लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश विधानसभा में 20 फरवरी को पेश होने वाले बजट 2025-26 एमएसएमई की आवश्यकताओं को संबोधित करने और घरेलू और वैश्विक दोनों बाजारों में उनकी सतत वृद्धि और प्रतिस्पर्धात्मकता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण हो सकता है।
उत्तर प्रदेश में एमएसएमई क्षेत्र को राज्य के वार्षिक बजट से कई प्रमुख अपेक्षाएँ हैं। ये अपेक्षाएँ एमएसएमई पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए चल रही चुनौतियों, विकास के अवसरों और आवश्यक नीति समर्थन पर आधारित हैं। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की कुछ प्रमुख अपेक्षाएँ इस प्रकार है:
1. वित्तीय प्रोत्साहन, सब्सिडी और अन्य वित संबंधी मामले
• उद्योर्गा को इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने में राहत प्रदान करने के लिए राज्य में पीएनजी और सीएनजी को जीएसटी के तहत लाना, जो आज लागू वैट प्रणाली में उपलब्ध नहीं है।
• एमएसएमई नीति के तहत प्रोत्साहनों में वृद्धि एमएसएमई नीति 2017 और 2022 के तहत प्रोत्साहन प्राप्त करने में आने वाली समस्याओं का समाधान करना और समय पर संवितरण सुनिश्चित करना।
• एमएसएमई के लिए विशेष पैकेज क्षेत्रवार वित्तीय सहायता पैकेज, विशेष रूप से बाजार में उतार-चढ़ाव से प्रभावित उद्योगों के लिए।
• ब्याज सहायता योजनाएँ राज्य समर्थित ऋण योजनाओं के तहत रियायती ऋण सुविधाओं का विस्तार।
• रियायती बिजली दरें प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए एमएसएमई के लिए बिजली दरों में कमी।
• सरकारी उपक्रमाँ/पीएसयू को एमएसएमई से खरीद के लिए वरीयता देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए
2. बुनियादी ढाँचा और सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी)
• एमएसएमई औद्योगिक क्लस्टरों का विकास औद्योगिक पार्को, लॉजिस्टिक्स हब और एमएसएमई-समर्पित क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए पर्याप्त बजट।
• सामान्य सुविधा केंद्रों (सीएफसी) के लिए सहायता नए सीएफसी और परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिए बजट आवंटन, जिससे एमएसएमई के लिए उन्नत तकनीक और गुणवत्ता प्रमाणन अधिक सुलभ हो सके।
3. डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी अपनाना
• इंडस्ट्री 4.0 अपनाने के लिए प्रोत्साहन स्वचालन, एआई, 10T और क्लाउड-आधारित समाधान अपनाने वाले एमएसएमई के लिए विशेष अनुदान या सब्सिडी।
• राज्य समर्थित डिजिटल मार्केटप्लेस घरेलू और वैश्विक बाजार तक पहुँच बढ़ाने के लिए यूपी एमएसएमई के
लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का विकास।
• कागज रहित अनुमोदन और अनुपालन सरलीकरण और सुधार ऑनलाइन सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से लाइसेंसिंग और अनुपालन की फास्ट ट्रैकिंग।
4. निर्यात संवर्धन और बाजार संबंध
• एमएसएमई के लिए निर्यात प्रोत्साहन में वृद्धि निर्यात माल ढुलाई लागत, व्यापार मेले में भागीदारी और बाजार पहुँच पहल पर राज्य स्तरीय सब्सिडी।
• ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) के लिए समर्थन ओडीओपी इकाइयों के विपणन, ब्रांडिंग और प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए अतिरिक्त बजट ।
5. कौशल विकास और रोजगार सृजन
• उद्योग-विशिष्ट कौशल कार्यक्रम कौशल भारत, यूपी कौशल विकास मिशन (यूपीएसडीएम) और प्रशिक्षुता कार्यक्रमों के तहत एमएसएमई से संबंधित प्रशिक्षण को मजबूत करना।
• एमएसएमई स्टार्टअप और नवाचार के लिए समर्थन नवाचार-संचालित उद्यमों के लिए अधिक इनक्यूबेशन
सेंटर, मॅटरशिप प्रोग्राम और स्टार्टअप फंडिंग।
6. एमएसएमई संघों को मजबूत करना और मैन्युफैक्चरिंग करने में आसानी
• एमएसएमई संघों की भागीदारी नीति-निर्माण और शिकायत निवारण में इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) और अन्य एमएसएमई निकायों को शामिल करने के लिए बजट प्रावधान।
Ease of doing मैन्युफैक्चरिंग के लिए सुबिधायें प्रदान करना