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अपोलोमेडिक्स : सर्जरी के दौरान रीजनल एनेस्थीसिया का उपयोग बेहद महत्वपूर्ण

वर्कशॉप में डॉक्टर्स ने रीजनल एनेस्थीसिया के नवीन तरीकों के बारे में प्राप्त की जानकारी

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के एनेस्थीसिया विभाग द्वारा कॉम्प्रिहेंसिव इंटरवेंशनल प्रोसीजर स्पेसिफिक एनेलजेशिया (सीआईएसपीए) विषय पर दो दिवसीय वर्कशॉप आयोजित की गई। इस दौरान डॉक्टरों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सर्जरी के दौरान मरीज को होने वाले दर्द को कम करने के लिए रीजनल एनेस्थीसिया का उपयोग बेहद महत्वपूर्ण है। अलग अलग सर्जरी की प्रक्रिया में दर्द से राहत प्रदान करने के लिए, विभिन्न सर्जरी के लिए अलग-अलग एनेस्थीसिया तकनीकों की आवश्यकता होती है।

अपोलोमेडिक्स लखनऊ के एमडी व सीईओ डॉ. मयंक सोमानी ने कहा, “मेडिकल टेक्नोलॉजी में हो रही निरंतर प्रगति से सर्जरी करने के नए तरीके ईजाद हुए हैं, जिससे मरीजों को कम से कम तकलीफ हो। इन्हीं आधुनिक तकनीकों के संबंध में जानकारी देने के लिए हमने दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें पुणे, मुंबई और दिल्ली से आए हुए प्रतिष्ठित व अनुभवी मेडिकल विशेषज्ञों ने जानकारी साझा की। अब रीजनल एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के लिए दर्द निवारण विधियों के कई विकल्प उपलब्ध हैं और इन विकल्पों में से मरीज के लिए उपयुक्त और सटीक विकल्प चुनना आसान नहीं है। यह कंटीन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन (सीएमई) वर्कशॉप सर्वोत्तम एनाल्जेसिक परिणाम प्रदान करने के लिए, उपबध विभिन्न विकल्पों की समझ और इन तकनीकों के उपयोग से इच्छित परिणाम हासिल करने के लिए कुशाग्रता प्रदान करने का एक प्रयास है।”

कार्यशाला के पहले दिन, ओटी में सर्जरी के दौरान दर्द वाले हिस्से में अल्ट्रासाउंड निर्देशित विभिन्न प्रक्रियाओं का प्रदर्शन किया गया। वर्कशॉप में, बच्चों में होने वाले प्रत्यारोपण और वृहद ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया का उपयोग, पैनल डिस्कशन और विशेषज्ञों द्वारा दिए गए व्याख्यान शामिल थे।

एनेस्थीसिया विभाग के एचओडी डॉ. अनिल अग्रवाल ने बताया, “वर्कशॉप रोगी की देखभाल को बेहतर बनाए के लिए एक महत्वपूर्ण कदम रहा। विभिन्न विशिष्टताओं के एनेस्थेसियोलॉजिस्ट और सर्जनों ने सर्जरी के दौरान पेन मैनेजमेंट पर एक मत होने के लिए चर्चा की। सर्जरी की विभिन्न प्रक्रियाओं में रीजनल एनेस्थीसिया की भूमिका का महत्व बहुत बढ़ चुका है। इसलिए नई तकनीकों के आधार पर नई जानकारी से लैस होना बेहद महत्वपूर्ण हो चुका है।”

कार्यशाला के दौरान शामिल प्रतिष्ठित फैकल्टीज में पुणे से डॉ. संदीप दीवान, मुंबई से डॉ. अंकित देसाई, दिल्ली से डॉ. दिवेश अरोड़ा व डॉ. अंशुमन मिश्रा और बेंगलुरु से डॉ. राममूर्ति शामिल थे।