Sunday , December 28 2025

प्रो. सुखवीर सिंघल पर केन्द्रित लोक चौपाल में गूंजे पारम्परिक गीत

पारम्परिक गीतों संग कला और लोक परंपरा पर हुई चर्चा

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा आयोजित 81वीं लोक चौपाल में कलाविद् प्रो. सुखवीर सिंघल को याद किया गया। साथ ही उनकी कृतियों में लोकबोध और शास्त्रीय दृष्टि के समन्वय पर चर्चा हुई। रविवार को सुखवीर सिंघल आर्ट गैलरी, कैसरबाग में कला और लोक परंपरा के आपसी संबंधों पर सारगर्भित विमर्श हुआ। वहीं पारम्परिक गीतों की सजीव प्रस्तुतियों ने चौपाल को सांस्कृतिक ऊष्मा से भर दिया। अध्यक्षता चौपाल चौधरी विमल पन्त एवं डॉ. रामबहादुर मिश्र ने संयुक्त रूप से की।

चर्चा का केंद्र कला क्षेत्र में प्रो. सुखवीर सिंघल का लोक प्रदेय रहा। जिसमें वक्ताओं ने कहा कि प्रो. सिंघल भारतीय आधुनिक कला के ऐसे महत्वपूर्ण हस्ताक्षर रहे हैं जिनकी रचनात्मक दृष्टि में लोक संवेदना का गहरा प्रभाव दिखाई देता है। उनकी कला और विचारधारा आज भी नई पीढ़ी को सांस्कृतिक चेतना से जोड़ने का कार्य कर रही है। 

प्रो. सुखवीर सिंघल के बड़े दामाद और आर्ट गैलरी के व्यवस्थापक राजेश जायसवाल ने कहा कि लोक और कला का सतत संवाद हमारी सांस्कृतिक पहचान को जीवंत बनाए रखता है। प्रो. सुखवीर सिंघल की नातिन प्रियम चंद्रा ने बताया कि वे अपने नाना के कृतित्व के संरक्षण-संवर्द्धन के लिए तत्पर हैं। उसी क्रम में उनकी कृतियों पर केन्द्रित तीन खण्डों का प्रकाशन कर रही हैं, जिसमें पहला खण्ड इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है। लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव डॉ. सुधा द्विवेदी ने लोक चौपाल को विचार, स्मृति और परंपरा के संरक्षण का प्रभावी मंच बताया। 

लोक चौपाल प्रभारी अर्चना गुप्ता के संयोजन में हुई सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय संगीत संकाय की सहायक आचार्य डॉ. स्मृति त्रिपाठी ने “राम का गुणगान करिए…” की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। बिहार के सीवान से आईं संगीताचार्य डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ने “गंगा नहाये चलली यशोदा मैया कृष्ण रोदन करें…”, प्रो. विनीता सिंह ने “सखी री दो कुंवर सुंदर गौर और सांवर आये हैं…”, प्रियम चंद्रा ने “शिव कैलाशों के वासी…” सुनाया।

अलका चतुर्वेदी ने बनारसी कजरी, आशा श्रीवास्तव ने भजन की तथा ज्योति किरन रतन ने नृत्य की प्रस्तुति दी। संगीत भवन निदेशक निवेदिता भट्टाचार्य के निर्देशन में सौम्या गोयल, अथर्व श्रीवास्तव, अविका एवं मीहिका गांगुली ने गायन व वादन प्रस्तुति दी। तबले पर अर्चित अग्रवाल ने संगत किया। 

इस अवसर पर राज नारायण वर्मा, सरिता अग्रवाल, संगीता खरे, रेखा अग्रवाल, रवि तिवारी, नीलम वर्मा, डॉ. एस.के. गोपाल, शम्भू शरण वर्मा, रमाकांत सिन्हा, स्तुति सिंघल आदि की प्रमुख उपस्थिति रही।