लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सीतापुर रोड स्थित बोरा इंस्टीट्यूट ऑफ एलाइड हेल्थ साइंसेज में शनिवार को फिजियोथेरेपी विभाग ने विश्व फिजियोथेरेपी दिवस का दूसरा दिन उत्साहपूर्वक मनाया। कार्यक्रम की शुरुआत पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता से हुई। इसके उपरांत हीमोफीलिया पर सेमिनार का आयोजन किया गया।
डॉ. मुकेश कुमार ने बताया कि हीमोफीलिया आनुवंशिक बीमारी है। इसमें शरीर में खून का थक्का जमने की क्षमता खत्म हो जाती है। मरीज में खून सामान्य लोगों की तुलना में तेजी से नहीं बहता है, लेकिन ज्यादा देर तक बहता रहता है। उनके खून में थक्का जमाने वाले कारक (क्लोटिंग फैक्टर) पर्याप्त नहीं होते हैं। क्लोटिंग फैक्टर खून में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है, जो चोट लगने की स्थिति में खून को बहने से रोकता है। इस बीमारी में ज्यादा खून बहने से जान भी जा सकती है।

डा. मुकेश कुमार ने बताया कि हीमोफीलिया के मरीज सामान्य जीवन जी सकें, इसके लिए समय पर जांच, पर्याप्त इलाज और फिजियोथेरेपी बहुत जरूरी है। ऐसे में मरीजों को बेहद सतर्क रहनेे की जरूरत होती है। फिजियोथेरेपी द्वारा हीमोफीलिया के मरीज, विशेषतौर पर बच्चे रक्त संबंधी इस जानलेवा विकार से लड़ सकते हैं।
वहीं डॉ. नीरज मौर्य (एसोसिएट प्रोफेसर, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी) द्वारा स्ट्रोक पर जानकारी साझा की। छात्रों ने ऐसे प्रतिष्ठित पेशेवरों से स्थिति और इसके पीटी प्रबंधन के बारे में जानकारी एकत्र की। इस दौरान प्राचार्या डॉ शीला तिवारी, डा. तनुश्री बनर्जी, डा. अमर सक्सेना, डा. रजत कुमार सिंह, डा. शशांक शेखर सिंह, डा. जया चंद्रा, डा. फातिमा सईद, डा. जन्नत तस्लीम समेत अन्य शिक्षकगण उपस्थित रहे।
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