लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान कैम्पस में आयोजित दो दिवसीय किसान मेले का समापन हो गया। किसान मेले के दूसरे दिन शुक्रवार को देश के विभिन्न राज्यों से आये लगभग 4000 किसानों ने भाग लिया। अतिथियों ने वृक्षारोपण किया तथा दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम की शुरुआत की।
समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद डा. अनिल प्रकाश जोशी (पद्म भूषण एवं पद्म श्री पर्यावरणविद् एवं संस्थापक, हिमालयन पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन देहरादून, उत्तराखण्ड) ने सीमैप एवं लखनऊ स्थित सी.एस.आई.आर की अन्य प्रयोगशालाओं द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि किसान भाई औषधीय एवं सगंध पौधों को परंपरागत फसलों के साथ-साथ उगाएँ तो उनकी आय मे जरूर वृद्धि होगी। किसान मेला में आए बड़ी संख्या में किसानों को देख “किसान कुम्भ” कहकर किसान मेला को सम्मानित किया। उन्होंने सीमैप को किसान मेला आयोजन के लिए बधाई दी।
विशिष्ठ अतिथि डॉ अजीत कुमार शासनी (निदेशक, सी.एस.आई.आर.-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ ने औषधीय एवं सगंध पौधों के उत्पादन में सी.एस.आई.आर.-सीमैप के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि संस्थान के प्रयासों से 5 लाख से भी अधिक किसानों की आय बढ़ाते हुए देश को मेन्था के उत्पादन और निर्यात में शीर्ष स्तर पहुंचा कर सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने वैज्ञानिको तथा किसानो से आवाहन किया कि वे सगंध के साथ साथ औषधीय पौधों के मूल्य संवर्धन का भी कार्य करे।
इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि बी.एल. मीणा (मुख्य सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार) ने अपने सम्बोधन में सी.एस.आई.आर-सीमैप के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने किसानों के लिए अपने विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं के बारे मे विस्तार से बताया।
सी.एस.आई.आर.-सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने किसान मेला मे पधारे अतिथियों एवं किसानों का स्वागत किया। उन्होने अपने स्वागत भाषण में कहा कि किसान मेले का आयोजन इस अवधारणा के साथ प्रारम्भ किया गया है कि सी.एस.आई.आर-सीमैप द्वारा विकसित उन्नत प्रजातियों, उन्नत कृषि एवं प्रसंस्करण तकनीकों को आम जनमानस तक पहुचाने का कार्य किया जा सके। यह किसान मेला किसानों, वैज्ञानिकों एवं व्यापारियों के संगम की तरह है जहां पर सभी भविष्य की परियोजनाओं पर विचार करते हैं। इसका सीधा लाभ किसानों उद्यमियों को मिलता है।
उन्होनें बताया कि सीमैप ने पिछले 6 दशकों से औषधीय एवं सगंध पौधों पर अनुसंधान एवं विकास कार्य कर रहा है। जिसके फल स्वरूप औषधीय एवं सगंध पौधों की उन्नत प्रजातियों का विकास किया है जिससे किसानों को अधिक पैदावार मिलती है। डॉ. त्रिवेदी ने बताया कि सीमैप के द्वारा विकसित की गई मेन्था की प्रजाति को अपनाकर किसानों ने भारत को मेन्था के उत्पादन और निर्यात में शीर्ष स्तर पहुँचा दिया है। अन्त में डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि देश को आत्म निर्भर बनाने के लिए सीमैप देश के किसानों के साथ मिलकर निरन्तर प्रयास करता रहेगा।
इस अवसर पर अतिथियों ने किसान मेला पुस्तिका “औस-ज्ञान्या”, बुलेटिन “मेंथा मे समेकित कीट प्रबंधन”, “रजनीगंधा की उन्नत कृषि तकनीकी पर फार्म” तथा “चमेली की उन्नत कृषि तकनीकी पर फार्म” का विमोचन किया। इसी क्रम में देश के विभिन्न भागों से आए प्रगतिशील किसानों को मेंथा, जिरेनियम एवं खस की उन्नत पौंध सामग्रियों का भी वितरण भी किया गया।
इस अवसर पर “सिम-सरस्वती” (तुलसी की उन्नत प्रजाति), “सिम-संगम” (जिरेनियम की उन्नत प्रजाति) को भी किसानो को समर्पित की गयी। किसान मेले में सीएसआईआर-सीमैप और मेसर्स श्री आनंदा इंटरप्राइजेज़, बैंग्लोर के मध्य सीएसआईआर-सीमैप के एरोमा मिशन के लाभार्थी किसानों से उत्पादित सगंध तेलों को खरीदने के लिए एक अनुबंध पर भी हस्ताक्षर किए गए।
इस किसान मेला कार्यक्रमों के अतिरिक्त एक विशेष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। जिसमें सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं द्वारा किसानों के लिए उपयोगी प्रौद्योगिकियों तथा योजनाओं का प्रदर्शन किया गया। मेला स्थल पर उद्योगों और स्वयं-सेवी संस्थाओं तथा महिला सशक्तिकरण योजना आदि के स्टॉल भी लगाए गए। आगंतुक किसानों और उद्यमियों को इस अवसर पर सीमैप द्वारा प्रकाशित स्मारिका ‘औस-ज्ञान्या’ पुस्तिका भी उपलब्ध कराई गई। इस अवसर पर सीएसआईआर-सीमैप के वैज्ञानिक, कर्मचारी, शोधार्थी एवं दूसरे विभागों के वैज्ञानिक, उद्योग के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संजय कुमार द्वारा किया गया।