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AKTU : नवाचार एवं शोध करने के लिए फंडिंग योजनाओं की मिली जानकारी

  • एकेटीयू में डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की ओर से आयोजित की गयी एक दिवसीय कार्यशाला

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी और इनोवेशन हब की ओर से शुक्रवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में डीबीटी के विशेषज्ञों ने शिक्षकों, शोधार्थियों, स्टार्टअप और छात्रों के लिए बायोटेक्नोलॉजी विभाग और भारत सरकार की फंडिंग योजनाओं, फेलाशिप सहित अन्य स्कीम की जानकारी साझा की। जिससे कि अधिक से अधिक लोग उत्तर प्रदेश से शोध और नवाचार के लिए इन योजनाओं का लाभ ले सकें।
कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. जीएन सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश काफी तेजी से बदल रहा है। प्रदेश में जल्द ही कई योजनाएं मूर्त रूप लेने वाली हैं। कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर क्षेत्र में विकास की धारा बह रही है। खासकर स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश काफी तेजी से देश में अपना स्थान बना रहा है। जल्द ही विदेशी विश्वविद्यालय प्रदेश में अपना कैंपस शुरू करेंगे। आने वाले समय में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। छात्रों को इन अवसरों को भुनाने के लिए जरूरी है कौशल पूर्ण होना। जब छात्र तैयार रहेगा तब उसे रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहाकि स्वास्थ्य एवं कृषि के क्षेत्र में बायोटेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण भूमिका है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. जेपी पाण्डेय ने कहा कि वर्तमान में शिक्षकों का काम सिर्फ क्लास में पढ़ाना नहीं रह गया है। उन्हें तेजी से बदलती दुनिया में तकनीकी रूप से खुद को अपग्रेड रखना होगा। शोघ के विभिन्न आयामों पर काम करने की जरूरत है। सरकार या विश्वविद्यालय संसाधन उपलब्ध करा सकते हैं लेकिन काम तो शिक्षकों और छात्रों को ही करना पड़ेगा। हमें ऐसा भारत बनाना है जो पूरी दुनिया को इंटेलिजेंस का निर्यात कर सके। इसलिए जरूरी है कि शोध में नवाचार हो। अपनी प्रासंगिता बनाये रखने के लिए शिक्षक को नई तकनीकी जैसे एआई सहित अन्य चीजों को सीखते रहना चाहिए।
कार्यशाला में डीबीटी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. संजय मिश्रा ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। इस दौरान उन्होंने डीबीटी, भारत सरकार, विभिन्न विभागों और संस्थानों की ओर से शोध के लिए चलायी जा रही फंडिंग योजनाओं, फेलोशिप सहित अन्य स्कीम के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि शोध के लिए फंडिंग के तमाम रास्ते हैं। जरूरत है शोधार्थी को उन्हें जानने और सही तरीके से प्राप्त करने की।


वहीं, तीन तकनीकी सत्रों में डीबीटी की योजानाओं और कार्यक्रमों, नई शिक्षा नीति 2020 और कौशल विकास एवं उद्योग एवं उद्यमिता योजना के बारे में डीबीटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनोज सिंह रोहिल्ला, डॉ. संजय कुमार मिश्रा, डॉ. मनोज कुमार, ब्रजेश मिश्रा, अंकित राणा, सोनाली टंडन ने विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला की विषय स्थापना डीन इनोवेशन प्रो. बीएन मिश्रा ने करते हुए कहा कि बायोटेक्नोलॉजी सहित अन्य क्षेत्रों में शोध हो रहे हैं। ऐसे में शोधार्थियों को फंडिंग प्राप्त करने के तमाम अवसर हैं।

अतिथियों का स्वागत एसो0 डीन डॉ. अनुज कुमार शर्मा ने किया जबकि धन्यवाद वित्त अधिकारी केशव सिंह ने दिया। कार्यशाला का समन्वय इनोवेशन हब के हेड महीप सिंह ने किया। जबकि संचालन वंदना शर्मा ने किया। कार्यशाला में कृषि, स्वास्थ्य, बायोटेक्नोलॉजी, मेडटेक, लाइफसाइंस के क्षेत्र में कार्य कर रहे पूरे प्रदेश के स्टार्टअप, शोध छात्र, अन्य विश्वविद्यालयों और संस्थानों के शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।