- बीबीआईएन उप-क्षेत्र (फोकस देश: नेपाल) में सीमा पर अवस्थापना और कनेक्टिविटी पर कार्यशाला में क्षेत्रीय सहयोग पर रहा ज़ोर
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भूटान, बांग्लादेश, भारत और नेपाल (बीबीआईएन) उप-क्षेत्र में सीमा पर अवस्थापना सुविधाएं और बेहतर कनेक्टिविटी पर मंगलवार को उच्चस्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का उद्देश्य उत्तर प्रदेश-नेपाल सीमा पर अवस्थापना, व्यापार और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना था, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और नेपाल के बीच। साथ ही, इसका एक महत्वपूर्ण पहलू नेपाल के साथ सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करना भी था।
इस कार्यशाला में नीति आयोग, सेंटर फॉर सोशल एंड इकनॉमिक प्रोग्रेस (CSEP), राज्य सरकार के विभिन्न विभागों, इन्वेस्ट यूपी और यूपी-नेपाल सीमा से जुड़े जिलों के औद्योगिक संघों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
उत्तर प्रदेश: क्षेत्रीय विकास का प्रेरक
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, आलोक कुमार ने अपने स्वागत भाषण में नेपाल के साथ संपर्क को सुदृढ़ करने में राज्य की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश बुनियादी ढांचे के विकास में अग्रणी राज्य बन चुका है — चाहे वह सड़क हो, रेलवे हो या विमानन। बीते आठ वर्षों में राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसमें पिछले वित्तीय वर्ष में 15% की वृद्धि दर भी शामिल है। यूपी अब अपनी संपूर्ण क्षमता का उपयोग कर रहा है।”
श्री कुमार ने यूपी-नेपाल सीमा संपर्क को सशक्त करने के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “नेपाल तथा अन्य बीबीआईएन देशों के साथ मज़बूत संपर्क पारस्परिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा।” उन्होंने इस सफल कार्यशाला के आयोजन हेतु नीति आयोग, इन्वेस्ट यूपी और सीएसईपी के प्रयासों की सराहना की।
नीति आयोग ने सहयोगात्मक विकास पर दिया बल
नीति आयोग के अतिरिक्त सचिव एवं कार्यक्रम निदेशक (अवस्थापना) राजीव सिंह ठाकुर ने समावेशी और साझा क्षेत्रीय विकास की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “भारत को ‘बड़े भाई’ की भूमिका से बचते हुए अपने पड़ोसियों का समर्थन करना चाहिए। सड़कों के साथ-साथ जलमार्गों में बेहतर अवसंरचना निर्बाध संपर्क के लिए अत्यंत आवश्यक है।”
उन्होंने उत्तर प्रदेश और नेपाल लगभग 600 किलोमीटर की साझा सीमा का उल्लेख करते हुए व्यापार एवं आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने में साझा उत्तरदायित्व को रेखांकित किया।
ब्रेकआउट सत्रों में हुआ विकास पर सारगर्भित विमर्श
कार्यशाला में तीन कार्य समूहों के तहत ब्रेकआउट सत्र आयोजित किए गए। जो संपर्क अवसंरचना (सड़क, रेल, हवाई, डिजिटल), व्यापार और अर्थव्यवस्था (कृषि, पर्यटन, फिनटेक), सामाजिक विकास (स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका) पर केंद्रित थे।
चर्चा का मुख्य फोकस उपलब्धता, गुणवत्ता और स्थिरता रहा, जिसमें क्षेत्रीय विकास के लिए एकतरफा, द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय हस्तक्षेपों पर विचार किया गया।
सीएसईपी ने कार्यशाला में दिया रणनीतिक प्रस्तुतीकरण
सीएसईपी के वरिष्ठ फेलो डॉ. कॉन्स्टेंटिनो जेवियर और सहायक फेलो रिया सिन्हा ने “नेपाल और उत्तर प्रदेश के बीच संपर्क” पर एक प्रस्तुति दी। इसमें भारत-नेपाल संबंधों में उत्तर प्रदेश की रणनीतिक भूमिका को विस्तार से समझाया गया। उन्होंने सड़क, रेल और बिजली जैसे अवस्थापना घटकों के साथ-साथ रामायण सर्किट जैसी सांस्कृतिक परियोजनाओं के माध्यम से यूपी के योगदान को रेखांकित किया।
गोरखपुर-बुटवल विद्युत लाइन और रुपैडिहा/सोनौली जैसे भूमि बंदरगाहों की परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि नेपाल की उभरती अर्थव्यवस्था के साथ-साथ उत्तर प्रदेश व्यापार, पर्यटन और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
चेयरमैन, लैंड पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जयंत सिंह ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यशाला में भाग किया और अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये।
महत्वपूर्ण सुझाव और भविष्य की दिशा
सत्रों से प्राप्त सुझावों में सीमावर्ती जिलों में विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) की स्थापना, इंटरनेट कनेक्टिविटी एवं बिजली आपूर्ति में सुधार के प्रस्ताव सम्मिलित थे। साथ ही यह भी रेखांकित किया गया कि पर्यटन, विशेष रूप से बौद्ध सर्किट, उत्तर प्रदेश और नेपाल दोनों के लिए आर्थिक प्रगति का सशक्त माध्यम बन सकता है।
कार्यशाला में उद्योग संघों, नीति आयोग, सीमावर्ती जिलों के व्यापार निकायों, स्थानीय व्यवसायों, जिला प्रशासन और इन्वेस्ट यूपी के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।
कार्यशाला के समापन पर उत्तर प्रदेश सरकार के सचिव (अवसंरचना एवं औद्योगिक विकास) और इन्वेस्ट यूपी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विजय किरण आनंद ने धन्यवाद ज्ञापन में कहा कि “यह कार्यशाला न केवल ज्ञानवर्धक रही, बल्कि व्यावहारिक सुझावों से भरपूर भी रही, जो भविष्य में बेहतर अवसंरचना विकास एवं व्यापारिक संभावनाओं को साकार करने में सहायक सिद्ध होंगे।”
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