सुजीत सिंह
लखनऊ। कहते हैं बंधनमुक्त मान्यता राज्य सृजन का स्वस्थ्य परिवेश है। परिवेश से कार्य गौरव खड़ा होता है। कार्य गौरव, राज्य गौरव का शालीन प्रयास है। प्रयास, किसी नए अथवा कठिन काम के आरम्भ संकल्प को कहते हैं। स्मरण जीवन में नवाचार के सीमित उदाहरण होते हैं, पर जो सामने आते हैं वो राज्य धर्म बनते हैं। राज्य धर्म के प्रयास राज्य में दुर्लभ है पर कुछ हैं वो उत्कृष्ट हैं। बरेली मण्डल में ऐसा ही कुछ हुआ है।
आज गौरव स्मरण का सौंदर्य दिवस है। राष्ट्रीय मानक में बरेली नवाचार राष्ट्र चिंतन में है। यहाँ अन्नपूर्णा भवन नए प्रयोग का अनूठा संकल्प उभरा है। अन्नपूर्णा भवन खाद्य सचिवालय का विविध रूप है। यह आयुक्त बरेली का मॉडल प्रयास है। प्रयास मण्डल के सभी विकास खण्डों में पूर्ण हुआ है। ग्राम निधि और मनरेगा के उत्कृष्ट प्रयोग की अनुपम प्रस्तुति, कल्पना आयुक्त बरेली सौम्या अग्रवाल ने की।
संरचना की दिशा में उपाध्यक्ष बरेली विकास प्राधिकरण (वीसी बीडीए) जोगेंद्र सिंह के हाथ बढ़े। अभिमान का विषय है कि राज्य योग के इस अभिनव प्रयोग को भारत सरकार ने देश के सामने आदर्श मॉडल के रूप में रखा।
सौम्य स्वरूप की अनुपम प्रस्तुति का प्रसन्न विजय आज अगर बरेली है तो वो उसका साकार विकास है, परन्तु इसी मूर्ति की बस्ती उपस्थिति में बस्ती नवाचार के साकार से वंचित रह गया।अंतर्राष्ट्रीय ख्याति उपलब्ध होने वाली थी उसे। दोष वहाँ की सत्तारूढ़ दल वाली क्षेत्रीय राजनीति में है। कह सकते हैं कि वहाँ माहौल जीवन से मर गया, परिवेश राजनीति पर चढ़ चला।