Wednesday , September 3 2025

नारायण सेवा संस्थान : 44वें दिव्यांग सामूहिक विवाह में 51 जोड़ों के अरमानों को मिला नया आसमान

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। नारायण सेवा संस्थान के सेवा महातीर्थ, लियों का गुड़ा में रविवार को 44 वें दो दिवसीय दिव्यांग एवं निर्धन नि:शुल्क सामूहिक विवाह के दूसरे और अंतिम दिन 51 जोड़ों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पवित्र अग्नि की साक्षी में एक-दूसरे का हाथ थाम कर उस सुहाने सफर पर कदम बढ़ाए। जिसके सपने वे वर्षों से देख रहे थे।

विवाह में ऐसे जोड़े भी सम्मिलित थे जिनमें वधू अथवा वर पैरों से दिव्यांग, कोई एक पैर से तो साथी हाथ से, एक दिव्यांग तो दूसरा दृष्टिबाधित, ऐसे भी जोड़े थे जो घुटनों के बल या घिसटकर चलते हैं। लेकिन अब ये सभी एक-दूसरे की ताकत और दृष्टि बनकर खुशनुमा गृहस्थी के सपनों को साकार करेंगे। इन जोड़ों में से अधिकतर की दिव्यांगता सुधारात्मक नि:शुल्क सर्जरी संस्थान में ही हुई यहीं इन्होंने आत्मनिर्भरता के लिए नि:शुल्क सिलाई, मोबाइल सुधार और कंप्यूटर के कोर्स किए और जीवनसाथी की तलाश भी यहीं पूरी हुई।

बिंदोली व तोरण – सभी 51 जोड़ों की प्रातः 10:बजे धूमधाम से निकली बिंदोली के साथ विवाह समारोह की शुरुआत हुई। विवाह की पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे दूल्हा-दुल्हन की बिंदोली में सबसे आगे बैंड दस्ता था जबकि मध्य में ढोल की थाप पर झूमते बाराती – घराती और बड़ी संख्या में देश के विभिन्न राज्यों से आए अतिथि थे। उसके बाद भगवान श्रीनाथजी एवं अयोध्यापति श्री रामलला की छवि के सानिध्य में दूल्हों ने क्रमवार तोरण रस्म का निर्वाह कर विवाह पांडाल में प्रवेश किया।

वरमाला – तोरण रस्म की अदायगी के पश्चात् 12:15 बजे रंग -बिरंगी पुष्प लड़ियों से सज्जित मंच पर दूल्हा- दुल्हनों ने संस्थान संस्थापक पद्मश्री अलंकृत कैलाश ‘मानव’ व श्रीमती कमला देवी से आशीर्वाद लिया। इसके बाद संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वंदना अग्रवाल व पलक अग्रवाल की सहायता से दूल्हा- दुल्हन ने एक-दूसरे के गले में वरमाला डालकर हमसफर बनने की मौन स्वीकृति दी। इस दौरान उन पर गुलाब की पखुरियों की वर्षा होती रही।

पवित्र अग्नि के फेरे – नव युगल का पाणिग्रहण संस्कार पवित्र अग्निकुंड के वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच सात फेरों के साथ संपन्न हुआ। प्रत्येक जोड़े की वेदी पर एक आचार्य मौजूद थे। इस प्रकार 51 आचार्य ने एक मुख्य आचार्य के मार्गदर्शन में यह भव्य सामूहिक विवाह संपन्न करवाया। देश-विदेश से आए संस्थान के सहयोगी, दानदाता, दूल्हा-दुल्हन के परिजन, संस्थान की भारतभर में फैली शाखाओं के प्रभारी, संयोजक व प्रेरक कन्यादानी इस महाकुम्भ के साक्षी बने।

पूर्व विवाहित जोड़े ने भी दिया आशीष- समारोह में वे खुशहाल दिव्यांग जोड़े भी आए जिनका विवाह संस्थान के पूर्व सामूहिक विवाहों में ही हुआ। जिसमें मुम्बई के सचिन व पद्मा दिव्यांग दंपति ने कहा उनका विवाह 2020 में संस्थान में हुआ वे इस समय अपने एक साल के बच्चें के साथ खुशहाल गृहस्थी का निर्वाह कर रहे हैं । इन जोड़ों ने बताया कि संस्थान के माध्यम से आज न केवल वे पैरों पर खड़े होकर आत्मनिर्भर हैं बल्कि अपनी खुशनुमा गृहस्थी के साथ बच्चों के सुखद भविष्य का ताना-बाना बुन रहे हैं। उन्होंने कभी ऐसे दिनों की कल्पना भी नहीं की थी। लेकिन संस्थान के माध्यम से उन्होंने समाज की मुख्यधारा में जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त किया।