Tuesday , July 1 2025

CDRI : सौर ऊर्जा से रोशन होंगी लैब, किचन और बगिया का ओर्गेनिक कचरा बनेगा उपयोगी खाद


 

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टिट्यूट (सीडीआरआई), लखनऊ ने विश्व पर्यावरण दिवस 2025 का समारोह अपने कैंपस में नई हरित परियोजनाओं की शुरुआत के साथ मनाया। इस अवसर पर 1.2 मेगावाट रूफटॉप सोलर प्लांट तथा 500 किलो प्रतिदिन जैविक कचरे से खाद बनाने की मशीन (बायोकम्पोस्ट प्लांट) का उदघाटन हुआ।

संस्थान ने #BringYourOwnCup अभियान की शुरुआत की, जो कर्मचारियों और छात्रों को सिंगल यूज़ प्लास्टिक के विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इस अभियान के अंतर्गत संस्थान के समस्त वैज्ञानिकों, शोधार्थियों एवं स्टाफ को एक चाय का कप दिया गया, जिसे वह डिस्पोज़ेबल कप की जगह इस्तेमाल करेंगे। ये सभी पहलें संस्थान की 75वीं वर्षगांठ समारोह का हिस्सा हैं और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।

इस मौके पर डॉ. एस. वेंकट मोहन (निदेशक, सीएसआईआर- एन ई ई आर आई, नीरी, नागपुर) ने एक व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि गंदे पानी से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस जैसी गंभीर समस्याएं भी फैल सकती हैं, इसलिए जल शोधन और सतत विकास (सस्टेनेबिलिटी) पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) की पर्यावरणीय चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए सर्कुलर बायोइकोनॉमी और वन हेल्थ (One Health) दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने यह भी बताया कि अपशिष्ट जल केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि एक जनस्वास्थ्य संकट का माध्यम भी बनता जा रहा है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. राधा रंगराजन (निदेशक, सीएसआईआर-सीडीआरआई) ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. अजीत के. शासनी (निदेशक, सीएसआईआर-एनबीआरआई) उपस्थित रहे।

डॉ. राधा रंगराजन ने अपने स्वागत भाषण में कहा, “ये ग्रीन इनिशिएटिव केवल इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं, यह एक जीवनशैली में बदलाव का संकेत हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए हर दिन की छोटी-छोटी आदतों में बदलाव ज़रूरी है, ताकि हम कार्बन उत्सर्जन कम कर सकें।”

मुख्य अतिथि डॉ. अजीत के. शासनी ने सीडीआरआई के सतत विकास प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “यह संस्थान हरित अनुसंधान अवसंरचना का आदर्श बनकर उभरा है। जलवायु जागरूक विकास और कम-कार्बन जीवनशैली में वैज्ञानिक संस्थानों को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।”

विशेष रूप से, सीडीआरआई परिसर में स्थापित 500 किलोग्राम प्रतिदिन क्षमता की जैविक कम्पोस्ट मशीन को उद्घाटित किया गया। इंजिनयर रणवीर सिंह ने बताया कि यह मशीन कैंटीन, हॉस्टल और गेस्ट हाउस के जैविक अपशिष्ट को पत्तों और अन्य बागवानी अपशिष्ट के साथ मिलाकर 24 से 48 घंटे में पोषक खाद में परिवर्तित कर देती है। मशीन 80% तक अपशिष्ट मात्रा में कमी लाने, गंध मुक्त प्रक्रिया और न्यूनतम ऊर्जा खपत के साथ कुशल खाद उत्पादन सुनिश्चित करती है, जिसका उपयोग संस्थान की बागवानी में किया जा रहा है।

यह पहल हरित गृह गैस उत्सर्जन में कमी लाकर पर्यावरण-संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देती है और संस्थान के सर्कुलर अर्थव्यवस्था के प्रति समर्पण को दर्शाती है।

डॉ. वेंकट मोहन को उनके वैज्ञानिक नेतृत्व और पर्यावरणीय योगदान हेतु एवं डॉ शासनी को उनके पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनके योगदान हेतु  डॉ. राधा रंगराजन द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन इंजी. कमल जैन द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।