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100 दिवसीय सघन टीबी अभियान में मेडिकल कॉलेजों का बहुमूल्य योगदान : डॉ. सूर्य कांत


लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। प्रधानमंत्री ने साल 2025 के अंत तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। इसी क्रम में सात दिसम्बर से 15 उच्च प्राथमिकता वाले जनपदों में 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान शुरू किया गया था। मुख्यमंत्री द्वारा इस अभियान की समीक्षा के बाद यह अभियान सभी 75 जनपदों में शुरू कर दिया गया।

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष और नार्थ जोन टीबी टास्क फ़ोर्स के चेयरमैन डॉ. सूर्य कान्त बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। वह उच्च जोखिम वाले लोगों की जाँच कर रहे हैं और टीबी की पुष्टि होने पर तुरंत इलाज शुरू किया जा रहा है। उच्च जोखिम वाले समूहों में टीबी होने की संभावना स्वस्थ व्यक्तियों की अपेक्षा ज्यादा होती है।
उच्च जोखिम वाले समूह हैं – 60 साल से अधिक उम्र के लोग, डायबिटीज एवं एचआईवी के रोगी, तीन साल के भीतर टीबी मरीज़ जिनका उपचार पूरा हुआ, के संपर्क में रहने वाले मरीज़, पांच वर्ष के भीतर वाले टीबी मरीज, 18.5 किग्रा/मी2 से कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की कुपोषित जनसँख्या, धूम्रपान एवं नशा करने वाले रोगी तथा झुग्गी-झोपड़ियों, मलिन बस्तियों, जेलों, वृद्धाश्रमों आदि में रहने वाले लोग।
मेडिकल कॉलेज दो लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं साल 2015 के आंकड़ों के अनुसार प्रति एक लाख की जनसँख्या पर टीबी के नए मरीजों की संख्या में 80 फीसद की कमी करनी है और टीबी से होने वाली मौतों की दर 90 फीसद घटाना।
इस 100 दिवसीय सघन टीबी अभियान में अब तक 4050 टीबी मरीजों की पहचान कर लखनऊ पहले स्थान पर है।
डॉ. सूर्य कान्त ने बताया कि एक मार्च को आगरा में अभियान की समीक्षा बैठक का आयोजन होगा।