डा. केडी मिश्रा ने बताया कि कुष्ठ एक संक्रमण रोग है। यह ‘माइकोबैक्टीरियम लेप्रे’ नामक जीवाणु के कारण होता है, जो एक एसिड-फास्ट रॉड के आकार का बेसिलस है। यह त्वचा के अल्सर, तंत्रिका क्षति और मांसपेशियों को कमजोर करता है। कुष्ठ रोग में त्वचा पर हल्के रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। धब्बे संवेदना रहित होते हैं और रोग की शुरुआत बहुत धीमी गति व  शांति से होती है। यह तंत्रिकाओं, त्वचा और आंखों को प्रभावित करता है। कुष्ठ अत्यधिक घातक रोग है, क्योंकि इस रोग में स्थाई शारीरिक दिव्यांगता हो सकती है। विशेष रूप से रोग में दिखने वाली दिव्यांगता ही मरीज के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने बताया कि यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह गंभीर विकृति और दिव्यांगता का कारण बन सकती है। कुष्ठ रोगियों के पैरों के तलवों में छाले, मांसपेशियों की कमजोरी और वजन में कमी सामान्य सी बात है।

जिला कुष्ठ रोग सलाहकार डा. शोमित सिंह ने बताया  कि यदि कुष्ठ रोग का शीघ्र पता चल जाए तो इसका उपचार मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) द्वारा संभव है। एमडीटी के उपचार के बाद इस रोग की पुनरावृत्ति दुर्लभ होती है। कुष्ठ रोग के लक्षण नजर आने पर अपने क्षेत्र की आशा या एएनएम से संपर्क करें या निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर परामर्श लें। सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर एमडीटी का प्रावधान है।

कुष्ठ रोग के लक्षण वाले व्यक्ति को नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए, ताकि उनका पूर्ण इलाज हो सके। लोगों को समाज में कोई भी ऐसा व्यक्ति जो कुष्ठ रोग से प्रभावित था और उनका इलाज मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) के माध्यम से हो चुका है तो उनके साथ घूमने, बैठने, खाने इत्यादि पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए।