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रेडियो जंक्शन बनेगा श्रोताओं के सपनों की उड़ान भरने वाले सफर का प्लेटफार्म

लखनऊ। वेब ब्रॉडकास्टिंग की दुनिया में लैंगिक असमानता झेलते ट्रांसजेंडर वर्ग की आवाज़ बनकर उभरा रेडियो जंक्शन लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। जिसकी शुरुआत कोविड काल के ठीक पहले नवम्बर 2019 में हुई थी। रेडियो जंक्शन न सिर्फ स्वस्थ मनोरंजन के साथ विभिन सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूकता के लिए जाना जाता है बल्कि डिजिटल क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के साथ नए प्रयोग करते हुए युवाओं की अभिरुचियों को निखारकर मौके भी देता है। रेडियो जंक्शन ने ट्रांसजेंडर वर्ग के साथ सबसे पहले ये शुरुआत की थी जो निरन्तर जारी है, लेकिन अब अपने श्रोताओं के हुनर और उनकी आवाज़ का माध्यम बनकर आपके बीच पहुंचने की तैयारी में है। 

उत्तर प्रदेश के श्रोताओं के बीच रेडियो जगत में चर्चित बहराइच जिले के रेडियो श्रोता सूरज सिंह रेडियो जंक्शन के साथ एक नई शुरुआत करने जा रहे हैं। अब सूरज बतौर एंकर “जंक्शन चौपाल” कार्यक्रम के माध्यम से श्रोतामित्रों के बीच लोकरंग की धूनी रमाएँगे। कार्यक्रम में युवा, बच्चे, श्रोता, कलाकार, साहित्यकार, सामाजिक सरोकार से जुड़े लोग फोन के माध्यम से जुड़ सकेंगे और अपने विषयों को चौपाल में रख सकेंगे। ये कार्यक्रम न सिर्फ श्रोताओं बल्कि सभी कोअपनी अभिरुचि के माध्यम से जुड़ने का माध्यम बनेगा। “जंक्शन चौपाल” के माध्यम से सूरज और रेडियो जंक्शन टीम अवध की मिठास आपके कानों तक पहुंचाने का प्रयास करेगी।

 बता दें कि सूरज सिंह को बचपन से रेडियो सुनने का शौक रहा और ये शौक उन्हें विरासत में मिला है अपने ही परिवार से। इस शौक से ही उनके भीतर रेडियो कमेंट्री करने की ललक जगी और फिर उनकी सीखने की उत्सुकता ने रेडियो जंक्शन की डायरेक्टर व लोकप्रिय रेडियो एंकर शालिनी सिंह से तब जोड़ा जब रेडियो जंक्शन की शुरुआत नहीं हुई थी और शालिनी सिंह आकाशवाणी में बतौर एंकर कार्य करती थीं। फिलहाल कला और संस्कृति को सहेजने वाले क्षेत्रीय कलाकारों और उन लोगों के सपनों को रेडियो जंक्शन साकार कर रहा है जिन्हें कहीं मौका नहीं मिल पाता।

रेडियो डायरेक्टर शालिनी सिंह का मानना है कि जो वेस्ट है वही बेस्ट है, ज़रूरी है सकारात्मक नज़रिए की क्योंकि ईश्वर की दी हुई हर आवाज़ खूबसूरत है बस हमें समझना होगा कि किस आवाज़ को कहाँ और कैसे प्रयोग किया जाना चाहिए। रही बात प्रस्तुति के अंदाज़ और भाषायी मानकों की तो प्रयोगधर्मी दृष्टिकोण के साथ बोलियों को प्रश्रय और प्राथमिकता रेडियो पर देकर ही जनमानस के हृदय को छुआ जा सकता है। साथ ही सकारात्मक बदलाव के साथ जागरूक समाज की उम्मीद की जा सकती है। शायद यही वजह है कि रेडियो जंक्शन ने ट्रांसजेंडर वर्ग के मुद्दों के साथ उनकी आवाज़ को मौका दिया फिर रेडियो को समर्पित वर्ग श्रोतावर्ग को प्राथमिकता दी है। श्रोताओं के अपना साथी जब कार्यक्रम प्रसारण करेगा तो श्रोताओं का आत्मविश्वास तो बढ़ेगा ही साथ में अपनी छुपी प्रतिभा को बाहर लाने की प्रेरणा भी मिलेगी। ये बहुत ज़रूरी भी है कि कमर्शियल होते दौर में अपनी जड़ों से जुड़कर श्रोताओं से रिश्तों को मजबूत बनाये रखा जाए क्योंकि रेडियो की आत्मा होते हैं श्रोतामित्र जिन्हें नकारकर रेडियो विधा अपने अस्तित्व को खो सकती है। इस दिशा में प्रयासरत रेडियो जंक्शन को वैश्विक स्तर और वेबसाइट व एप के माध्यम से सुना जा सकता है।