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समाजसेवियों की पहल : बिछड़े बुजुर्ग पिता से मिलकर भावुक हुई बेटी

लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा/ टेलीस्कोप टुडे)। कहते हैं इंसानियत से बड़ी कोई सेवा नहीं होती है। यदि इंसान किसी असहाय व्यक्ति की सेवा करता है तो उसे मंदिर मस्जिद जाने की जरूरत नहीं पड़ती, भगवान की कृपा उस पर सदैव बनी रहती है। ऐसा ही एक इंसानियत का परिचय देने वाला मामला एक बार फिर देखने को मिला। जहां इंसानियत और सेवा की मिसाल पेश करते हुए सोशल एक्टिविस्ट ज्योति राजपूत और बृजेंद्र बहादुर मौर्य ने एक बार फिर बिछड़े बुजुर्ग को उनके परिवार से मिलवाने का सराहनीय कार्य किया है।

मूलरूप से बहराइच के मंझारा तौकली, शोभापुरवा/नरौरा थाना- कैसरगंज निवासी मिलकीराम पुत्र रघुवीर, सात अगस्त को अपने घर से भटक कर लखनऊ आ गए थे। जहां पुलिस ने उन्हें लखनऊ के सरोजिनी नगर स्थित वृद्धाश्रम में रखा था।

सोशल मीडिया बना सहारा

जैसे ही इस मामले की जानकारी सोशल एक्टिविस्ट ज्योति राजपूत और बृजेंद्र बहादुर मौर्य को हुई, उन्होंने तुरंत सक्रियता दिखाई। बृजेंद्र बहादुर मौर्य ने सोशल मीडिया पर पोस्ट एवं ट्विटर के माध्यम से जिले के अधिकारियों को सूचित किया और लगातार प्रयासों के बाद बुजुर्ग के परिजनों का पता लगाया।

बोली बेटी, हम तो उम्मीद ही छोड़ चुके थे

अथक प्रयासों के बाद जानकारी मिलने पर बुजुर्ग के दामाद सुशील और बेटी मीरा देवी वृद्धाश्रम पहुंचे। जरूरी कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद वे मिलकीराम को अपने साथ घर ले गए। इस दौरान भावुक होते हुए बेटी मीरा देवी ने कहा, “हम तो उम्मीद ही छोड़ चुके थे, लेकिन इन समाजसेवियों और पुलिस प्रशासन की मदद से हमें हमारे पिताजी वापस मिल गए। यह हमारे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है।

हर ओर हो रही सराहना

इस नेक कार्य में स्थानीय पुलिस प्रशासन और सोशल मीडिया का बड़ा सहयोग रहा। ज्योति राजपूत और बृजेंद्र बहादुर मौर्य के इस प्रयास की हर तरफ प्रशंसा हो रही है। दोनों एक्टिविस्ट इससे पहले भी कई बिछड़े बुजुर्गों को उनके परिवार तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं।।यह घटना साबित करती है कि जब पुलिस, सोशल मीडिया और संवेदनशील लोग साथ आते हैं तो बिछड़े अपनों को मिलाना संभव हो जाता है।

समाजसेवियों की मदद से कई बिछड़े परिवारों को मिलाने की कहानियां अक्सर सामने आती रहती हैं। ज्योति राजपूत और बृजेंद्र बहादुर मौर्य के इस सराहनीय प्रयास से स्पष्ट होता है कि समाजसेवियों और पुलिस की मदद से बिछड़े परिवारों को मिलाने में कितनी बड़ी भूमिका निभाई जा सकती है। ये प्रयास न केवल परिवारों को मिलाते हैं, बल्कि समाज में एकता और सहयोग की भावना को भी बढ़ावा देते हैं।