- विशेषज्ञों ने की जागरूकता बरतने और जीवनशैली सुधारने की अपील
- कैंसर की समय पर पहचान और उन्नत सर्जिकल तकनीकों से सुधर सकता है स्वास्थ्य
- कई मामलों में मरीज पूरी तरह ठीक भी हो सकता है
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश में चिकित्सा विशेषज्ञों ने कैंसर के मामलों में वृद्धि दर्ज की है, जिसमें युवा महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर के मामले भी तेजी से बढ़ते नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कैंसर का गहरा संबंध खानपान और जीवनशैली से है।
मेदांता अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग, भ्रूण चिकित्सा, प्रजनन चिकित्सा और स्त्री रोग संबंधी ऑन्कोलॉजी की निदेशक डॉ. नीलम विनय का कहना है, “आज की कई युवा महिलाएं असंतुलित जीवनशैली से गुजर रही हैं, जहां अनियमित नींद, तनाव और अस्वस्थ खानपान उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। इससे शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ सकता है, जिससे मोटापा बढ़ता है – और इस तरह एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बहुत बढ़ जाता है।”
संतुलित और पोषणयुक्त आहार अपनाने, साथ ही जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने की जरूरत पर जोर देते हुए वह कहती हैं, ‘स्वस्थ वजन बनाए रखना, अच्छी नींद को प्राथमिकता देना और तनाव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। छोटी-छोटी आदतों में सुधार करके हम इस खतरे को काफी हद तक कम कर सकते है। जैसे अपने आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना, प्रोसेस्ड शुगर के सेवन को सीमित करना और नियमित रूप से शारीरिक रूप से सक्रिय रहना। ये साधारण लेकिन बहुत असरकारी बदलाव आगे चलकर स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और इनसे हमारे जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार आता है।’
एंडोमेट्रियल कैंसर के मरीजों के लिए रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी जैसी मिनिमल इनवेसिव प्रक्रियाएं एक सुरक्षित और प्रभावी उपचार पद्धति हैं। यदि यह बीमारी प्रारंभिक अवस्था में पकड़ ली जाए, तो इसके अच्छे उपचार परिणाम मिल सकते हैं और रोगी पूरी तरह ठीक भी हो सकता है। बीमारी की स्थिति और आवश्यकता के अनुसार, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और हार्मोन थेरेपी को भी उपचार का हिस्सा बनाया जा सकता है।
डॉ. नीलम विनय समझाती हैं, “सर्जरी अक्सर प्राथमिक उपचार होती है, जिसमें गर्भाशय को हटाना शामिल होता है, और कुछ मामलों में अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब्स भी हटाए जाते हैं। अपने अनुभव में, मैंने देखा है कि दा विंची जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करने वाली रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी कई महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती है। यह अधिक सटीकता और स्पष्ट दृश्यता उपलब्ध कराती है, साथ ही फायरफ्लाई मोड के जरिए प्रभावी लिम्फ नोड डिसेक्शन सुनिश्चित करती है और रक्तस्राव को भी न्यूनतम करती है। पारंपरिक तरीकों की तुलना में, यह प्रक्रिया कम दर्दनाक है, सर्जरी के बाद लिम्फ ड्रेनेज की समस्या नहीं होती और रिकवरी तेज होती है। इससे कैंसर जैसी मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण बीमारी से जूझ रहे मरीज जल्दी अस्पताल से छुट्टी पाकर अपने सामान्य जीवन में लौट सकते हैं।’
डॉ. नीलम विनय वर्तमान समय में एंडोमेट्रियल कैंसर के मामलों में वृद्धि का कारण महिलाओं में जल्दी मासिक धर्म शुरू होने और देर से रजोनिवृत्ति होने को मानती हैं। वह कहती हैं, “जितने लंबे समय तक गर्भाशय एस्ट्रोजन के संपर्क में रहता है, उतना ही अधिक एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ता है।” एक अन्य कारण माँ बनने की प्रक्रिया को टालना है, जहां महिलाएं बच्चे को जन्म देने में देरी करना चाहती हैं। इसके अलावा, “अनियंत्रित एस्ट्रोजन” की स्थिति भी होती है, जिसमें प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन अपर्याप्त होता है, जिससे एंडोमेट्रियम (गर्भाशय की परत) का असामान्य रूप से बढ़ना शुरू हो जाता है और एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ में उन्नत दा विंची रोबोटिक तकनीक से सर्जरी करने वाले डॉ. एमएस अंसारी का मानना है कि क्षेत्र में कैंसर के बढ़ते मामलों का एक संभावित कारण खराब आहार संबंधी आदतें हो सकती हैं। वे कहते हैं, “उत्तर प्रदेश पिछले कुछ वर्षों से कैंसर संकट से जूझ रहा है। जहां तक मेरी जानकारी है, हर साल बड़ी संख्या में युवा इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। असंतुलित आहार, जिसमें अधिक वसा, कम फाइबर, पोषण की कमी, मोटापा, धूम्रपान और निष्क्रिय जीवनशैली शामिल हैं, विशेष रूप से युवाओं में कैंसर के बढ़ते मामलों के प्रमुख कारण हैं। हालांकि ये कारक जोखिम को बढ़ाते हैं, लेकिन उपचार में हो रही प्रगति, जैसे रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी, उम्मीद जगाती है क्योंकि ये तुलनात्मक रूप से आसान प्रक्रियाएं हैं और तेजी से रिकवरी में मदद करती हैं। हालांकि, कैंसर की समय पर पहचान और इन नई तकनीकों तक पहुंच सुनिश्चित करना बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।”