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जयपुरिया इंस्टीट्यूट और IRITM के बीच हुआ MOU

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, लखनऊ ने आज इंडियन रेलवेज इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट (IRITM), रेल मंत्रालय, भारत सरकार के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।

इस समझौते का उद्देश्य प्रशिक्षण की गुणवत्ता और क्षमता निर्माण को सुदृढ़ करना है। साथ ही दोनों संस्थानों के बीच शैक्षणिक और प्रशिक्षण सहयोग को प्रोत्साहित करना भी है। यह साझेदारी परिवहन प्रबंधन के क्षेत्र में शैक्षणिक उत्कृष्टता और उद्योग आधारित विशेषज्ञता के बीच एक सशक्त सेतु के रूप में कार्य करेगी।

इस सहयोग के माध्यम से दोनों संस्थान संयुक्त कार्यक्रमों, ज्ञान विनिमय और सहयोगात्मक अनुसंधान के जरिए प्रबंधन क्षमताओं को सुदृढ़ करने और परिवहन एवं लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इस अवसर पर जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, लखनऊ की निदेशक, डाॅ. कविता पाठक ने कहा, “जयपुरिया में हम मानते हैं कि प्रभावशाली अधिगम सार्थक सहयोग से ही संभव है। IRITM के साथ यह समझौता प्रबंधन पेशेवरों के विकास के लिए नए मार्ग खोलेगा, जो जटिल लॉजिस्टिक और परिवहन प्रणाली की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर सकें। हमें विश्वास है कि यह साझेदारी एक ऐसा मॉडल स्थापित करेगी जो शिक्षार्थियों के साथ-साथ राष्ट्रीय क्षमता निर्माण में भी योगदान देगा।”

शिशिर सोमवंशी (डीन, इंडियन रेलवेज इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट, लखनऊ) ने कहा, “जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के साथ यह सहयोग शैक्षणिक दृष्टिकोण को परिवहन क्षेत्र की व्यावहारिक आवश्यकताओं से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। IRITM भारतीय रेल के प्रशिक्षण और व्यावसायिक विकास की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण को साकार किया जा सके। यह साझेदारी प्रबंधकीय दक्षताओं को सशक्त करने और ज्ञान-आधारित पहलों के माध्यम से एक कुशल व भविष्य के अनुरूप परिवहन प्रबंधन ढांचा तैयार करने में सहायक होगी।”

MoU हस्ताक्षर समारोह में रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के संकाय सदस्य एवं छात्रगण उपस्थित रहे। यह आयोजन जयपुरिया इंस्टीट्यूट की उस सतत प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिसके तहत संस्थान अकादमिक उत्कृष्टता, अनुसंधान और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से जुड़ी व्यावसायिक प्रगति को बढ़ावा देता है।