रंगों में जीवित विचार : गांधी-शास्त्री को कलात्मक नमन
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। कला जब स्मृति को स्पर्श करती है, तब वह केवल रूप और रंग का खेल नहीं रह जाती, बल्कि एक जीवित संवाद बन जाती है। लखनऊ मेट्रो के सहयोग से हजरतगंज मेट्रो परिसर में गांधी जी और शास्त्री जी की जयंती के अवसर पर हुआ यह सामूहिक चित्रण कार्यशाला उसी जीवित संवाद की अनुगूँज था। यहाँ चित्रकारों के ब्रश ने इतिहास को नहीं, बल्कि विचारों को आकार दिया। रेखाओं ने समय को पार कर उन महापुरुषों की आत्मा को रंगों में जीवंत किया।

राष्ट्रपिता गांधी जी की आकृति वहाँ किसी महापुरुष की ठोस प्रतिमा की तरह नहीं उभरी, बल्कि अहिंसा की नर्म रोशनी की तरह फैली, जो हिंसा के अंधकार को स्वाभाविक रूप से मिटाती चली जाती है। वहीं किसान पुत्र एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के विचार “जय जवान, जय किसान” कैनवास पर एक बीज की तरह उकेरे गए, जिसमें भविष्य की हरियाली और आशा का विस्तार छिपा है। इन प्रतीकों ने दर्शकों को यह अनुभव कराया कि विचार कभी मरते नहीं, वे समय-समय पर नए रूपों में प्रकट होते रहते हैं।

युवा चित्रकारों में अश्वनी कुमार प्रजापति, मोहन मावा, नीरज बिंद, युवराज, आशीष कश्यप, सुमित, सौरभ मौर्या, कुलदीप, अभिनय सिंह, रितेश कपूर, कुंवर जी वर्मा, शेफाली सोनी, ज्ञानेंद्र कुमार, अमित कुमार, राजीव कुमार रावत, अंकित निषाद और चित्रकार, क्यूरेटर एवं कला समीक्षक भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने मिलकर कैनवस और श्वेत कागज़ को रंगों से सजाया, यह वस्तुतः सामूहिक चेतना का प्रतीक बन गया। उसमें हर ब्रश स्ट्रोक, हर आकृति और हर रंग, सामूहिक आत्मा की गवाही देता था।

दार्शनिक दृष्टि से यह आयोजन हमें यह भी याद दिलाता है कि कला केवल देखने का विषय नहीं, बल्कि जीने का अनुभव है। गांधी और शास्त्री की जयंती पर रचे गए ये चित्र हमें यह संदेश देते हैं कि जब हम किसी विचार को कला में रूपांतरित करते हैं तो वह विचार और भी स्थायी हो जाता है, क्योंकि वह अब केवल शब्दों में नहीं, बल्कि दृश्य अनुभव में बदल चुका होता है।

यह आयोजन इस गहरी अनुभूति का साक्ष्य है कि कला समय का आइना है, और जब उसमें आदर्शों की छवि उभरती है तो वह समाज के लिए साधना, प्रेरणा और आत्मचिंतन का माध्यम बन जाती है।

कार्यक्रम के संयोजक चित्रकार अश्वनी कुमार प्रजापति अपने कलाकार साथियों के साथ कला के प्रति जागरूकता फैलाने और समाज के बीच में इस प्रकार के अनेक कार्यक्रम जैसे गांधी जयंती, लता मंगेशकर और अटल बिहारी वाजपेई की स्मृति में कला के कई आयोजन करते रहे हैं।

इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए UP Metro के MD सुशील कुमार ने कहा कि हजरतगंज मेट्रो स्टेशन परिसर में चित्रकारों द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के चित्र उकेरना एक नया विचार था। आयोजन शहर के नागरिकों एवं मेट्रो यात्रियों के लिए भी एक जीवंत अनुभव रहा। चित्रकला के इस माध्यम देश के इन महान निर्माताओं को यह हमारी छोटी सी श्रद्धांजलि है।