लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। लखनऊ पुलिस की कार्यदक्षता एवं सेवा क्षेत्र को नया आयाम देने के उद्देश्य से पुलिस आयुक्त के मार्गदर्शन में मेदांता हॉस्पिटल, लखनऊ और पुलिस कमिश्नरेट, लखनऊ के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
इस सहयोग के तहत, शहर के पुलिसकर्मियों को कार्डियक अरेस्ट जैसी आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) और बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) का विशेष प्रशिक्षण दिया गया। यह पहल पुलिस बल को आम नागरिकों के जीवन की रक्षा करने में सक्षम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस पहल का उद्देश्य पुलिस बल को आम नागरिकों के जीवन बचाने में सक्षम बनाना है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ
प्रशिक्षण का स्वरूप:
- पुलिसकर्मियों को कार्डियक अरेस्ट जैसी आपात स्थितियों में सीपीआर की विधि, ऑक्सीजन स्तर मापन, रक्तचाप निगरानी, और बुनियादी जीवन समर्थन (बीएलएस) का प्रशिक्षण दिया गया।
- प्रशिक्षण के दौरान निःशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर भी आयोजित किया गया, जिसमें रक्तचाप, नाड़ी, तापमान और ऑक्सीजन संतृप्ति (एसपीओ2) जैसी जांचें की गईं।
- मेदांता हॉस्पिटल के विशेषज्ञों द्वारा प्रैक्टिकल वर्कशॉप और इंटरैक्टिव सत्रों का आयोजन।
- प्रशिक्षण के दौरान 200+ पुलिसकर्मियों की निःशुल्क स्वास्थ्य जांच (रक्तचाप, नाड़ी, ऑक्सीजन स्तर) की गई।
प्रशिक्षण का उद्देश्य:
- पुलिसकर्मियों को “गोल्डन ऑवर” (आपातकाल के प्रथम 60 मिनट) के दौरान तत्काल चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित करना।
- सीपीआर तकनीक, ऑक्सीजन स्तर मापन, रक्तचाप निगरानी और बुनियादी जीवन समर्थन (बीएलएस) में दक्षता विकसित करना।
कार्डियक अरेस्ट के मामलों में “गोल्डन ऑवर” (प्रथम 60 मिनट) अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। पुलिसकर्मियों का यह प्रशिक्षण इस अवसर का सदुपयोग करते हुए जनजीवन की रक्षा करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। लखनऊ पुलिस की समाज के प्रति यह सामूहिक जिम्मेदारी के क्षेत्र में आशान्वित प्रयास है।
सहयोग का सामाजिक महत्व
- त्रिपक्षीय लाभ: यह पहल नागरिक-पुलिस-चिकित्सा के सहयोग का अनूठा उदाहरण है, जो आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाएगी।
- आँकड़ों की भूमिका: भारत में हर साल 1.7 लाख से अधिक लोग कार्डियक अरेस्ट के शिकार होते हैं। प्रशिक्षित पुलिसकर्मी इस संख्या को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- नागरिक-पुलिस विश्वास: यह पहल आम जनता और पुलिस के बीच विश्वास के सेतु को मजबूत करेगी।
भविष्य की रणनीति:
- लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के सभी 58 थानों के पुलिसकर्मियों को चरणबद्ध तरीके से यह प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- मेदांता हॉस्पिटल द्वारा नियमित अंतराल पर पुलिस कर्मियों के लिए कोर्स और प्रशिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।
- प्रशिक्षित कर्मियों के लिए रिफ्रेशर कोर्स और डिजिटल लर्निंग मॉड्यूल उपलब्ध कराए जाएंगे।

डॉ. राकेश कपूर (निदेशक, मेदांता लखनऊ) ने कहा, “यह प्रशिक्षण पुलिस बल को दुर्घटनास्थल पर तत्काल सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाएगा। पुलिस बल का यह प्रशिक्षण समाज में जीवनरक्षक दक्षता बढ़ाएगा। सीपीआर जैसी तकनीकें आपातकाल में अमूल्य साबित होती हैं।”
डॉ. लोकेन्द्र गुप्ता (निदेशक, आपातकालीन विभाग, मेदांता लखनऊ) ने कहा कि पुलिसकर्मियों के लिए आपातकालीन चिकित्सा का प्रशिक्षण बेहद महत्वपूर्ण है। आपातकाल के समय त्वरित और सटीक प्रशिक्षण पुलिस को आमजन का जीवन बचाने की न सिर्फ शक्ति देता है बल्कि समाज में विश्वास और सुरक्षा का संदेश भी देता है।
पुलिस आयुक्त, लखनऊ ने कहा, “पुलिसकर्मी अक्सर दुर्घटनास्थल पर सबसे पहले पहुँचते हैं। उनका प्रशिक्षित होना ‘गोल्डन ऑवर’ का सदुपयोग सुनिश्चित करेगा। यह सहयोग समाज के प्रति हमारी सामूहिक जिम्मेदारी को दर्शाता है।”
“यह पहल पुलिस बल को एक ‘मल्टी-स्किल्ड फोर्स’ बनाने की दिशा में अहम है। आपातकाल में सीपीआर जैसी तकनीकें नागरिकों के जीवन बचाने में निर्णायक साबित होती हैं। हमारा लक्ष्य है कि लखनऊ पुलिस का हर जवान इस कौशल से लैस हो।”
अमित वर्मा (संयुक्त पुलिस आयुक्त, मुख्यालय एवं अपराध) ने कहा “इस प्रशिक्षण ने हमारे कर्मियों का आत्मविश्वास बढ़ाया है। अब वे न केवल कानून व्यवस्था, बल्कि जनस्वास्थ्य की रक्षा में भी अग्रणी भूमिका निभाएंगे।”
प्रशिक्षण के दौरान पुलिस कमिश्नरेट की विभिन्न इकाइयों में कार्यरत 50 पुलिसकर्मी, जिनमें 112 सेवा के कर्मी भी सम्मिलित हैं, ने भाग लिया। साथ ही, सौम्या पांडे (एसीपी – विमेन क्राइम / 112 लखनऊ) भी उपस्थित रहीं।