लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट नेटवर्क इंडिया (UN GCNI) और पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित “पारदर्शिता और सुशासन के माध्यम से ईमानदारी को बढ़ावा देना” विषय पर आधारित सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा देने के लिए अकादमिक सत्र आयोजित किया गया। इसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्य 16 (SDG16) को प्राप्त करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में नैतिक सुशासन, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व को उजागर करना था।
इस सत्र में शिक्षा, व्यवसाय, स्वास्थ्य सेवा, गैर सरकारी संगठन और मीडिया से जुड़े नेताओं ने शांति, न्याय और मजबूत संस्थानों को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक कार्रवाई की भूमिका पर चर्चा की। प्रमुख विषयों में पारदर्शिता, नैतिक नेतृत्व, जवाबदेही और भ्रष्टाचार की चुनौतियों का समाधान करने में सामूहिक कार्रवाई की भूमिका शामिल थी।
सत्र की शुरुआत डॉ. सोमनाथ सिंह (उप निदेशक, UN GCNI) द्वारा स्वागत भाषण के साथ हुई। उन्होंने शांति और न्याय को बढ़ावा देने में सामूहिक कार्रवाई की भूमिका पर प्रकाश डाला और नेतृत्व की जवाबदेही और पारदर्शी प्रणालियों के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया।
विशेष सचिव एवं अपर विधि परामर्शदाता (न्याय विभाग), उत्तर प्रदेश सरकार बीएन रंजन ने पारदर्शिता और भरोसे को बढ़ावा देने के लिए प्रणालीगत बदलाव और जवाबदेही की आवश्यकता पर बल दिया। पीएचडीसीसीआई की एचआर एवं आईआर समिति के अध्यक्ष आशीष मोहन विग ने UN GCNI और PHDCCI के सहयोग की सराहना करते हुए सामूहिक कार्रवाई को सुशासन की चुनौतियों के समाधान का महत्वपूर्ण उपकरण बताया। क्षेत्रीय आयुक्त-1, EPFO, नई दिल्ली नवीन कुमार ने सार्वजनिक और निजी संस्थानों में ईमानदारी, सुशासन और नैतिक प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर दिया।
शैक्षणिक संस्थान, भ्रष्टाचार और समाधान सत्र
“पारदर्शिता की ओर शैक्षिक मार्ग: शासन और नैतिक नेतृत्व में शिक्षा का योगदान” विषय पर आयोजित अकादमिक सत्र की अध्यक्षता पीएचडीसीसीआई के उप महासचिव, डॉ. जतिंदर सिंह ने की। इस सत्र में अनुसंधान और डेटा-आधारित नीति सिफारिशों की पारदर्शिता को बढ़ावा देने में भूमिका पर चर्चा की गई।
डॉ. अजरुमंद ज़ैदी (संस्थापक, होली विजन इंटरनेशनल) ने शिक्षा संस्थानों द्वारा नैतिक नेतृत्व को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने की भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. स्मृति श्रीवास्तव (एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय) ने नेतृत्व प्रशिक्षण में नैतिकता की आवश्यकता पर चर्चा की और शिक्षा अनुसंधान के भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों पर प्रभाव का विश्लेषण किया।
प्रो. मनोज जोशी (भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, लखनऊ) ने वित्तीय जवाबदेही और भ्रष्टाचार से निपटने में एआई और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों की भूमिका पर चर्चा की। प्रो. (डॉ.) मुनव्वर आलम खालिद (डीन, छात्र कल्याण, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी) ने नैतिक पर्यावरणीय प्रथाओं और बहु-विषयक सहयोग की भूमिका पर जोर दिया। डॉ. कविता पाठक (निदेशक, जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट) ने नैतिक नेतृत्व को बढ़ावा देने और व्यावसायिक प्रथाओं में नैतिकता को शामिल करने के महत्व पर चर्चा की।
व्यावसायिक चर्चा और भ्रष्टाचार
“पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए संयुक्त रणनीतियाँ” पर आयोजित पैनल चर्चा में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। प्रो. अजय प्रकाश (लखनऊ विश्वविद्यालय) ने उद्योग और शिक्षा के बीच सहयोग को पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण बताया।
डॉ. निरुपम प्रकाश (स्वास्थ्य सलाहकार) ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी और मरीज-केंद्रित शासन की आवश्यकता पर बल दिया। आकाश श्रीवास्तव (निदेशक, टेकक्यूआरटी प्रा. लि.) ने स्वास्थ्य सेवा और एमएसएमई क्षेत्रों में शासन तंत्र को मजबूत करने के लिए एआई और ब्लॉकचेन का उपयोग करने पर चर्चा की। अनूप किशोर अग्रवाल (संस्थापक, माय मेंटर) ने जमीनी स्तर पर ईमानदारी और नैतिक नेतृत्व को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
रतन मणि लाल (पूर्व संपादक, हिंदुस्तान टाइम्स) ने भ्रष्टाचार के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मीडिया की भूमिका और संस्थानों को जवाबदेह बनाने के महत्व पर प्रकाश डाला। सैयद नजमियुल हसन रज़वी (सचिव, टीएमटी) ने सामुदायिक जुटान और स्थानीय शासन को राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी ढांचे के साथ जोड़ने की भूमिका पर जोर दिया। अजीतेश तिवारी (मजदूर प्रवर्तन अधिकारी, बिहार सरकार) ने श्रम-प्रधान क्षेत्रों में भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों के कार्यान्वयन पर अपने विचार साझा किए।
“ईमानदारी के पथ: क्षेत्र विशेषज्ञों और नेताओं से सीख”
डॉ. सोमनाथ सिंह (उप निदेशक, UN GCNI) द्वारा संचालित इस सत्र में, पैनलिस्टों ने पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों से अमूल्य विचार साझा किए। इस सत्र ने उद्योगों में ईमानदारी को बढ़ावा देने में विभिन्न क्षेत्रों के बीच सहयोग और साझा जिम्मेदारी के महत्व को रेखांकित किया।
रामजस इंटरनेशनल स्कूल की प्राचार्य ऋचा शर्मा ने छात्रों में पारदर्शिता और जवाबदेही के मूल्यों को स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। जिससे शिक्षा और वास्तविक जीवन के शासन संबंधी चुनौतियों के बीच की खाई को पाटा जा सके। बिजनेस स्टैंडर्ड के संपादक सिद्धार्थ कल्हन ने बताया कि मीडिया कैसे नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा दे सकता है और कंपनियों को उनके हितधारकों और नागरिकों के प्रति जवाबदेह बना सकता है।
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में “पारदर्शिता और शासन में जवाबदेही केंद्र” के निदेशक, प्रोफेसर (डॉ.) जीत सिंह मान ने भ्रष्टाचार से निपटने में कानूनी ढांचे की भूमिका और शैक्षणिक अनुसंधान के भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को आकार देने के महत्व को रेखांकित किया। मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के वरिष्ठ प्रबंधक, डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य सेवा संगठन विश्वास कैसे बना सकते हैं और भ्रष्टाचार संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए मूल्य निर्धारण और संचालन में पारदर्शिता सुनिश्चित कर सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट नेटवर्क इंडिया (UN GCNI के सहायक प्रबंधक आर्य देव ने अपने समापन वक्तव्य में सामूहिक कार्रवाई के ढांचे और व्यवसाय, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सरकारी क्षेत्रों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जिससे भ्रष्टाचार से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
अंत में, UN GCNI के उप निदेशक दीप चंद्र पापनाई ने सभी प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। धन्यवाद ज्ञापन के साथ यह आयोजन संपन्न हुआ, जिसमें सभी क्षेत्रों में सुशासन, पारदर्शिता, और जवाबदेही को बढ़ावा देने की निरंतर आवश्यकता को रेखांकित किया गया।