पशुपालन निदेशालय में निराश्रित गोवंश संरक्षण के संबंध में समीक्षा बैठक
25 से 30 अप्रैल तक भूसा और साईलेज टेंडर की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह की अध्यक्षता में पशुपालन निदेशालय में निराश्रित गोवंश संरक्षण के संबंध में समीक्षा बैठक आहूत की गई। श्री सिंह ने समीक्षा के दौरान भूसा टेंडर प्रक्रिया में देरी पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते कहा कि 25 से 30 अप्रैल के मध्य भूसा और साईलेज टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। यदि कहीं से चारे भूसे के अभाव में गोवंश के भूखे या बीमार होने की सूचना प्राप्त होती है तो संबंधित अधिकारी की विरुद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने भूसा भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश भी दिए और कहा कि गोवंश के भरण पोषण में कोई कमी न हो। गौ आश्रय स्थलों पर गर्मी के दृष्टिगत गोवंश को धूप व लू से बचाया जाए। शेड, स्वच्छ पानी, बिजली, हरा चारा और पर्याप्त औषधियों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। गोशाला में कोई भी गोवंश भूखा या प्यासा न रहे। गौशालाओं का उचित प्रबंध किया जाए।
धर्मपाल सिंह ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं से गोवंशों तथा अन्य पशुओं की सुरक्षा हेतु प्रदेश के राजमार्गों के समीप स्थित ग्रामों में पशुपालकों के पशुओं/गोवंशों के गले में रेडियम पट्टी पहनाये जाने हेतु 20 अप्रैल से 20 मई तक एक माह का विशेष अभियान संचालित किया जाए। सभी मुख्य पशु चिकित्साधारी रेडियम पट्टी के जारी निर्देशों के अनुसार अभियान को सफल बनाए।
श्री सिंह ने गो संरक्षण केन्द्रों के विलम्बित निर्माण, लम्बित उपयोगिता प्रमाण पत्रों तथा निर्मित केन्द्रों के संबंध में जनपद अमेठी, आगरा, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, ललितपुर, सीतापुर, गोण्डा, हरदोई, मथुरा, झांसी, वाराणसी, चन्दौली, प्रयागराज, गाजीपुर एवं देवरिया सहित अन्य जनपदों को अपेक्षित कार्य न करने पर सख्त रूप से निर्देशित किया। उन्होंने गौशालाओं के निर्माण कार्य, ईयर टैगिंग, संचारी रोगों से बचाव हेतु वैक्सीन एवं औषधियों, भूसा भंडारण के लिए दानदाताओं और स्वयं सेवी संगठनों का सहयोग लेने, नस्ल सुधार कार्यक्रम सुचारू रूप से चलाने, वैक्सीनेशन की फीडिंग पशुधन ऐप पर करने के निर्देश सभी सीवीओ को दिए। उन्होंने कहा कि लघु पशु पालन के लिए संचालित योजनाओं का लाभ छोटे किसानों एवं पशुपालकों तक जरूर पहुंचाया जाए।
बैठक में बताया गया कि वर्तमान में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में 6747 अस्थायी गो आश्रय स्थल, 372 वृहद गो संरक्षण केन्द्र, 306 कांजी हाऊस एवं शहरी क्षेत्र में 295 कान्हा गो आश्रय स्थल सहित कुल 7720 गो आश्रय स्थलों में 1251805 निराश्रित गोवंश संरक्षित है। मुख्यमंत्री सहभागिता योजनान्तर्गत 110102 इच्छुक लाभार्थियों को 170980 निराश्रित गोवंश सुपुर्द किये गये हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा सहभागिता योजनान्तर्गत सुपुर्द गोवंशों तथा गो आश्रय स्थलों में संरक्षित गोवंशों के भरण-पोषण पर प्रतिदिन लगभग धनराशि रू0-07.00 करोड व्यय कर रही है। प्रदेश में अब तक 560 वृहद गो संरक्षण केन्द्रों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गयी. जिसके सापेक्ष 372 वृहद गो संरक्षण केन्द्रों का निर्माण पूर्ण हो चुका हैं। प्रत्येक वृहद गो संरक्षण केन्द्र की गोवंश धारण क्षमता 400 गोवंश तथा इकाई निर्माण लागत रु 160.12 लाख है।गो आश्रय स्थलों में संरक्षित के भरण-पोषण हेतु शत-प्रतिशत अनुदान राशि का भुगतान डी०बी०टी० द्वारा मार्च-2025 तक किया जा चुका है।
बैठक में के0 रवीन्द्र नायक (प्रमुख सचिव, पशुधन एवं दुग्ध विकास) ने निराश्रित गोवंश संरक्षण, भरण पोषण, भूसा टेंडर एवं साईंलेज टेंडर की प्रगति, गोचर भूमि/हरा चारा आच्छादन, गो आश्रय पोर्टल पर ऑनलाइन निरीक्षण अपलोडिंग की स्थिति, वृहद गोसंरक्षण केंद्रों के निर्माण एवं हैंडओवर तथा विलंबित निर्माण कार्यों की गहन समीक्षा करते हुए मंत्री को अद्यतन स्थिति से अवगत कराया। प्रमुख सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बैठक में मंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित किया जाए और बैठक में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा किया जाए।
बैठक में देवेंद्र कुमार पाण्डेय (विशेष सचिव, पशुधन), डा. जयकेश कुमार पाण्डेय (निदेशक, प्रशासन एवं विकास) तथा डा. योगेन्द्र सिंह पवार (निदेशक, रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र), डा. राजीव कुमार सक्सेना (अपर निदेशक, ग्रेड-1. नियोजन) तथा डा. मेमपाल सिंह (अपर निदेशक, गोधन विकास, 75 जनपदों के मुख्य पशुचिकित्साधिकारी, 18 मण्डलों के अपर निदेशक मौजूद रहे।