महिला दिवस विशेष
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना नमो ड्रोन दीदी से जुड़कर उत्तर प्रदेश की सैकड़ों महिलाएं न केवल अपने पैरों पर खड़ी हैं बल्कि 60 से 70 हजार रूपये तक की मासिक आय अर्जित कर रही हैं। प्रदेश में अब तक 80 से अधिक महिलाओं को ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण दे चुकी मारुत ड्रोन की योजना अब 2026 तक 300 और महिलाओं को ड्रोन पायलट प्रशिक्षण देने की है।
पीएम मोदी की इस योजना के तहत ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण ले चुकीं उत्तर प्रदेश के मैनपुरी ज़िले की देवकी राजपूत बताती हैं कि पहले वे स्कूल टीचर बनना चाहती थीं, लेकिन वह अपने सपने को पूरा नहीं कर पाईं। हालांकि, मारुत ड्रोन अकादमी में 17 दिनों का कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने के बाद, देवकी अब एक कुशल ड्रोन चालक बन गई हैं और उन्होंने ड्रोन तकनीक को एक नए पेशे के रूप में अपनाया है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम सशक्त नारी, विकसित भारत में ड्रोन उड़ाने का सम्मान भी मिला। देवकी कहती हैं, “जब हम ड्रोन उड़ाते हैं तो दूसरी महिलाएं हमें आश्चर्य से देखती हैं।
वाराणसी के पिंडरा ब्लॉक के गोपालपुर गांव की ड्रोन दीदी अनीता पटेल ने अपनी मास्टर डिग्री और बी.एड की पढ़ाई पूरी कर ली थी और शुरू में एक स्कूल टीचर के तौर पर काम करने की योजना बनाई थी। हालांकि, जब उनके पति बीमार पड़ गए, तो उन्होंने अपनी खेती की ज़िम्मेदारी संभाली। मारुत ड्रोन अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद, अनीता खेती में सहायता के लिए ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करना जारी रखती हैं। वह स्थानीय किसानों को ड्रोन सेवाएं प्रदान करने वाली एक सफ़ल उद्यमी बन गई हैं और सम्मानजनक आय प्राप्त हो रही हैं।
वाराणसी के काशी विद्यापीठ ब्लॉक के बिस्नुपुर की उर्मिला देवी अपने खेत में कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करती हैं। वह बताती हैं, “ड्रोन का इस्तेमाल करके एक एकड़ ज़मीन पर कीटनाशक का छिड़काव करने में सिर्फ़ 7-8 मिनट लगते हैं। मैं एक दिन में आसानी से 20-25 एकड़ में कीटनाशक का छिड़काव कर सकती हूँ और हर महीने औसतन ₹75,000 कमा सकती हूँ।”
वर्ष 2024 में शुरू की गई नमो ड्रोन दीदी पहल का उद्देश्य फ़सल निगरानी और कीटनाशक छिड़काव जैसी कृषि पद्धतियों में अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक को एकीकृत करके कृषि में लैंगिक अंतर को पाटना है। इन महिलाओं ने हैदराबाद में मारुत ड्रोन अकादमी में प्रशिक्षण लिया। जहाँ उन्होंने ड्रोन चलाना सीखा और ड्रोन तकनीक के विभिन्न अनुप्रयोगों में दक्षता हासिल की। इस प्रशिक्षण के बाद ड्रोन दीदियाँ अब न केवल कुशल ड्रोन चालक हैं बल्कि उद्यमी भी हैं, जो फ़सल छिड़काव और भूमि सर्वेक्षण जैसे कृषि कार्यों के लिए ड्रोन सेवाएँ प्रदान करती हैं।
मारुत ड्रोन के सीईओ और सह-संस्थापक प्रेम कुमार विस्लावत ने कहा, “रिमोट ड्रोन पायलट प्रशिक्षण कार्यक्रम सफ़लतापूर्वक पूरा होने के बाद, हमारे प्रतिनिधि (पीओसी) नियमित आधार पर उनके साथ काम करना जारी रखते हैं। हमारा लक्ष्य 2026 तक 300 और महिलाओं को ड्रोन पायलट प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बनाना है, ताकि वे अपनी कौशल क्षमता का उपयोग कर सामाजिक और आर्थिक रूप से स्वतंत्र जीवन जी सकें।”
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