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श्रीराम 1666 सरसों बीज: उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए वरदान

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश में खेती हमेशा से किसानों की आजीविका का मुख्य साधन रही है, और सरसों की फसल का इसमें महत्वपूर्ण योगदान है। खेती में उन्नत तकनीक और गुणवत्तापूर्ण बीजों के इस्तेमाल से किसानों की उपज और आय में वृद्धि हो रही है। इस दिशा में श्रीराम 1666 सरसों बीज ने किसानों को बेहतर उत्पादन और मुनाफे के अवसर दिए हैं। उत्तर प्रदेश के किसानों का कहना है कि श्रीराम 1666 सरसों बीज ने कृषि जगत में एक नई क्रांति ला दी है। इस बीज की उत्कृष्ट उत्पादन क्षमता, अधिक तेल की मात्रा, रोग प्रतिरोधक क्षमता और विविध जलवायु परिस्थितियों के प्रति अनुकूलता इसे तेजी से लोकप्रिय बना रही है।

किसानों के अनुसार, यह हाइब्रिड बीज अन्य परंपरागत किस्मों की तुलना में नीचे से बेहतर फुटान और प्रति फली अधिक दाने उत्पन्न करता है, जिससे तेल की मात्रा में भी वृद्धि होती है। इसकी वजह से किसानों को अधिक उपज के चलते प्रति एकड़ ₹5000 तक का अतिरिक्त मुनाफा हो रहा है। इसके उच्च तेल मात्रा वाले दाने बाजार में ऊंचे दामों पर बिकते हैं, जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होती है।

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के किसान, राकेश सिंह ने बताया कि श्रीराम 1666 बीज ने उनकी फसल की गुणवत्ता और उपज में बढ़ोतरी की है। उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस साल उनकी उपज में 15% की वृद्धि हुई है और तेल की मात्रा में भी सुधार हुआ है।

इसी प्रकार, बहराइच जिले के किसान, अतुल कुमार सिंह ने भी इस बीज की तारीफ की, जिन्होंने बताया यह बीज नीचे से बेहतर फुटान, अधिक तेल की मात्रा, रोग प्रतिरोधक क्षमता और कम लागत में अधिक पैदावार के लिए अन्य किसानों के बीच भी अनुशंसित किया जा रहा है। श्रीराम 1666 सरसों बीज ने उत्तर प्रदेश के किसानों के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाया है। इसके उच्च उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और बेहतर तेल उत्पादन के कारण किसान इसे बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं। राज्य के किसानों की सफलता की कहानियां इस बात का प्रमाण हैं कि यह बीज उनकी खेती को और भी समृद्ध बना रहा है। इसके उपयोग से किसानों को अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता वाली फसल मिल रही है, जिससे उनकी आय और जीवन स्तर में सुधार हुआ है।