लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सूर्यकान्त को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, यूपी द्वारा हाल ही में हुई 89वीं वार्षिक कांफ्रेंस में ’’डॉ. लक्ष्मण कैंसर अवेयरनेस एण्ड रिसर्च अवार्ड 2024’’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, यूपी के अध्यक्ष डा. एमएम पालीवाल ने प्रदान किया। यह सम्मान उनको कैंसर जागरूकता एवं शोध कार्यों के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया है।
डॉ. सूर्यकान्त पिछले 25 वर्षों से अधिक समय से अपने लेखों व वार्ताओ एवं टी.वी. व रेडियो एवं इलेक्ट्रानिक/प्रिंट/सोशल मीडिया के माध्यम से लोगो में लंग कैंसर, टी.बी., अस्थमा, एलर्जी व श्वसन संबंधी अन्य बीमारियों से बचाव व उपचार के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं। उन्होंने फेफड़े के कैंसर सम्बन्धी 50 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किये हैं व फेफड़े के कैंसर विषय पर दो पुस्तकें भी लिखी हैं। डा. सूर्यकान्त ने के.जी.एम.यू. के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में वर्ष 2012 में ’’धूम्रपान निषेध क्लीनिक’’ की स्थापना की है, तथा विभाग में ’’फेफड़े के कैंसर के रोगियों के लिए एक विशेष क्लीनिक’’ भी स्थापित की है।
केजीएमयू का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग देश के समस्त रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभागों में ऐसा विभाग है, जहाँ पर सबसे ज्यादा फेफड़े के कैंसर के रोगियों का उपचार किया जाता है। इनमें से जो गरीब रोगी होते हैं उनका उपचार निःशुल्क किया जाता है। वे वर्तमान में इण्डियन सोसाइटी फॉर स्टडी ऑफ लंग कैंसर के एडवाजरी बोर्ड के मेम्बर हैं तथा पूर्व में इंडियन सोसाइटी अगेंस्ट स्मोकिंग के राष्ट्रीय महासचिव रहे हैं।
डॉ. सूर्यकान्त को स्टैनफोर्ड, यूनीवर्सिटी, अमेरिका द्वारा चयनित विश्व के सर्वोच्च 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की श्रेणी में भी स्थान प्राप्त है। डॉ. सूर्यकान्त को इंडिया टुडे द्वारा प्रकाशित कॉफी टेबल बुक में भारत के प्रसिद्ध शीर्ष 58 लोगों में शामिल किया गया है जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों और स्थानों में काम कर रहे हैं। उन्हें अमर उजाला, आउटलुक, द वीक कनेक्ट जैसे विभिन्न मीडिया प्रकाशनों में स्वास्थ्य आइकॉन के रूप में भी स्थान प्राप्त है। वह रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में विगत 25 वर्षों से चिकित्सा शिक्षक, 20 वर्षों से प्रोफेसर व 13 वर्षों से विभागाध्यक्ष के पद पर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा वह चिकित्सा विज्ञान सम्बंधित विषयों पर 23 किताबें भी लिख चुके हैं तथा एलर्जी, अस्थमा, टी.बी. एवं कैंसर के क्षेत्र में उनके अब तक लगभग 900 से अधिक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अर्न्तराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं साथ ही दो अंतरराष्ट्रीय पेटेन्ट का भी उनके नाम श्रेय जाता है। लगभग 200 एमडी/पीएचडी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन, 50 से अधिक शोध परियोजनाओं का निर्देशन, 22 फैलोशिप, 19 ओरेशन एवार्ड का भी श्रेय उन्हें जाता है। उन्हें अब तक अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा 210 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।