लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। खुन खुन जी गर्ल्स पीजी कॉलेज और उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के संयुक्त संयोजन में संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसका विषय हिंदी व पंजाबी भाषाओं का संरक्षण और प्रोत्साहन रहा। संगोष्ठी में प्रो. नीतू शर्मा (आईटी कॉलेज, लखनऊ हिंदी विभाग), प्रो. रेखा गुप्ता (अवध गर्ल्स पीजी कॉलेज), लुआक्टा अध्यक्ष प्रो. मनोज पाण्डेय, विनय प्रकाश मिश्रा (कार्यक्रम समन्वयक) तथा सुधा मिश्रा (कार्यक्रम संयोजक) उपस्थित रही।
संगोष्ठी का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. अंशु केडिया ने सभी अतिथियों को शाल और मोमेंटो देकर सम्मानित किया। संगोष्ठी में मनोज पांडे ने कहा कि देश की उन्नति तभी संभव है जब हम अपना विकास अपनी भाषा में करेंगे। क्योंकि आज के समय जितने भी विकसित देश हो चाहे वह चीन या जापान, सबने अपना विकास अपनी भाषा में ही किया है। उनके ध्यान आकर्षण का विषय यह था कि न्यायिक व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय की भाषा हिंदी में ही होनी चाहिए। ताकि एक आम व्यक्ति के लिए न्याय प्राप्त कर पाना आसान हो जाए। उन्होंने कहाकि इन मंचों से हिंदी भाषा को लेकर उठी आवाज़ आंदोलन का रूप लेगी और भविष्य में अपने गरिमामयी उपस्थित को प्राप्त कर पाएगी।

प्रो. नीतू शर्मा ने हिंदी तथा पंजाबी भाषा के महत्व को स्पष्ट करते हुए बताया कि हिंदी का अपना विराट संसार है और वैश्वीकरण के इस युग में हर भाषा के बीच में हिंदी को अपनी उपस्थिति को सिद्ध करना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी शिक्षा और स्वभाषा के महत्व को स्पष्ट किया गया है। उन्होंने एक देश एक भाषा के सिद्धांत को अपनाने पर बल दिया गया है। क्योंकि हिंदी में विशाल साहित्य और वृहद शब्दावली है इसलिए इसे विश्व भाषा का सम्मान मिलना चाहिए।
प्रो. रेखा गुप्त ने भी अपने विचारों को स्पष्ट करते हुए बताया कि भाषा समाज की आत्मा है यह सांस्कृतिक परंपराओं और इतिहास की पहचान बनाए रखने का सबसे सशक्त माध्यम है। इसलिए हमारा दायित्व है कि हम अपनी भाषा के समक्ष आने वाली चुनौतियों को दूर करने का प्रयास करें।

विनय प्रकाश मिश्रा ने बहुत ही सशक्त और रोचक अंदाज में हिंदी की महत्ता को स्पष्ट करते हुए बताया कि हमें भाषा को नहीं, भाषा बोलने वाले का संवर्धन करना है। क्योंकि हिंदी एक बहुत ही प्रांजल और परिष्कृत भाषा है तथा सभी भाषाओं का आधार है। हिंदी हमारी परिचारिका तथा मां के समान है इसलिए हमें उसके प्रति सम्मान का भाव रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम की संयोजिका सुधा मिश्रा ने भी हिंदी के महत्व को स्पष्ट करते हुए बताया कि हमारा उत्तरदायित्व है कि हम अपनी भाषा को अपनाए क्योंकि हमें बहती नदी की तरह बनना है पोखर की तरह नहीं। उन्होंने बताया कि यदि किसी देश को गुलाम बनाना है तो उसकी भाषा को उससे छीन लो। संगोष्ठी के अंतिम चरण में प्राचार्या प्रो. अंशु केडिया के द्वारा सबका धन्यवाद ज्ञापन किया गया।