लखनऊ। स्माल इंडस्ट्रीज मैन्यूफेक्चर एसोसिएशन (सीमा ), एसोसिएट चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ यूपी व यूके की ओर से लघु इंडस्ट्री के सवालों पर एक दिवसीय परिचर्चा की गई। इसमें पूरे प्रदेश से करीब 150 से ज्यादा लघु उद्योग से जुड़े उद्यमियों ने हिस्सा लिया, जबकि करीब 200 से ज्यादा लोग कार्यक्रम में ऑन लाइन जुड़े। इस दौरान पूरे प्रदेश से आए उद्यमियों ने प्रदेश में एमएसएमई को बढ़ावा देने और उनके कारोबार में आने वाली समस्याओं पर चर्चा की। इस दोरान पूरे प्रदेश से करीब 50 से ज्यादा महिला उद्यमियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
कार्यक्रम के शुरूआत में एसोसिएट चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ यूपी के अध्यक्ष एलके झुनझुन वाला ने मौजूदा परिस्थितियों में एमएसएमई की जरूरतों पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि सरकार को एमएसएमई के लिए लैंड बैंक बनाने की जरूरत है। भूमि लीज पर न दिया जाए, बैंक लोन लेने में भी दिक्कत होती है। सड़क और बिजली की व्यवस्था सरकार को करनी होगी। उन्होंने कहा कि उद्योग के लिए पूजीं कहां से आएगी इस बारे में भी बात करना जरूरी है। सरकार ने बहुत सी योजनाएं बनाई है, उसका लाभ नीचे तक पहुंचना चाहिए। बिक्री के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिक्री को बढ़ाना आवश्यक है, एमएसएमई को सफल ऐसे ही बनाया जा सकता है
10 साल पहले वाली समस्या आज भी है
सीमा के अध्यक्ष शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने कहाकि एमएसएमई सोसायटी के ट्रू एंबेसडर है। उद्योग बंधु के सामने 10 साल पहले जो समस्याएं थी वह आज भी जारी है। आज भी हम इंडस्ट्रियल इलाके में सड़क, बिजली और पानी की समस्या तक सीमित है। यहां आज भी सड़कें उसी स्थिति है। हमे उद्योग बंधु पर जवाबदेही तय करनी पड़ेगी। अगर यह जवाबदेही ठीक से होती है तो 80 फीसदी समस्याओं का समाधान निकल जाएगा। उन्होंने कहा कि नया बिंदु तब उठाए जब तक पुरानों की समस्याओं का समाधान न हो जाए। अगर हम लोगों को उचित मंच मिलेगा तो हम उद्यमी उम्मीद से 5 गुना ज्यादा निवेश लाने की क्षमता रखता है।
फायर के मानक सरल करने की मांग
शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि फायर के नियम ऐसे है कि छोटा उद्यमी जो 10 हजार स्कवायर फिट में अपना उद्योग शुरू करता है तो उसको पूरा करने में बहुत ज्यादा परेशानी होगी। उन्होंने बताया कि वह जिस सेक्टर में काम करते है उसमें उनका कारोबार 5 करोड़ रुपए के करीब है। लेकिन अगर फायर के नियम पूरी तरह से करने में जुट जाए तो 2 करोड़ रुपए का निवेश और चाहिए। ऐसे में एक छोटे कारोबारी के लिए यह करना मुश्किल है। फायर के नियम सरल करना होगा।
यूपी सीडा से परेशान कारोबारियों ने रखी बात
कानपुर से आए कारोबारी हरदीप राकड़ा ने बताया कि उनके यहां दो दशक पहले यूपी सीडा की तरफ से इंडस्ट्रियल इलाका डवलप किया गया है। लेकिन वहां सड़क से लेकर बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभी भी अभाव है। यहां तक की दो दशक पहले बनी एसटीपी में अभी तक बिजली कनेक्शन तक नहीं दिया गया है। उन्होंने बताया कि यूपी सीडा की स्थापना उद्योग को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। लेकिन यह लोग इंडस्ट्री को उजाड़ने में लगे है। अधिकारी इसको पूरी तरह से बर्बाद करने में लगा है। उन्होंने कहा कि हम एप्लॉयमेंट जनरेटर हैं उसके बाद भी आगामी पीढ़ी हमारे उद्योग को बढ़ाने के लिए तैयार नहीं है। बताया कि यूपीसिडा ने इंडस्ट्री में जात, पात बढ़ाया है, इंडस्ट्री चलाने वालों के बीच भेदभाव पैदा कर दिया, इंडस्ट्री को चलने दिया नहीं जाता है। उनकी बात को सूनने के बाद कार्यक्रम में मौजूद यूपी इंवेस्टर के अधिकारियों ने सरकार की तरफ से जल्द ही समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया।
लाइसेंस को लेकर होनी वाली समस्याएं दूर हो
कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए एसोसिएट चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ यूपी के महासचिव विरेंद्र नाथ गुप्ता ने कहा कि मौजूदा समय में अधिकांश लाइसेंस ऑनलाइन सिस्टम पर आधारित है या एक अच्छी पहल है। हालांकि उसके बावजूद उद्योगपतियों को यह लाइसेंस लेने में समय लग रहा है। उन्होंने बताया कि सूक्ष्म और लघु उद्योगों का प्रबंधन आमतौर पर एक व्यक्ति द्वारा अकेले ही किया जाता है। ऐसे में कारोबार के साथ लाइसेंस और बाकी कामों के लिए दौड़ लगाने से उद्योग प्रभावित होता है। व्यक्ति उत्पादन के लिए पर्याप्त समय नहीं दे पाता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने लाइसेंस प्राप्त करने, वित्तिय लाभ दिलाने के संबंध बहुत से नियम में बदलाव किए है। यह उद्योग को बढ़ावा देने वाला है। उन्होंने मांग उठाई कि कुछ ऐसे ही छूट यूपी के अंदर लघु और सूक्ष्म उद्योग के कारोबारियों को दिया जाए। इससे उत्तर प्रदेश के अंदर आर्थिक विकास बढ़ेगा। रोजगार के अवसर मिलेंगे और इंडस्ट्री बढ़ेगी।
एक इंडस्ट्री के लिए 37 लाइसेंस चाहिए
उद्यमियों ने बताया कि नए उद्योग के लिए 37 अप्रूवल लेने होते हैं। इसमें 12 ऐसे हैं जिन्हे हर साल लेने होते हैं। सरकार ने कई सुविधाएं दी हैं लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों को ट्रेंड करने की जरूरत है। स्माल इंडस्ट्रीज को बड़ा सेटअप नहीं होता है, फायर एनओसी लेने भी बहुत दिक्कत होती है। वहीं जीएसटी काउंसिल के सदस्य मनीष खेमका ने कहा कि एमएसएमई के उत्थान के लिए हम एकत्रित हुए हैं। देश में कारोबार को बढ़ाना है, बेरोजगारी को हटाना है तो सबसे पहले कारोबारियों पर ध्यान देना होगा। उन्होंने आग्रह किया कि अधिक से अधिक लोग अपने आप को जीएसटी में पंजीकृत कराए। इससे सरकार की बहुत सारी योजाओं का लाभ उनको मिलेगा। बताया कि यूपी में एमएसएमई के अंदर 96 लाख लोग पंजीकृत है लेकिन पूरे प्रदेश में कुल जीएसटी रजिस्ट्रेशन 17 लाख के करीब है। यह संख्या बढ़ाने की जरूरत है। उप्र आदर्श व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय गुप्ता ने कहा कि छोटी – छोटी समस्याओं का समाधान कर दिया जाए तो निश्चित तौर पर यूपी का आर्थिक विकास होगा। प्रदेश का ज्यादातर उद्यमी एक तरह की समस्याओं से परेशान है। सरकार के अधिकारी सरकार को भी कन्फ्यूज कर रहे है। नीतियों को बहुसंख्यक के लिए नहीं बनाया जा रहा है बल्कि कुछ लोगों के लिए बनाया जा रहा है।
सरकार के सामने बात रखने का आश्वासन
इवेस्टर यूपी के प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर शिव कुमार शुक्ल ने आश्वासन दिया कि उद्यमियों की समस्याओं को वह सरकार के सामने रखेंगें। उन्होंने कहा कि किसी को कोई अतिरिक्त परेशानी है तो वह लिखित में उनको दे सकता है। इससे उसकी समस्या को उचित मंच तक पहुंचा समस्या का समाधान कराया जा सके। उन्होंने कहा कि एमएसएमई प्रदेश और देश की अर्थ व्यवस्था का रीढ की हड्डी है। समाज, सरकार और सभी के लिए काफी महत्वपूर्ण अंग है। यूपी सीडा के कारण आ रही समस्याओं से परेशान कारोबारियों की सरकार तक पहुंचाई जाएगी। यूपी की इंडस्ट्रिय पॉलिसी से संबंधित मुद्दों को लेकर उनकी तरफ से एक पीपीटी प्रजेंटेशन भी किया गया। कार्यक्रम में बनारस, कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज समेत प्रदेश के कई जिलों से आए लोगों ने संबोधित किया।
प्रमुख मांग जो परिचर्चा के दौरान उठाई गई
– उद्योग को शुरू करने के लिए सबसे पहले जमीन की जरूरत होती है। इसके लिए अच्छा लैंड बैंक बनाया जाए। यह जमीन उद्यमी को लीज पर न देकर किस्तों में दिया जाए। जिससे कि वह इस जमीन पर बैंक लोन ले सके।
– सभी लघु और सूक्ष्म इंडस्ट्री वाले इलाकों की सड़क बेहतर किया जाए। इससे परिवहन मार्ग सही रहेगा तो आयात और निर्यात करने में आसानी रहेगी।
– इंडस्ट्रियल इलाकों में बेहतर बिजली व्यवस्था की जाए। बिजली के बिना कोई भी इंडस्ट्री विकसित नहीं हो सकती है। बिजली सस्ती की जाए और कनेक्शन लेने में सहूलियत दिया जाए।
– उत्तर प्रदेश के अंदर मर्चेंट बैंक की व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे कि SME सेक्टर BSE पर रजिस्ट्रर करा सके। बैंक लोन आसानी से और कम समय के अंदर मिल जाए। अभी महीनों लग जाते हैं। इसमें यूपी सरकार को गांरटी देनी चाहिए और इसके लिए एक अलग विभाग होना चाहिए।
– माल की खपत घरेलू और विदेशी बाजार में आसानी से हो जाए इसके लिए विशेष नीति बनाने की जरूरत है। मौजूदा समय बहुत से लोगों को माल खपत करने में परेशानी होती है।