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शान्या स्कैन्स एंड थेरानॉस्टिक्स : गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चों में एक था अविकसित, ऐसे बचाई दूसरे की जान

पांच बार हो चुका था गर्भपात, चिकित्सकों के प्रयास से परिवार में गूंजी किलकारी

अविकसित भ्रूण को अलग कर स्वस्थ बच्चे का जन्म बनाया संभव

लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा/टेलीस्कोप टुडे)। शान्या स्कैन्स एंड थेरानॉस्टिक्स, लखनऊ के डॉक्टरों ने एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल करते हुए जटिल जुड़वा गर्भावस्था की समस्या का समाधान लेज़र तकनीक का उपयोग करके किया है। डॉक्टरों ने 36 वर्षीय महिला के गर्भ में पल रहे मोनोकोरियोनिक जुड़वा बच्चों के भ्रूण में से अविकसित भ्रूण को लेजर तकनीक द्वारा अलग कर स्वस्थ बच्चे को जन्म देने का मार्ग प्रशस्त किया। इस महिला का पूर्व में पांच बार गर्भपात हो चुका था। यह जटिल प्रक्रिया डॉ. प्रतिमा राधाकृष्णन (फीटल मेडिसिन एक्सपर्ट, बेंगलुरु) के कुशल मार्गदर्शन में डॉ. अदिति अग्रवाल (निदेशक भ्रूण चिकित्सा, शान्या स्कैन्स एंड थेरानॉस्टिक्स) द्वारा पूरी की गई।

इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक सम्पन्न करने वाली डॉ. अदिति अग्रवाल ने बताया, “दुर्भाग्य से, महिला के गर्भ में विकसित हो रहे जुड़वा भ्रूण में से एक भ्रूण बिना सिर के विकसित हो रहा था, इस स्थिति को मेडिकल साइंस में अक्रीनिया कहते हैं।

उन्होंने बताया, “इस जटिल स्थिति का समाधान करने के लिए, हमने लेज़र तकनीक का उपयोग करके असामान्य भ्रूण को अलग करने का निर्णय लिया। इस प्रक्रिया में, लेज़र बीम का उपयोग करके अविकसित भ्रूण को रक्त आपूर्ति करने वाली नसों को बंद कर दिया गया। यह प्रक्रिया अत्यंत जटिल है और सटीकता के साथ करनी होती है, यह एक दुर्लभ मामला था।”

डॉ. प्रतिमा राधाकृष्णन ने कहा, मोनोकॉरियोनिक जुड़वां एक ही प्लेसेंटा को साझा करते हैं और इस कारण से कुछ जटिलताएं हो सकती हैं। ये संरचनात्मक रूप से सामान्य भ्रूण होते हैं। फीटोस्कोपिक लेजर और इंटरस्टिशियल लेजर इन जटिलताओं को हल करने में मदद कर सकते हैं और एक स्वस्थ गर्भावस्था सुनिश्चित कर सकते हैं। हर भ्रूण का जीने का अधिकार होता है और उन्हें निश्चित रूप से एक मौका दिया जाना चाहिए।”

सफलतापूर्वक प्रक्रिया के बाद, मां और बच्ची दोनों स्वस्थ हैं। मां ने गर्भधारण के 35वें सप्ताह में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया, जो अब पूरी तरह से ठीक है।

यह प्रक्रिया इस क्षेत्र में पहली बार सफलतापूर्वक की गई है, और यह शान्या स्कैन्स एंड थेरानॉस्टिक्स के डॉक्टरों की विशेषज्ञता और जटिल गर्भावस्थाओं के इलाज में उनकी क्षमता का प्रमाण है। यहाँ फेटोस्कोपिक लेजर द्वारा मोनोकोरियोनिक जुड़वा बच्चों में होने वाली गंभीर जटिलताओं का इलाज संभव है। खासतौर से जटिल मोनोकोरियोनिक गर्भावस्था की समस्या से जूझ रही महिलाओं के लिए शान्या स्कैन्स एंड थेरानॉस्टिक्स द्वारा उपलब्ध कराया गया यह इलाज एक उम्मीद की किरण लेकर आया है।

शान्या स्कैन्स एंड थेरानॉस्टिक्स के एमडी एंड सीईओ डॉ. नर्वेश कुमार ने कहा, “मोनोकोरियोनिक जैसी जटिल गर्भावस्था की समस्याओं का इलाज अब शान्या स्कैन्स एंड थेरानॉस्टिक्स पर उपलब्ध है। वर्तमान में शान्या स्कैन्स एंड थेरानॉस्टिक्स फीटल मेडिसिन, न्यूक्लीयर मेडिसिन, डायग्नोस्टिक एवम इंटरवेंशन रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी एवम थेरानॉस्टिक्स के क्षेत्र में निरंतर प्रदेश की जनता को ऐसी सुविधाएं प्रदान कर रहा है जो कि पहले लखनऊ में उपलब्ध नहीं थी।

अब यह सभी सुविधाएं लखनऊ में हमारे यहां उपलब्ध हैं। हाल ही में शान्या स्कैन्स एंड थेरानॉस्टिक्स ने आरएफए एवम इंटरलाइजेशन ऑफ़ द स्टेंट इन द बिलरी ट्रैक्ट की सुविधा शुरू की है जो कि पहले केवल बड़े सेंटर्स पर उपलब्ध थी। अब यह सुविधा पर शुरू कर दी गई है।

परिवार में बेटी ने लिया जन्म, माता पिता ने जताया आभार

बच्ची के पिता मिथिलेश ने कहाकि किन्ही कारणोंवश पूर्व में पांच बार गर्भपात हो चुका था। इस बार भी स्थिति देखकर ऐसा लगा कि शायद छठी बार गर्भपात हो सकता है। जांच रिपोर्ट देखकर पूरा परिवार मायूस था और उम्मीद खो दी थी। लेकिन डॉ. अदिति अग्रवाल ने उम्मीद की किरण जगाई। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस बार परिवार में किलकारी अवश्य गूंजेगी। बच्ची के माता पिता ने शान्या स्कैन्स एंड थेरानॉस्टिक्स की पूरी टीम का आभार जताया। उन्होंने कहा कि बेटी पांच की हो चुकी है और पूरी तरह स्वस्थ है।