Wednesday , April 2 2025

प्रकृति-विज्ञान व देश काल के विज्ञान पर आधारित है भारतीय नववर्ष : आचार्य मिथिलेशनंदिनी

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भारतीय नववर्ष प्रकृति विज्ञान व देश काल के विज्ञान पर आधारित है कि किस प्रकार सूर्य की गति से और देश काल की सापेक्षता से जीवन आगे बढ़ता है। समय की यात्रा करती हुई प्रकृति किस तरह पुनर्नवा होकर स्वयं को नवीन करती हुई जीवन का पोषण करती है। भारतीय नववर्ष का शुभारम्भ बसंत से होता है जो हमारे चक्रों की पहली ऋतु है और जो मधु के द्वारा जीवन का जगत का पोषण करती है तो इसका आयोजन करने वाले सभी लोगों को साधुवाद और शुभकामनाएं देता हूँ, वह साधुवाद के पात्र हैं। अयोध्या की सिद्धपीठ श्री हनुमन्नवास के पीठाधीश्वर अनंत श्री विभूषित आचार्य मिथिलेश नंदनी शरण ने यह बातें नव वर्ष चेतना समिति के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय आयोजन के प्रथम दिन भातखंडे के कला मंडपम में आयोजित उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में यह बातें कहीं।

उन्होंने कहा कि भारतीय नववर्ष पूरे जगत में धूमधाम से मनाया जाना चाहिए। वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित नववर्ष का संचार देश के हर व्यक्ति में पहुँचाने के लिए समय-समय पर विभिन्न तरह के कार्यक्रमों की आवश्यकता है। हम सभी को तब और अच्छा लगेगा जब भारतीय नववर्ष पर अयोध्या का दर्शन करने परिवार के साथ देशवासी आएं।

आयोजन की शुरुआत में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों के साथ ही कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, मुख्य वक्ता रामाशीष सिंह, अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य चिति (प्रज्ञा प्रवाह) रामाशीष सिंह का स्वागत पुष्पगुच्छ व अंगवस्त्र भेंटकर किया गया। कार्यक्रम में सरस्वती वंदना के साथ ही नव सम्वत्सर पर आधारित गीत वर्ष प्रतिपदा आओ मनाएं अपने पथ पर लौट आएं… की प्रस्तुति भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय के कलाकारों द्वारा बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत की गई।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य वरिष्ठ प्रचारक रामाशीष ने कहा कि जीवट के हैं आप लोग। पिछले कई वर्ष से लगातार यह भारतीय तिथि पर ऐसा आयोजन करना प्रेरणादाई है। जो विषय विज्ञान पर आधारित है वह समाज से अछूता नहीं रहना चाहिए। वर्तमान में आवश्यक हो गया है कि नागरिक प्रकृति के करीब रहें और वैज्ञानिक आधारित जीवन जीएं।

समिति के अध्यक्ष डा. गिरीश गुप्ता ने बताया कि दूसरे दिन 30 मार्च यानी नवसंवत 2082 के प्रथम दिन समारोह का समापन समारोह सांय 5.30 बजे बीरबल साहनी मार्ग पर गोमती नदी के किनारे खाटू श्याम मन्दिर परिसर में दीपोत्सव व कथा रंग फाउंडेशन, लखनऊ के कलाकारों द्वारा नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत राम कहानी के साथ होगा। समापन समारोह की मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. अनिता भटनागर जैन व विशिष्ट अतिथि प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, लखनऊ की राजयोग-शिक्षिका ब्रह्मकुमारी राधा व सेंट जोजेफ स्कूल, लखनऊ की संस्थापक-अध्यक्ष पुष्पलता अग्रवाल होंगी।

कार्यक्रम में हुए अतिथियों का स्वागत समिति के अध्यक्ष डॉ. गिरीश गुप्ता ने किया। जबकि मंच का संचालन समिति के मंत्री डॉ. सुनील कुमार अग्रवाल द्वारा किया गया।

 इस समारोह की अध्यक्षता सेवानिवृत्त मुख्य आयकर आयुक्त उषा गुप्ता करेंगी। समारोह में समिति की संरक्षक रेखा त्रिपाठी भी अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज करायेंगी।

उन्होंने बताया कि लखनऊ शहर में इस बार 21 समितियां विक्रम संवत्सर मना रही हैं। गोमती के पांच घाटों पर इसके कार्यक्रम आयोजित किये जाने की तैयारी है। यही नहीं भारतीय नव वर्ष को लेकर आम लोगों में भी उत्साह जग रहा है। व्यापारियों द्वारा भी इस मौके पर ग्राहकों का मुंह मीठा कराना, तिलक लगाना और खरीदारी पर कुछ छूट भी देने की तैयारी की जा रही है।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं प्रख्यात स्तम्भकार हृदय नारायण दीक्षित ने भी नववर्ष का स्वागत किया और आयोजन को सराहा। इस अवसर पर पूर्व कुलपति प्रो. एसपी सिंह, रेखा त्रिपाठी, डॉ. हरेंद्र श्रीवास्तव, रामस्वरूप यादव, भुवनेश्वर, राधेश्याम सचदेवा, रघुराज शर्मा, प्रियंका चौहान, कमलेंद्र मोहन, शेषनाथ सिंह, अजय सक्सेना, अरुण तिवारी, श्याम जी, गोपाल जी, आकाश मिश्रा, सुमित तिवारी, डॉ. संगीता शुक्ला, अमित चंदेल और दीपक अग्रवाल, भारत सिंह, धर्मेंद्र अस्थाना, आकाश मिश्रा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।