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एक सिनेमाई उत्कृष्ट कृति, भव्यता से ओतप्रोत, मुज़फ़्फ़र अली की उमराव जान

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। रूमी फाउंडेशन लखनऊ चैप्टर ने पूर्णिमा और विवेक लधानी और प्लासियो मॉल के साथ मिलकर रविवार शाम पीवीआर प्लासियो मॉल में मुजफ्फर अली की प्रसिद्ध फिल्म उमराव जान की विशेष स्क्रीनिंग का आयोजन किया। फिल्म शो में अवध क्षेत्र के बड़ी संख्या में प्रशंसक उपस्थित थे।

इस अवसर पर फिल्म निर्देशक मुजफ्फर अली ने कहा कि उमराव जान, भारतीय सिनेमा के बीते युग के सबसे भावपूर्ण चित्रों में से एक है। जो अवध की आत्मा को उसके चरम पर दर्शाती है, जब प्रदर्शन कलाओं का कोई सानी नहीं था। चार दशक पहले रिलीज हुई यह फिल्म लखनऊ के गौरवशाली अतीत का एकमात्र प्रामाणिक सिनेमाई पुनर्निर्माण है, जिसमें कविता, संगीत, नृत्य और वेशभूषा को एक अविस्मरणीय चित्रपट में पिरोया गया है।

फिल्म के मार्मिक गीत, आत्मा को झकझोर देने वाले संगीत, जटिल कथक और बारीकी से तैयार की गई वेशभूषा के अनूठे मिश्रण ने क्षेत्र के सांस्कृतिक और भावनात्मक परिदृश्य में एक स्थायी मील का पत्थर स्थापित किया। रेखा द्वारा निभाए गए उमराव जान के शानदार अभिनय ने इस किरदार को रूपहले पर्दे पर अमरता प्रदान की, अनगिनत प्रशंसकों को प्रेरित किया और लखनऊ में सांस्कृतिक पर्यटन के लिए उत्प्रेरक बन गया।

इस उत्सव में एक और उपलब्धि जोड़ते हुए 240 पृष्ठों की सीमित संस्करण वाली पूर्ण रंगीन कॉफी टेबल बुक “मुजफ्फर अली की उमराव जान” का विमोचन किया गया। यह एक दुर्लभ उदाहरण है, जहां एक क्लासिक उपन्यास एक क्लासिक फिल्म बन जाता है और फिर शब्दों में अपनी विरासत को संरक्षित करते हुए एक समान रूप से क्लासिक पुस्तक को प्रेरित करता है। इसमें पर्दे के पीछे की दुर्लभ तस्वीरें और रेखा तथा अन्य दिग्गजों के निबंधों पर हस्तलिखित नोट्स थे। जो फिल्म की भव्यता, संगीत, कविता और तहजीब को दर्शाते थे। क्लासिक सिनेमा, संस्कृति और कहानी कहने के प्रेमियों के लिए यह एक जरूरी किताब है – इससे पहले कि यह खत्म हो जाए।

इनमें बेरेनिस एलेना, कावेरी बामजई, रेखा, सत्या सरन, शबाना आजमी, सुभाषिनी अली और सुवीर सरन का योगदान शामिल है।