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वन्य जीवन के अनुभवों का संग्रह है ‘रहमान खेड़ा का बाघ’

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। जो उत्कर्ष शुक्ल को जानते हैं, वे यह भी जानते हैं कि उन्हें अपने काम से कितना प्यार है। वन्य जीवों का जीवन उनके जीवन का ही एक हिस्सा है। जिसके लिए उन्हें अपना जीवन दांव पर लगाने से भी कोई गुरेज नहीं है। आज जब वन्य जीव खतरे में है क्योंकि ज्यादातर लोग जंगल और वन्य जीवों से भयावह रूप में अपरिचय की स्थिति  में हैं। तो ऐसे में यह किताब हर पाठक के लिए अनिवार्य रूप से पठनीय है। यह बातें वरिष्ठ पत्रकार प्रभात रंजन ने कहीं। वह मंगलवार को बलरामपुर गार्डन में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले में वन्य जीवन के अनुभवों पर केंद्रित डॉ उत्कर्ष शुक्ल के कहानी संग्रह ‘रहमान खेड़ा का बाघ’ के विमोचन में बोल रहे थे। 

चर्चित शायर मनीष शुक्ल ने रहमान खेड़ा का बाघ पर बोलते हुए कहा कि ये वन्य जीवों के बारे में न सिर्फ बहुत कुछ बताने वाली किताब है। बल्कि वन्य जीवों के प्रति नजरिया बदल देने वाली किताब है। उन्होंने कहा कि वाइल्ड लाइफ की दुनिया में यह किताब एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह उनके वन्य जीवों के प्रति अथाह लगाव और समर्पण के चलते इस रूप में संभव हुई है। डॉ. उत्कर्ष शुक्ल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मैं उस रूप में लेखक नहीं हूं कि जिस रूप में बहुत सारे लेखक होते हैं। इनमे वह जीवन है जो मैने जिया है, जिसके साथ मैं एक सतत प्रेम और संघर्ष में रहा हूं। जब हम इन जानवरों को रेस्क्यू करते हैं तो सबसे बेहतर रेस्क्यू वह है जिसमें हम जानवर को जंगल वापस जाने के लिए मजबूर कर दें। उसे कैद करना सबसे खराब रेस्क्यू है पर अक्सर हमारे सामने विकल्प नहीं रहता है। कार्यक्रम का संचालन मनोज पांडेय ने किया। इस दौरान बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी मौजूद रहे।पिछले पांच दिनों से बलरामपुर गार्डन में चल रहे बीसवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले में साहित्यप्रेमियों की सुबह से शुरु हुई आवाजाही देर रात तक बनी रही। मेले के मुख्य मंच पर कथा पाठ, विमोचन और चर्चाओं का दौर चला। 

विमोचन, साहित्य चर्चा का चला दौर   

मंगलवार को शुरुआत नवसृजन संस्था के कवि सम्मेलन से हुई। दोपहर बाद शारदेय प्रकाशन की ओर से राजवंत राज के काव्य संग्रह ‘चुनिंदा पन्नों से कहो’ पर कवि नरेश सक्सेना की अध्यक्षता में चर्चा हुई। अंजना मिश्र ने औरत शीर्षित कविताओं को नारी मनोदशाओं और अत्यंत संवेदनाओं से परिपूर्ण बताया। अलका प्रमोद, अरुण सिंह, निवेदिता श्री ने भी विचार रखे। कथारंग की ओर से नूतन वशिष्ठ के संयोजन में अमरनाथ, सोम गांगुली और अनामिका ने मण्टो की कहानी ‘सोने की अंगूठी’ और अलका प्रमोद की कहानियों का पाठ किया। रामकठिन सिंह के उपन्यास ‘पकवा इनार के भूत’ का विमोचन मुख्य अतिथि कथाकार शिवमूर्ति ने किया। मानवीय संवेदनाओं से भरे इस उपन्यास पर समारोह की अध्यक्षता कर रहे शिवमोहन सिंह, देवनाथ द्विवेदी, अरुण सिंह व तरुण निशांत ने विचार रखे। ईश्वरीय स्वप्नाशीष समिति की ओर से सनातन धर्म ध्वजवाहिका स्वप्ना गोयल के संयोजन में महिलाओं ने सुंदरकाण्ड पाठ किया। सनातन धर्म के साथ ही वेद पुराण के महत्व को रेखांकित करते हुए मुख्य रूप से पुनीता भटनागर, रागिनी, ऋतु अग्रवाल, ज्योति किरन व रीता सिन्हा शामिल रहीं।