लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा श्री खाटू श्याम मंदिर में “ज्योतिष कुम्भ” का आयोजन किया गया। इस कार्यकम में बतौर मुख्य अतिथि विधायक डॉ. नीरज बोरा, विशिष्ट अतिथि जितेन्द्र कुमार (अपर मुख्य सचिव, भाषा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन एवं कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ) मौजूद रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आचार्य इंदु प्रकाश मिश्र एवं मुख्य वक्ता के रूप में आचार्य संतोष “संतोषी” के साथ लखनऊ प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डॉ. विनोद कुमार मिश्र, एके गुप्ता, डॉ. चन्द्रश्री पाण्डेय, प्रशान्त तिवारी, डॉ. तेजस्कर पाण्डेय, आशुतोष सिन्हा, अश्विनी कुमार शुक्ला, डॉ. उमेश कुमार पाण्डेय, डॉ. अनिल कार पोरवाल एवं डॉ. विपिन कुमार पाण्डेय, आनंद दुबे, प्रशांत तिवारी ने निःशुल्क परामर्श दिया।
आये हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए निदेशक विनय श्रीवास्तव ने बताया कि संस्थान द्वारा संचालित ज्योतिष प्रशिक्षण योजना के द्वारा ज्योतिष का ज्ञान बहुसंख्यक लाभार्थियों को उपलब्ध कराने व इससे स्वरोजगार के अवसर सृजित करने के दृष्टिगत इच्छुक संस्कृत पढ़े युवकों को प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध कराने की योजना वर्ष 2019 से ही संचालित है। संस्थान द्वारा आज समस्त ज्योतिषाचार्यों को एक साथ एक मंच पर जोड़ने के क्रम में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम में ज्योतिष विद्वानों द्वारा निःशुल्क परामर्श दिया जायेगा।
विधायक डॉ. नीरज बोरा ने बताया कि जिस तरह किसी भी गम्भीर बीमारी के होने पर डॉक्टर के पास जाना पड़ता है, ठीक उसी तरह किसी भी नये कार्य से पूर्व हमें ज्योतिषियों से परामर्श लेना आवश्यक होता है। इसके साथ ही मुख्य अतिथि ने संस्थान में संचालित योजनाओं पर भी प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जितेन्द्र कुमार ने कहा कि संस्कृत संस्थान के पुरस्कार समारोह में वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा था कि “उत्तर प्रदेश के हर विद्यालय में, चाहें वह किसी भी माध्यम का हो, किसी भी बोर्ड का हो वहां पर छात्र सामान्य संस्कृत सम्भाषण में बोलते हुए दिखाई दें” इसी पहल के कम में संस्कृत संस्थान वर्ष 2017 से सिविल सेवा निःशुल्क कोचिंग, संस्कृत प्रतिभा खोज, गृहे गृहे संस्कृतम् आदि जैसी योजनाओं को संस्कृत प्रेमियों, संस्कृत के छात्रों हेतु संचालित कर रहा है।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता संतोष “संतोषी” ने बताया कि संस्कृत संस्थान द्वारा आज समस्त ज्योतिषाचार्यों को एक साथ एक मंच पर जोडने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन बहुत ही प्रशंसनीय है। ग्रहो के बारे में बताया कि बृहस्पति ग्रह को शिक्षा और करियर के लिए प्रमुख माना जाता है और इसकी स्थिति आपके करियर का निर्धारण करने में मदद करती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति की दृष्टि दूसरे, तीसरे और चौथे भाव में है और बृहस्पति की दृष्टि भी लग्न में है तो उसका करियर शिक्षा या परामर्श से जुड़ा हो सकता है। वहीं जब बृहस्पति संचार, भाषण, बुद्धि, शिक्षा आदि के घरों में होता है, तो व्यक्ति लोगों को ज्ञान प्रदान करने में आगे बढ़ता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आचार्य इंदु प्रकाश मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि ज्योतिष वेदो जितना ही प्राचीन है। ग्रहों और सितारों को समझ कर उनका प्रभाव व्यक्तियो और राष्ट्र पर क्या पड़ता है उन संभावना की भविष्यवाणी करना उसे ज्योतिष शास्त्र कहते है। ज्योतिष शास्त्र का मतलब आकाशीय पिंडों का प्रभाव हम पर सीधा पडता है संपूर्ण ब्रह्माण्ड पर पड़ता है। भारतीय ज्योतिषी गणना के लिये पृथ्वी को ही केंद्र मानकर चलते थे और ग्रहों की स्पष्ट स्थिति या गति लेते थे। इसके साथ ही संस्कृत संस्थान की योजनाओं की भूरी-भूरी प्रशंसा की।