Wednesday , August 20 2025

राग खमाज में छोटा ख्याल नमन करूं मैं गुरु चरण…

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भारतीय संगीत महाविद्यालय द्वारा पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन को समर्पित कार्यक्रम गुरु उत्सव में कलाकारों ने तबला वादन एवं गायन के माध्यम से गुरुओं को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। रविवार को डा. राममनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. विक्रम सिंह, डा. अरविन्द सिंह, डा. संजीव सिंह, डा. विभोर महेंद्रु, डा. सत्या, डा. रंजना, कुसुम वर्मा, सुनील विश्वकर्मा व अविनाश शर्मा ने संयुक्त रूप में दीप प्रज्ज्वलन व उस्ताद जाकिर हुसैन के चित्र पर पुष्पार्पण कर किया। इस अवसर पर डा. मोनिका सिंह की पुस्तक संगीत का अन्य विषयों से सह संबंध का विमोचन भी हुआ।

मुख्य अतिथि डा. विक्रम सिंह ने हिंदुस्तानी संगीत को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे आयोजनों को प्रासंगिक बताया। इस अवसर पर संस्था ने प्रसिद्ध शास्त्रीय व उपशास्त्रीय गायिका सुनीता झिंगरन को सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरुप पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र और पांच हजार एक रुपये की धनराशि प्रदान की गई। उस्ताद जाकिर हुसैन के प्रमुख शिष्य व कार्यक्रम संयोजक शेख मोहम्मद इब्राहिम ने उस्ताद जी एवं संस्था के बारे में जानकारियां साझा करते हुए अतिथियों, कलाकारों व शिष्यों का स्वागत किया। 

गुरु उत्सव का शुभारम्भ कलाकारों ने सामूहिक रुप से राग अहीर भैरव में गुरु चरणन नितगान करिए, राग खमाज में छोटा ख्याल नमन करूं मैं गुरु चरण तथा भजन हे दुख भंजन मारुति नंदन से किया। दिव्यांशी एवं सिराज अहमद ने रूपक ताल में तबला की युगलबंदी की। कमल गुप्ता एवं विजय यादव ने तीन ताल में तबला वादन कर सभी को मुत्रमुग्ध कर दिया। अनुज महेंद्रु ने राग मियां मल्हार में बड़ा ख्याल बादल बरसे, छोटा ख्याल गरजन बरसन लगे बदरा सुनाया।

कृष्णा एवं त्रयंबकेश यादव ने भजन कभी राम बनके कभी श्याम बनके, आरुषि एवं आदित्य ने पायो जी मैंने राम रतन धन पायो, निशि ने नन्ही नन्ही बुंदिया रे, डा. संजीत सिंह ने गजल तुमको देखा तो ख्याल आया, अंश ने गजल लोग कहते हैं अजनबी हो तुम, अंशिका ने लोकगीत गोदना गोदे गोदन हारि, मनीष अवस्थी ने चदरिया झीनी रे झीनी तथा अतिथि कलाकार वरिष्ठ गायिका सुनीता झिंगरन ने ठुमरी दादरा और भजन की मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। 

संगत कलाकारों में गिटार पर सम्राट राजकुमार, तबला पर अरुण मिश्रा, सिंथेसाइजर पर मयंक सिंह, नाल पर प्रखर प्रताप सिंह, बांसुरी पर सौरभ सोनवानी, क्लेरियोनेट पर देवी प्रसाद, हारमोनियम पर आरिफ खान ने प्रभावी संगत दी। संचालन राजेन्द्र विश्वकर्मा हरिहर ने किया।