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स्व. जय करण शर्मा की जीवनी पर आधारित है “जेकेएस-द लॉजिस्टिक्स मैन ऑफ इंडिया”

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। मनुष्य का जीवन बहुत संघर्ष पूर्ण होता है। लेकिन जो मनुष्य धरा पर आने के बाद परिवार व समाज को तो आगे बढ़ाता ही है लेकिन कुछ ऐसी अमिट छाप छोड़ जाता है जिसे लोग हमेशा याद करते है। ऐसे ही प्रतिभा के धनी थे जय करण शर्मा। धन दौलत सभी कमा लेते है लेकिन उसे समाज के हित मे खर्च करना बहुत कम लोग ही करते है और यह कार्य जय करन शर्मा ने किया। चेतक समूह के संस्थापक स्व. जय करण शर्मा की जीवनी पर आधारित पुस्तक “जेकेएस-द लॉजिस्टिक्स मैन ऑफ इंडिया” का विमोचन करने के बाद उक्त विचार बतौर मुख्य अतिथि मौजूद डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने व्यक्त किये।

इस अवसर पर डिप्टी सीएम ने कहा कि मिट्टी के लाल जय करण शर्मा की जीवनी पर आधारित पुस्तक का विमोचन करते हुए मुझे हर्ष हो रहा है। श्री शर्मा ग्रामीण परिवेश के एक ऐसे उद्यमी थे जिन्होंने बिना पूंजी के अपना उद्यम खड़ा किया। उनके पास काम शुरू करने के लिए पूंजी नहीं थी फिर भी उन्होंने अपना भाग्य खुद लिखा और अपने दम पर संघर्ष करके भारत की अग्रणी लॉजिस्टिक्स कंपनी चेतक समूह खड़ी कर दी। उन जैसे लोग खुद नौकरी न करके दूसरों को रोजगार देते हैं और सरकार के विजन सबका विकास, सबका साथ का कार्यान्वयन करते हैं। मैं आशा करता हूं कि यह पुस्तक जिसमें उनकी जीवन के संघर्षों और सफलता का लेखा-जोखा है, आने वाली पीढ़ियों को ऐसा ही कुछ करने को प्रेरित करेगी और रोजगार की तलाश करने की बजाय वे उद्यमी बनेंगे तथा सरकार की विभिन्न नीतियों का लाभ उठायेंगे जिससे रोजगार बढ़ेगा।

जय करण शर्मा हरियाणा के एक छोटे से गांव झिंझर के एक किसान परिवार में पैदा हुए थे। उन्होंने अपने बूते अपना उद्यम खड़ा किया। उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर ट्रांसपोर्ट के व्यवसाय में कदम रखा और 1979 में अपनी कंपनी चेतक ट्रांसपोर्ट शुरू की। उनकी मेहनत, कर्मठता और दूरदर्शिता से चेतक लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में अग्रणी हो गया और एक विशाल समूह में बदल गया उन्होंने नई टेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट के गुर अपनाये जिससे वे इंडस्ट्री में अगली पंक्ति में जा पहुंचे।

जेकेएस-द लॉजिस्टिक्स मैन शीर्षक से प्रकाशित यह पुस्तक श्री शर्मा की उपलब्धियों से भरी जीवन यात्रा पर प्रकाश डालती है। इसमें उनके प्रोफेशनल तथा उत्कृष्ट सामाजिक जीवन का संपूर्ण वृतांत है। 

जय करण शर्मा के कनिष्ठ पुत्र सचिन हरितश ने कहा कि मेरे पिता के पास कोई पूंजी नहीं थी फिर भी उन्होंने अपने कठिन परिश्रम, लगन, दृढ़ संकल्प और सबसे बढ़कर दूसरों की सहायता करने की इच्छा से ऊंचाइयों पर जा पहुंचे। हम उनके कारोबार को आगे बढ़ाकर तथा वंचित समुदायों की मदद करके उनकी गाथा को और आगे ले जाना चाहते हैं। मैं इसके लिए अरुण अरोड़ा को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने बहुत मेहनत करके यह पुस्तक लिखी है और हमारे सपनों को साकार किया है।  

जय करण शर्मा जी जन नायक थे और वह श्रम के मूल्य को समझते थे और उन्होंने लोगों की सेवा को अपना मिशन बना लिया था। उन्होंने कई लोगों को अपनी ट्रांसपोर्ट कंपनी बनाने के लिए मदद की। वह परोपकारी थे और वंचित-समुदाय के लोगों को की मदद करते रहते थे। उन्होंने स्कूल-कॉलेज के विकास में मदद देकर शिक्षा के क्षेत्र में महती योगदान किया। 

कम्युनिकेशन के क्षेत्र में कई दशकों से काम कर रहे अरुण अरोड़ा ने जय करण शर्मा की जीवन यात्रा को शब्दों में पिरोया है। वरिष्ठ कम्युनिकेशन प्रोफेशनल तथा चेतक लॉजिस्टिक्स के निदेशक अरुण अरोड़ा ने इस पुस्तक को लिखने में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जय करण शर्मा जैसे विरले व्यक्ति की जीवनी लिखना मेरा सौभाग्य रहा। मैंने सचिन हरितश और हिन्दी पुस्तक के लेखक तथा वरिष्ठ पत्रकार मधुरेन्द्र सिन्हा के साथ लगभग एक दर्जन शहरों की यात्रा की और 160 से भी ज्यादा लोगों जिनमें उनके रिश्तेदार, मित्र तथा प्रोफेशनल्स भी थे, उनके साथ के अनुभवों के बारे में बातचीत की। उन लोगों से चर्चा करने के बाद हम श्री शर्मा के शानदार करियर का खाका खींचने में सफल हुए। मुझे उम्मीद है कि यह पुस्तक युवाओं को प्रेरित करेगी और वे उद्यमशीलता के मार्ग पर चलना चाहेंगे जिससे यह पुस्तक का लेखन सफल हो। 

जय करण शर्मा को विभिन्न जाने-माने संगठनों से कई तरह के पुरस्कार और सम्मान मिले। उन्हें ट्रांसपोर्ट रतन, उत्कृष्ट नागरिक सम्मान, ट्रांसपोर्ट सम्राट और राष्ट्रीय उद्योग रतन पुरस्कार भी मिले हैं। 11 अक्टूबर 2020 को उनका देहांत हो गया और वह अपने पीछे उपलब्धियों की एक गाथा छोड़ गये। श्री शर्मा को अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी ऐल्डेन ग्लोबल ने अक्टूबर 2021 में द लॉजिस्टिक्स मैन ऑफ इंडिया की उपाधि प्रदान की। उनके सम्मान में भारत सरकार ने एक डाक टिकट भी जारी किया।

इस अवसर पर चेतक समूह के निदेशक और जय करण शर्मा के छोटे बेटे सचिन हरितश के अलावा अरुण अरोड़ा, प्रभात समूह के चेयरमैन प्रभात कुमार, हिन्दी जीवनी के लेखक और पत्रकार मधुरेन्द्र सिन्हा भी उपस्थित थे।