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संघ ने सनातन परम्परा को आगे बढ़ाया है : डॉ. पवनपुत्र बादल

अखिल भारतीय साहित्य परिषद की संगोष्ठी में संघ साहित्य पर विमर्श

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। ‘‘राष्ट्र साधना के सौ वर्ष पूरे हुए हैं और गर्व है कि संघ ने सनातन परम्परा को आगे बढ़ाया है। जहां भी दृष्टि डालेंगे वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम मिलेगा। वैचारिक क्षेत्र में काम करने वालों की जिम्मेदारी है कि वे संघ साहित्य पर विमर्श करें और संघ से जुड़ी भ्रान्तियों को दूर करने का काम योजनाबद्ध रुप से करें।’’ ये बातें अखिल भारतीय साहित्य परिषद अवध प्रांत द्वारा रविवार को संघ साहित्य समग्र चिन्तन प्रवाह विषय पर आयोजित संगोष्ठी एवं अभिनन्दन समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. पवनपुत्र बादल ने कहीं। 

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ सभागार में चार सत्रों में हुए कार्यक्रम में विद्वानों ने संघ साहित्य पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद के नवमनोनीत राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. पवनपुत्र बादल का सारस्वत अभिनन्दन भी किया गया।

उद्घाटन सत्र में डॉ. कुमार तरल ने वाणी वन्दना, राजीव वर्मा वत्सल ने परिषद गीत और द्वारिका प्रसाद रस्तोगी ने स्वागत वक्तव्य दिया। प्रान्त सह महामंत्री एवं बीबीएयू हिन्दी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. बलजीत कुमार श्रीवास्तव के संचालन में हुए प्रथम सत्र में प्रान्त अध्यक्ष विजय त्रिपाठी ने विषय प्रवर्तन करते हुए साहित्यकारों से संघ साहित्य का प्रचार प्रसार, नये कार्यकर्ताओं को जोड़ने तथा राष्ट्रनिष्ठ साहित्य सृजन करने का आह्वान किया।

नव मनोनीत राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. पवनपुत्र बादल को उनके गृह प्रांत इकाई द्वारा अभिनन्दन पत्र, फूलमाला और पगड़ी प्रदान कर स्वागत किया गया। साथ ही साहित्य परिषद के शोध आयाम के राष्ट्रीय पालक अधिकारी डा. बलजीत कुमार श्रीवास्तव एवं राष्ट्रीय प्रमुख आदर्श सिंह का भी सारस्वत अभिनन्दन तथा लक्ष्मीकान्त सिंह की कृति संघ कार्य ईश्वरीय कार्य का लोकार्पण भी हुआ।

द्वितीय सत्र प्रो. रीता तिवारी की अध्यक्षता एवं डॉ. सुनील शुक्ला के संचालन में प्रो. नीतू शर्मा, पद्मनाभ पाण्डेय, प्रो.एल.के.सिंह, रमेश तिवारी, आदर्श सिंह ने अलग अलग पुस्तकों के आलोक में अपनी बात रखी। तृतीय सत्र में डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी, डॉ. महेन्द्र सिंह, शोध छात्र आदर्श द्विवेदी आदि ने समग्र चिन्तन प्रवाह पर पुस्तक केन्द्रित विचार रखे जिसका संचालन कुमार तरल ने किया। चतुर्थ एवं अन्तिम संगठनात्मक सत्र में डॉ. पवनपुत्र बादल ने आगे की दिशा पर पाथेय प्रदान किया। आभार ज्ञापन सर्वेश पाण्डेय ’विभी’ ने किया।

इस अवसर पर शिवमंगल सिंह मंगल, मनमोहन बाराकोटी, डॉ. एस.के.गोपाल, डॉ. कुमुद पाण्डेय, सुशील वर्मा, ममता पंकज, डॉ. रश्मि शील, ज्योति किरन रतन, निर्भय नारायण गुप्ता, राधाकृष्ण पाठक, गुलाब जायसवाल, विनय दीक्षित, सतीश कुमार, कृष्णा सिंह सहित अन्य उपस्थित रहे।