- हिंदी विवि में यांत्रिक बुद्धिमत्ता का जिम्मेदारी से उपयोग : जनसंपर्क की भूमिका विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन
- कश्मीर घटना के मृतकों को दी श्रद्धांजलि
वर्धा (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि यांत्रिक बौद्धिकता मानव चेतना के समक्ष चुनौती है। मनुष्य के पास सांस्कृतिक, सामाजिक और मनोविज्ञानिक बौद्धिकता है, इस तरह की बौद्धिकता यांत्रिक बौद्धिकत्ता में नही है। यांत्रिक बौद्धिकता हमारे लिए सेवक होनी चाहिए मालिक नहीं। प्रो. शर्मा विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग व जनसंपर्क कार्यालय, महाराष्ट्र सरकार के माहिती व जनसंपर्क महासंचालनालय, नागपुर तथा पब्लिक रिलेशन्स सोसाइटी ऑफ इंडिया, (पीआरएसआई) वर्धा चैप्टर के संयुक्त तत्त्चावधान में ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता का जिम्मेदारी से उपयोग : जनसंपर्क की भूमिका’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में संबोधित कर रही थी।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि वर्धा के पुलिस अधीक्षक अनुराग जैन, विशिष्ट अतिथि आचार्य विनोबा भावे ग्रामीण अस्पताल, सावंगी मेघे, वर्धा के विशेष कार्य अधिकारी संजय इंगळे तिगांवकर तथा जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे एवं संगोष्ठी के संयोजक डॉ. राजेश लेहकपुरे मंचपर उपस्थित थे।

कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि यांत्रिक बौद्धिकता का प्रयोग मनुष्य, समाज, देश व मानव कल्याण के लिए अंधेरे से उजाले की ओर ले जाने की दिशा में होना चाहिए। भारत युवाओं का देश है और विकसित भारत का लक्ष्य युवाओं की प्रतिभा से ही पूरा होगा। युवा प्रतिभा का उपयोग भारत में ही होना चाहिए। हमारे पास संसाधन है, नजरिया भी होना चाहिए। यांत्रिक बौद्धिकता का उपयोग हम शिक्षा, व्यापार, स्वास्थ्य एवं जनसंपर्क में कर सकते हैं।

जिला पुलिस अधीक्षक अनुराग जैन ने कहा कि यांत्रिक बुद्धिमत्ता को लेकर लोगों में जागरूकता लानी चाहिए। इसका गलत उपयोग होने की भी काफी संभावनाएं है, जिससे हमें जागरूक और सतर्क रहकर इसे रोकना चाहिए। उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की कि इसके गलत उपयोग से बचाव के लिए मीडिया के विद्यार्थी व जनसंपर्क अधिकारियों ने लोगों को समझाना चाहिए। समाज की भलाई के लिए क्या सही क्या गलत इसे लेकर ए.आई. पर काम करने वाले वैज्ञानिकों तक संदेश दिया जाना चाहिए। विशेष कार्य अधिकारी संजय इंगळे तिगांवकर ने कहा कि ए.आई. को दिल से सोचने का तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। केवल दिमाग से नहीं बल्कि दिल से सोचने की क्षमता ए.आई. बनाने वाले उसमे जोड़ दे तो हमारी और आपकी दुनिया बहुत खुबसूरत बन जाएगी। इस दौरान जनसंचार विभाग के शोधार्थी और विद्यार्थियों द्वारा प्रकाशित मीडिया समय का लोकार्पण किया गया।
अतिथियों का स्वागत सूतमाला, शॉल एवं सम्मान चिह्न देकर किया गया। स्वागत वक्तव्य जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने दिया। जनसंचार विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर, संयोजक डॉ. राजेश लेहकपुरे ने संगोष्ठी प्रतिवेदन प्रस्तुत किया तथा आभार माना।
संगोष्ठी में जनसंपर्क अधिकारी एवं विदर्भ के जिला माहिती अधिकारियों के सहभगिता कर अपने विचार सांझा किये और कामकाज के उपयोग में संगोष्ठी को लाभप्रद बताया। संगोष्ठी में यांत्रिक बुद्धिमत्ता से उपजी समस्याओं और उनके निदान को लेकर भी गंभीर चर्चा की गयी। यह आयोजन शैक्षणिक जगत से लेकर सामाजिक सरोकारों से जुड़े संदर्भों के लिए भी सफल सिद्ध हुआ।
कार्यक्रम में जम्मू–कश्मीर में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले की घटना पर शोक व्यक्त करते हुए इस घटना में मारे गए लोगों के प्रति दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजली दी गयी। कार्यक्रम का संचालन जनसंपर्क अधिकारी, संगोष्ठी के सह-संयोजक बी.एस.मिरगे ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ कुलगीत से तथा समापन राष्ट्रगान से किया गया। इस अवसर पर अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।