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प्रेमचंद की रचनाएं आज भी प्रासंगिक है : प्रो. कृष्‍ण कुमार सिंह

हिंदी विश्‍वविद्यालय में ‘प्रेमचंद का अवदान’ विषय पर संगोष्‍ठी



वर्धा (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। महान कथाकार प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष्‍य में महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के साहित्‍य विभाग द्वारा ‘प्रेमचंद का अवदान’ विषय पर बुधवार को आयोजित संगोष्‍ठी की अध्‍यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. कृष्‍ण कुमार सिंह ने कहा कि उपन्‍यास एवं कथा लेखन के संसार में प्रेमचंद का महत्‍वपूर्ण योगदान है। दुनिया के महान कथाकारों में प्रेमचंद अग्रगण्‍य है। स्‍वराज्‍य की महत्‍वाकांक्षा रखने वाले प्रेमचंद की रचनाएं आज भी प्रासंगिक है।
गालिब सभागार में आयोजित कार्यक्रम में तुलनात्‍मक साहित्‍य विभाग के प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल ने बीज वक्‍तव्‍य दिया। उन्‍होंने कहा प्रेमचंद की कथावस्‍तु विशुद्ध देशी है। उनकी रचनाओं में जीवन के प्रति गहरी आस्‍था प्रकट होती है। समय और समाज का व्‍यापक हित उनके लेखन के केंद्र में है। वे साधारण बातों में असाधारण बातें पैदा करने वाले लेखक हैं। प्रेमचंद ने उपन्‍यास विधा को आधुनिक साहित्‍य में विरासत के रूप में सौंपा है।
जनसंचार विभाग के अध्‍यक्ष प्रो. कृपाशंकर चौबे ने प्रेमचंद की पत्रकारिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेमचंद ने सन 1903 में पत्रकारीय लेखन प्रारंभ किया। उन्‍होंने आवाज-ए-खल्‍क, स्‍वदेश, मर्यादा, जमाना आदि पत्र-पत्रिकाओं में हर विषय पर लिखा। ‘प्रेमचंद विविध प्रसंग’ पुस्‍तक का जिक्र करते हुए प्रो. चौबे ने कहा कि पत्रकारिता और सिनेमा को अपनी कथाओं के माध्‍यम से समृद्ध करने वाले प्रेमचंद का अनुगमन करना चाहिए।
गांधी एवं शांति अध्‍ययन विभाग के अध्‍यक्ष डॉ. राकेश कुमार मिश्र ने प्रेमचंद को आधुनिक भारतीय कथा साहित्‍य के निर्माता बताते हुए कहा कि प्रेमचंद भविष्‍य के लेखक हैं। प्रेमचंद ने शोषितों, वंचितों और हाशिए के लोगों का चित्रण करते हुए उनका मयार बड़ा बनाकर एक मानक तैयार किया।

दूर शिक्षा निदेशालय के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. अमरेन्‍द्र कुमार शर्मा ने प्रेमचंद के ‘पुराना जमाना – नया जमाना’, ‘साहित्‍य का उद्देश’ और ‘महाजनी सभ्‍यता’ इन निबंधों पर चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि प्रेमचंद के निबंध भारतीय समाज व सभ्‍यता पर केंद्रित हैं। हिंदी साहित्‍य विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. उमेश कुमार सिंह ने प्रेमचंद को यथार्थवादी और आदर्शवादी कथाकार बताते हुए कहा कि प्रेमचंद ने तीन दर्जन से अधिक कहानियाँ लिखी हैं। वे समग्रता में लिखने वाले बड़े लेखक हैं।

हिंदी साहित्‍य विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुनील कुमार ने प्रेमचंद की ‘ईदगाह’ और ‘बड़े भाई साहब’ कहानियों को लेकर उनके द्वारा लिखे गए बाल साहित्‍य पर चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि प्रेमचंद ने विशुद्ध बाल साहित्‍य लिखकर बाल मनोविज्ञान को कहानियों में उतारा।
स्‍वागत वक्‍तव्‍य में हिंदी साहित्‍य विभाग के अध्‍यक्ष एवं कार्यक्रम के संयोजक प्रो. अवधेश कुमार ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं में स्‍वतंत्रता आंदोलन के बीज निहित है। वे सिर्फ हिंदी के ही नहीं, बल्कि भारतीय भाषाओं के बड़े लेखको में से एक है। उनकी भाषा हमें आकर्षित करती है।
कार्यक्रम का संचालन मराठी साहित्‍य विभाग के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. संदीप सपकाले ने किया तथा हिंदी साहित्‍य विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. कोमल कुमार परदेशी ने आभार माना। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्‍ज्‍वलन एवं प्रेमचंद के चित्र पर माल्‍यार्पण कर तथा कुलगीत के प्रसारण से किया गया। राष्‍ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।