22वां राष्ट्रीय पुस्तक मेला : पांचवां दिन लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। ‘मानने और जानने में काफी अन्तर है। मानने में कोई श्रम नहीं करना पड़ता, इसलिए लोग आसानी से उसकी ओर मुड़ जाते हैं। यह मानना ही समय पाकर रूढ़ हो जाता है और मान्यता में बदल जाता है। जानना किंचित् …
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