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जादूगर तुशी ने दिखाया जादुई कमाल, रासलीला का देर रात तक हुआ मंचन

  • श्री बंदी माता मंदिर का 42वां वार्षिक समारोह का चौथा दिन

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। बंदी माता मंदिर डालीगंज के 42वें वार्षिकोत्सव में श्रद्धालुओं की देर रात तक आवाजाही रही। मंगलवार को श्री बंदी माता की पूजा अर्चना कर श्रद्धालुओं ने मंगलकामनाएं कीं। दिन में यज्ञशाला में यज्ञाचार्य पं. शिवानंदपुरी के सानिध्य में सप्तचंडी यज्ञ चला। संत-सम्मलेन में विभिन्न प्रांतों के साधु महात्माओं का मिलन हुआ।

कथा वाचक रोली शास्त्री ने श्रीमद्भागवत कथा सुनाई। पं नित्यानंद व साथी कलाकारों ने रासलीला के विभिन्न प्रसंग मंचित किए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की भावपूर्ण प्रस्तुति की। मथुरा के रासलीला कलाकारों ने पूरा वातावरण कृष्णमय कर दिया।


लखनऊ सरफराज गंज के युवा जादूगर तुशी जैदी के जादुई कमाल से हर कोई दंग रह गया। डालीगंज स्थित बंदी माता मंदिर के 42वें वार्षिकोत्सव में दर्शकों ने जादू का आनंद लिया। वार्षिक समारोह के चौथे दिन मंगलवार को श्रद्धालु की खूब भीड़ रही। एलयू से बीकॉम ऑनर्स कर रहे मैजिशियन तुशी जैदी ने लोगों के मोबाइल पासवर्ड बताकर अनलॉक कर दंग कर दिया।
शाम को मुख्य मंच पर मंहत मनोहरपुरी के सानिध्य में श्रीमदभावगत पूजन आरती हुई। मुख्य अतिथि समाजसेवी अमित सिंह एवं उनकी पत्नी विमलेश सिंह व दूरदर्शन केंद्र लखनऊ के संपादक अनुराग पांडेय को बंदी माता मंदिर अखाड़ा समिति के श्री महंत देवेंद्रपुरी जी महाराज, महंत मनोहरपुरी, महंत पूजापुरी ने स्वागत किया। इस दौरान भास्करपुरी, राजूपुरी जी, महंत सावनपुरी जी, पार्षद रणजीत सिंह, समाजसेवी राधा वर्मा, गौसेवक मुलायम सिंह, पुजारी मणि महेश्वर शिव मंदिर पारा के पुजारी सुरेशपुरी जी व अनेक निवासी मौजूद रहे।

यहां सीता माता ने किया था विश्राम


महंत देवेंद्र पुरी ने बताया कि गोमती के तट पर स्थित इस मंदिर का उल्लेख ‘वाल्मीकि महापुराण’ में मिलता है। जहां माता सीता ने विश्राम किया था। इस घटना का उल्लेख वाल्मीकी महापुराण में मिलता है। जिसका प्रमाण महापुराण में उल्लिखित श्लोक – ‘ततो वास मुपागम्य गौतमी तटे आश्रामे पुनारत्थाये गवनस्य वाल्मीकी आश्रामे’ इस बात का प्रमाण है। महंत भास्करपुरी ने बताया कि सात दिन का यह वार्षिक समारोह पूर्वज गुरुओं की स्मृति में हर वर्ष होता है। ये सप्त दिवसीय अनुष्ठान ब्रम्हलीन श्री महंत कपिलेश्वर पुरी जी महाराज एवं सिद्ध संतों की स्मृति में होता है। सात दिन तक प्रतिदिन श्री शतचंडी महायज्ञ, श्रीमद् भागवत कथा, रासलीला, भंडारा, संत सम्मेलन अनवरत चलता रहेगा।