- एकेटीयू में मनायी गयी महारानी अहिल्याबाई होल्कर की तीन सौवीं जयंती
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में शनिवार को महारानी अहिल्याबाई होल्कर की तीन सौवीं जयंती मनायी गयी। देश में उनके स्वर्णिम योगदान और कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. जेपी पाण्डेय ने महारानी होल्कर पर आधारित भाषण, निबंध, पेंटिंग और रंगोली प्रतियोगिता के विजेताओं को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की पुस्तक “चुनौतियां मुझे पसंद है” देकर सम्मानित किया।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत के स्वर्णिम इतिहास को जब भी याद किया जाएगा तो उसमें महारानी अहिल्याबाई होल्कर के योगदान पर चर्चा होगी। उन्होंने अपने जीवनकाल में देश का गौरव बढ़ाने का कार्य किया। खासकर महिला सशक्तिकरण के उत्थान में उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किया। देश भर में मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया। शासन व्यवस्था को चलाते हुए उन्होंने अपनी क्रिएटिविटी से देश को पुनर्स्थापित किया। उनके, त्याग, लोककल्याण के कार्य, दृढ़ता, अपनी जिम्मेदारी को निभाने की शक्ति से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। ऐसे व्यक्तित्व सदियों तक लोगों को प्रभावित करते हैं।
कुलसचिव रीना सिंह ने महारानी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मालवा की महारानी होते हुए भी अहिल्याबाई होल्कर ने पूरा जीवन सादगी से जिया। उन्होंने लोक कल्याण के कार्यों से देश को न केवल नई उर्जा दी बल्कि लोगों की प्रेरणा की स्रोत भी बनीं। उनका जीवन किसी दर्शन से कम नहीं है। अपने शासन काल में उन्होंने आदर्श न्याय व्यवस्था, महिला सशक्तिकरण, रूढ़िवादिता को खत्म करने के कदम और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिता दी।

वित्त अधिकारी केशव सिंह ने कहा कि महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने रूढ़वादी सामाजिक व्यवस्था को बदलने में महती भूमिका निभाई। उनके साहस, दृढ़ इच्छा शक्ति और विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानने की शक्ति औरों से अलग बनाती थी। सांस्कृतिक रूप से उन्होंने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया। परीक्षा नियंत्रक प्रो. दीपक नगरिया ने भी अपने विचार रखे।
साथ ही एमबीए की छात्रा मुस्कान सिंह, बीफार्मा के छात्र आशीष सिंह और एमबीए के छात्र अंकुर अवस्थी ने भी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर अपने विचार रखे। इस दौरान अहिल्याबाई होल्कर के जीवन पर आधारित एक लघु फिल्म भी दिखायी गयी। संचालन डॉ. अनुज कुमार शर्मा ने किया. इस मौके पर विश्वविद्यालय के अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी और छात्र मौजूद रहे।