लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। लखनऊ विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन के तत्वाधान में योग जीवन पद्धति विषयक कार्यशाला का आयोजन फैकल्टी के सभागार में किया गया है। कार्यक्रम के दौरान जीवन शैली को विकसित करने वाले आसनों, प्राणायाम, ध्यान, योग मुद्रा इत्यादि का अभ्यास योग विशेषज्ञ कृष्ण दत्त मिश्रा द्वारा कराया गया। योगिक जीवन में आहार से सतों गुण की वृद्धि करके उन्नतशील जीवन दर्शन को प्रस्तुत करता है। फैकल्टी के को-आर्डिनेटर डॉ. अमरजीत यादव ने बताया कि योग एक जीवन प्रथा है। ताड़ासन, हस्त उत्ता, आसन अनुलोम विलोम प्राणायाम, भ्रामरी, ध्यान के अभ्यास से शरीर की जीवन शक्ति बढ़ती है। डायबिटीज के लिए अर्ध मत्स्येंद्र आसन, उच्च रक्तचाप के लिए शवासन, शशांक आसन, बाल आसन, दमा के लिए गोमुखआसन, वक्रासन तथा भ्रामरी प्राणायाम उपयोगी है। आज के युग में तनाव जीवन का अहम हिस्सा बन गया है तनाव विसर्जन के लिए पद्मासन शवासन तथा भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि मौसमी फल और सब्जियों में उस मौसम में होने वाली बीमारियों का इलाज कुदरती फल और सब्जियों में भेज देती है। इसलिए फल और सब्जियों का उपयोग रोग से बचाव के लिए अधिकाधिक करना चाहिए। कार्यशाला में प्रसिद्ध सर्जन डॉक्टर प्रभात कुमार ने कहा कि जीवन में आदर्श जीवन शैली अपनाने के लिए शारीरिक अनुशासन, मानसिक अनुशासन, सामाजिक अनुशासन एवं आध्यात्मिक अनुशासन होना चाहिए। योग के अभ्यास से जीवन में अनुशासन बढ़ता है। कार्यक्रम के दौरान डॉ. सत्येंद्र कुमार मिश्रा, डॉ. उमेश कुमार शुक्ला, डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा, डॉ. रामनरेश शोभित सिंह तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।